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ऑस्ट्रेलिया में शनिवार को चुनाव, जूलिया की राह मुश्किल

२० अगस्त २०१०

ऑस्ट्रेलिया में संसदीय चुनावों में दो महीने पहले प्रधानमंत्री केविन रड की कुर्सी छीनकर देश की पहली महिला सरकार प्रमुख बनने वालीं जूलिया गिलार्ड का मुकाबला कंजरवेटिव प्रतिद्वंद्वी टोनी एबट से है. टक्कर कांटे की है.

जूलिय गिलार्डः चुनाव कराने का दांवतस्वीर: AP

धूलभरे पिछवाड़े से लेकर समुद्र तट और अंटार्कटिक तक फैले मतदान केंद्रों पर ऑस्ट्रेलिया के लाखों मतदाता शनिवार को नई सरकार चुनने के लिए मतदान करेंगे. लगभग डेढ़ करोड़ मतदाता स्कूलों, चर्चों, सर्फ लाइव सेविंग क्लबों और सामुदायिक केंद्रों में बनाए गए अस्थायी मतदान केंद्रों पर मतदान करेंगे.

विशाल क्षेत्रफल में फैले ऑस्ट्रेलिया में वोट देना अनिवार्य है. राष्ट्रीय चुनाव के लिए 7700 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, सवा चार करोड़ बैलट पेपर छापे गए हैं और 1 लाख पेंसिलें तैयार रखी गई हैं. चुनाव का संचालन करने के लिए 70 हजार कर्मचारियों को लगाया गया है. चुनाव कराने पर 9 करोड़ अमेरिकी डॉलर का खर्च आएगा.

तस्वीर: AP

चुनाव में मुकाबला लेबर पार्टी की नेता और निवर्तमान प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड और दक्षिणपंथी लिबरल पार्टी के प्रतिद्वंद्वी टोनी एबट के बीच है. हजारों लोगों ने पहले ही मतदान कर दिया है जिनमें अफगानिस्तान और पूर्वी तिमोर में तैनाक सैनिक भी हैं. हालांकि जूलिया गिलार्ड अचानक चुनाव कराकर जीत अपने पाले में करना चाहती थीं, लेकिन कंजरवेटिव विपक्षी नेता टोनी एबट ने ऑस्ट्रेलिया के मध्यावधि चुनावों को हाल के दशकों की सबसे तंग रेस बना दिया है. कांटे की टक्कर में ऑस्ट्रेलियाई मतदाताओं को नेताओं का विकल्प मिला है. गिलार्ड से मतदाता इस बात से नाराज हैं कि उन्होंने सत्ता के लिए पार्टी को हथिया लिया, लेकिन जलवायु परिवर्तन पर उनकी सरकार के रुख से भी मतदाता नाराज हैं.

ऑस्ट्रेलिया में 70 साल में पहली बार अल्पमत सरकार बनने का खतरा है. चुनाव से पहले कराए गए सर्वेक्षणों में लेबर और लिबरल पार्टी एक स्तर पर हैं. टक्कर ऐसी तंग है कि नीतियों के बदले असर इस बात का होगा कि मतदाता किस नेता को अधिक पसंद कर रहा है. फिर भी बहुत से प्रेक्षकों का मानना है कि गिलार्ड की वामपंथी पार्टी हल्के बहुमत से सत्ता में बनी रहेगी.

अनिश्चितता के कारण ऑस्ट्रेलियाई डॉलर पर दबाव बढ़ गया है. आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अल्पमत सरकार आने पर मुद्रा 2 से 5 फीसदी तक गिर सकती है. यदि कोई पार्टी स्पष्ट बहुमत नहीं जीतती है तो अगली सरकार को कुछ निर्दलीय या ग्रीन सांसदों पर निर्भर रहना होगा, जो बाजार में अनिश्चितता पैदा करेगा.

लॉजिस्टिक मुश्किलों के बावजूद ऑस्ट्रेलिया में लोग बड़ी संख्या में मतदान करते हैं. नवम्बर 2007 में हुए चुनावों में लेबर पार्टी के केविन रड ने जीत हासिल की थी. तब 94.76 फीसदी लोगों ने मतदान किया था. वोट नहीं देने वालों को 20 डॉलर का फाइन किया जाता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: वी कुमार

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