ओपेल संकट से जर्मनी में राजनीति गर्माई
५ नवम्बर २००९अमेरिकी कार कंपनी जनरल मोटर्स ने फ़ैसला किया है कि वह अपनी जर्मन कंपनी ओपेल को नहीं बेचेगा लेकिन 10 हज़ार कर्मचारियों की छुट्टी करेगा. इस खबर के बाद जर्मनी के राजनीतिज्ञों के बीच क्षोभ और ओपेल कर्मचारियों के बीच मातम का माहौल छा गया है. मैग्ना कंपनी ओपेल को ख़रीदना चाहती थी, जर्मन सरकार उसकी मदद करना चाहती थी, ताकि कर्मचारियों की कम से कम छंटनी हो. लेकिन जनरल मोटर्स के फ़ैसले से अब पूरा हिसाब पलट गया है.
गुरुवार शाम यूरोप के पत्रकारों के साथ एक टेलिफ़ोन कांन्फ़्रेंस में जनरल मोटर्स के वाइस चेयरमैन जॉन स्मिथ ने कहा कि यूरोप में ओपेल के कारखानों में व्यापक छंटनी की जाएगी. उन्होंने कहा कि ओपेल के खर्च 30 प्रतिशत घटाने पड़ेंगे, जिसका मतलब है कि यूरोप के कारखानों में काम करने वाले 50 हज़ार कर्मचारियों में से 10 हज़ार की छंटनी करनी पड़ेगी. स्मिथ ने ध्यान दिलाया कि ओपेल को ख़रीदने के इच्छुक मैग्ना भी 10,500 कर्मचारियों की छंटनी करने वाली थी.
जर्मनी में रुसेलहाइम, बोखुम, आइज़ेनाख़ और काइज़रलाउटर्न में ओपेल के चार कारखाने हैं. इनकी कर्मचारी समिति ने कहा है कि वह जनरल मोटर्स की स्ट्रैटेजी की मदद नहीं करेगी. कल चारों नगरों में हज़ारों कर्मचारियों के प्रदर्शन होने वाले हैं. शुक्रवार से यूरोप मे ओपेल के सभी कारखानों में प्रदर्शन होंगे.
जर्मन अर्थनीति मंत्री राइनर ब्र्युडरले ने कहा है कि इस फ़ैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता. मैग्ना के साथ जो डील हुई थी, उसमें हेस्से प्रदेश के मुख्यमंत्री रोलांड कॉख ने एक प्रमुख भूमिका निभाई थी. अब उनका कहना है कि, ''मैं स्वीकार करता हूं कि इस फ़ैसले को स्वीकार करना मेरे लिए कठिन है. मुझे व्यक्तिगत रूप से भी धक्का पहुंचा है और मुझे गुस्सा है. इससे यूरोप के कई कारखानों पर असर पड़ेगा, और ख़ासकर कर्मचारियों के लिए अनिश्चयता बढ़ जाएगी.''
जर्मनी में कार्यस्थानों को बचाने के लिए जर्मन सरकार ने मैग्ना को मदद देने का आश्वासन दिया था. अब ताश के पत्ते फिर से फ़ेंटने पड़ेंगे. जर्मन सरकार ने मांग की है कि जनरल मोटर्स जल्द अपनी योजना पेश करे. सरकार के प्रवक्ता उलरिष विलहेल्म ने कहा है कि उसके बाद ही मदद के बारे में सोचा जा सकता है. इस के अलावा जर्मन सरकार ने डेढ़ अरब यूरो के बराबर कर्ज़ की गारंटी ली थी, जिसमें से ओपेल दो-तिहाई कर्ज़ ले चुका है. 30 नवंबर तक यह कर्ज़ चुकाना है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन: ओ सिंह