ऑर्डर पर मिलेगा अच्छा मौसम
१२ मई २०१७![Russland Probe Militärparade in Moskau](https://static.dw.com/image/38741060_800.webp)
रूसी हवाई सेना पहले कई बार भी क्लाउड सीडिंग प्रयोग कर चुकी है. वे किसी महत्वपूर्ण समारोह के आयोजन स्थल पर पहुंचने से पहले ही किसी स्थान पर बारिश को गिरा देते हैं, जिससे कुछ समय के लिए बादल खाली हो जाते हैं और समारोह की जगह सूखी रह जाती है.
अचानक कहां से सूरज!
रूस में 9 मई को मनाये गये सेना दिवस के समारोह से पहले रिहर्सल होने थे. बारिश हो रही थी कि अचानक आसमान खुल गया और सूरज चमकने लगा. उस समय रूस ने अपनी क्लाउड सीडिंग तकनीक का परीक्षण किया था. रूसी सेना तो इसे पूरी तरह प्रभावी बताती है लेकिन कई मौसम विज्ञानी ऐसा नहीं मानते.
कई मौसम विशेषज्ञों ने ऐसी स्टडी प्रकाशित की हैं जिसमें मौसम को प्रभावित करने में इंसान की क्षमता को सीमित बताया है. वे तर्क देते हैं कि क्लाउड सीडिंग इस हद तक प्रभावी नहीं हो सकती और इसमें बहुत ज्यादा प्रयास करने पड़ते हैं.
अब तक हुए प्रयोगों में काफी छोटी जगहों पर बहुत कम समय के लिए इससे फायदा मिला है. लेकिन जब सूखे पड़े खेतों में बारिश की सख्त जरूरत थी, तब वहां बारिश करवाने के प्रयास नाकाफी साबित हुए. खेतों को ओलों से बचाने के लिए भी ओले-भरे बादलों को पहले ही फटवाने की कोशिश भी ज्यादा असर नहीं दिखा पायी है.
सिल्वर आयोडाइड से होता है सब
आर्टिफीशियल कंडेंसेशन तकनीक इसके केंद्र में है. सिल्वर आयोडाइड के नाभिक तूफानी बादलों में रोपे जाते हैं. फिर इन नाभिकों पर वाष्प संघनित होती है और छोटे छोटे बर्फ के क्रिस्टल बन जाते हैं.
केवल रूसी सेना ही नहीं जर्मनी के वाइन बनाने वाले भी सिल्वर आयोडाइड के साथ प्रयोग कर चुके हैं. ओला वृष्टि से अपने अंगूरों की खेती को बचाने के लिए उन्होंने इसे एक और रसायन एसीटोन में मिलाकर इस्तेमाल किया. इसका सबसे प्रभावी तरीका हवाई जहाज से रसायन का छिड़काव कराना है. विमान को तूफानी बादलों के ऊपर या नीचे उड़ाया जा सकता है. छिड़काव वाली बूंदें इतनी छोटी होती हैं कि गिर कर धरती तक पहुंचती भी नहीं और बादलों के पास तैरती रहती हैं.
ऊपरी वातावरण में तापमान कम होने के कारण बूंदों के आसपास जल्द ही रवाकरण हो जाता है और फिर जमीन पर गिरते हुए यह पिघल कर वर्षा करा देते हैं. सिल्वर आयोडाइड की कम मात्रा को पर्यावरण के लिए ज्यादा खतरनाक नहीं माना जाता. लेकिन इसे ईयू के खतरनाक पदार्थों की सूची में रखा गया है. धरती पर इसकी ज्यादा मात्रा नहीं पहुंचनी चाहिए ताकि यह बाकी किसी अणु को दूषित ना कर सके.
(फाबियान श्मिट/आरपी)