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ओबामा अगर सीरिया वोटिंग हारे तो..

९ सितम्बर २०१३

सीरिया पर सैनिक कार्रवाई के लिए जब अमेरिकी संसद में वोटिंग होगी, तो सिर्फ हां या ना का फैसला नहीं होगा, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की राजनीतिक प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी. एक ना पैदा कर सकता है मुश्किल.

तस्वीर: REUTERS/Jonas Ekstromer/Scanpix Sweden

ऐसा लग रहा है कि वॉशिंगटन में इस मामले पर सब बात कर रहे हैं, राष्ट्रपति बराक ओबामा को छोड़ कर. खुदा न खास्ता, खुद उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी में दरार पैदा हो गई, तो अमेरिकी संसद यानी कांग्रेस में उनकी हार हो सकती है, जिसके बाद ओबामा अपनी विदेश और गृह नीति को लेकर भारी दबाव में पड़ सकते हैं.

बात सिर्फ सीरिया की नहीं, बल्कि परमाणु मुद्दे पर ईरान और उत्तर कोरिया की भी है. उसके बाद उन्हें रिपब्लिकन पार्टी के साथ प्रवास नीति पर दो चार करना है. और उसके बाद अमेरिकी संघीय बैंक के नए प्रमुख के बारे में भी चर्चा करनी है.

अमेरिका के निकट सहयोगी ब्रिटेन की संसद ने ऐसी ही एक वोटिंग में प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की मांग को ठुकरा दिया है. हालांकि इसके बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सीरिया पर किसी तरह की सैनिक कार्रवाई से पहले अपनी संसद में इस पर वोटिंग कराने का फैसला किया है. अमेरिका का दावा है कि सीरिया में असद प्रशासन ने लोगों पर रासायनिक हथियार का इस्तेमाल किया है और ओबामा के मुताबिक, "अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साथ दांव पर लगी है. अमेरिका और उसकी संसद की साख भी दांव पर है."

सीनेट में सीरिया पर बहसतस्वीर: Reuters

पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के प्रशासन में प्रमुख अधिकारी रह चुके डेविड रोथकॉफ का कहना है कि एक "ना" बहुत बड़ा संकट ला सकता है. रोथकॉफ अब अंतरराष्ट्रीय सलाहकार संस्था गार्टेन रोथकॉफ के प्रमुख हैं. उनका कहना है, "हाल के सालों में किसी राष्ट्रपति के साथ ऐसा नहीं हुआ है और इसकी वजह से उन्हें एक बेहद कमजोर राष्ट्रपति के रूप में आंका जाएगा."

टेक्सास के ए एंड एम यूनिवर्सिटी के जॉर्ज एडवर्ड्स का कहना है, "यह राष्ट्रपति के लिए तगड़ा झटका होगा. ऐसा लगेगा मानो किसी ने उनके हाथ बांध दिए हों." ऐसा लग रहा है कि उनकी पार्टी के ही कुछ सांसद इस वोट के खिलाफ जा सकते हैं और अगर ऐसा हुआ, तो झटका और तेज होगा.

क्या होगा फैसला?तस्वीर: Reuters

इस वोट के बाद यह बात भी साफ हो जाएगी कि अमेरिकी संघीय बैंक के लिए जिस उम्मीदवार की वकालत ओबामा कर रहे हैं, उसके लिए उन्हें हरी झंडी मिलेगी या नहीं.

लेकिन ओबामा और उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के लिए इससे भी महत्वपूर्ण बात यह होगी कि अगर सीरिया पर उन्हें संसद का साथ नहीं मिलता है, तो कल के दिन अगर ईरान या उत्तरी कोरिया के खिलाफ कोई कदम उठाना हो, तो क्या किया जाए. अमेरिका के विदेशी मंत्री ने राष्ट्रपति ओबामा का नाम लिए बगैर इशारों इशारों में कहा है कि अगर मत "नहीं" का होता है, तो ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देशों की हिम्मत बढ़ जाएगी और पर आतंकवादियों के परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की आशंका भी ज्यादा हो जाएगी.

इस बात में कोई दो राय नहीं कि अगर संसद में ओबामा के विपक्ष में वोटिंग होती है, तो रिपब्लिकन पार्टी इसका राजनीतिक फायदा उठाएगी. यह बात अलग है कि अमेरिका ने पिछले दशक में जो सैनिक कार्रवाइयां की थीं, उनका नेतृत्व रिपब्लिकन पार्टी के ही जॉर्ज बुश ने किया था.

एजेए/एएम (रॉयटर्स)

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