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ओबामा की क्षमता परखता रूस

१५ अप्रैल २०१४

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा दोहराते रहे हैं कि यूक्रेन में रूस की बढ़त बर्दाश्त नहीं की जाएगी. रूस के पूर्वी यूक्रेन में अस्थिरता फैलाने की खबरों के बीच नजर इस बात पर लगी है कि ओबामा अपने बयानों पर कितने खरे उतरते हैं.

Ukraine Russland Krim-Krise Obama 06.03.2014
तस्वीर: picture-alliance/dpa

क्रीमिया को रूस में मिलाए जाने के बाद से अमेरिका ने साफ कहा है कि अगर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन फिर से यूक्रेन के किसी हिस्से को उसी तरह हथियाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें कड़े प्रतिबंध झेलने होंगे. ओबामा प्रशासन की इन धमकियों के बावजूद पुतिन उनको चुनौती देते दिखाई दे रहे हैं. व्हाइट हाउस का मानना है कि रूस पूर्वी यूक्रेन में विरोध प्रदर्शनों को बढ़ावा दे रहा है. इसके अलावा रूस ने अपने हजारों सैनिकों को यूक्रेनी सीमा पर तैनात कर रखा है.

यूक्रेन में रूस के इरादों के बारे में विल्सन सेंटर के रूसी मामलों के विशेषज्ञ मैथ्यू रोजांस्की बताते हैं, "वे स्थिति को भड़काने के लिए ऐसी चीजें करने को तैयार हैं जो किसी ने सोचा भी नहीं होगा." रोजांस्की चेतावनी देते हुए कहते हैं, "यह बहुत बड़े दांव और जोखिम वाली स्थिति है, और वे इन सबके बिल्कुल बीचोबीच हैं."

पिछले साल सीरिया पर सैनिक हमला करने के अपने फैसले से पीछे हटने के बाद से ही ओबामा को आलोचना का सामना करना पड़ा है. तब सीरिया में सरकारी सैनिकों के रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल ने अंतरराष्ट्रीय गुस्से और विरोध को न्यौता दिया था. ओबामा ने रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के लक्ष्मण रेखा को पार करने पर सख्त कार्रवाई की धमकी दी थी, लेकिन फिर ऐसा न करने के फैसले को लेकर ओबामा के आलोचकों ने यह कहा कि वह सिर्फ गरजते ही हैं, कभी बरसते नहीं. इस बार फिर वैसी ही स्थिति बन गई है जब परीक्षा हो जाएगी कि ओबामा वाकई यूक्रेन में बढ़ते रूसी हस्तक्षेप को सहन करते हैं या कोई सख्त कदम उठाते हैं.

तस्वीर: Reuters

कहां तक है सहने की 'सीमा रेखा'

सीरिया की तरह यूक्रेन के मामले में किसी निश्चित सीमा रेखा का जिक्र नहीं है. यह साफ नहीं है कि पुतिन के किस कदम को अमेरिका बिल्कुल सहन नहीं करेगा. ओबामा ने कई बार कहा है कि पूर्वी यूक्रेन में क्रेमलिन के आगे बढ़ने को विवाद में 'गंभीर फैलाव' माना जाएगा और रूसी अर्थव्यवस्था पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों लागू करने की जरूरत होगी.

ओबामा सीरिया वाले मामले में हुई किरकिरी से सबक लेते हुए इस बार यूक्रेन के मामले में काफी सावधानी बरत रहे हैं. व्हाइट हाउस के कर्मचारी अपने बयानों में यह साफ करने से बचते रहे हैं कि समस्या का 'गंभीर फैलाव' आखिर किस स्थिति को माना जाएगा. ऐसी हालत तब है जब व्हाइट हाउस इस बात को मान रहा है कि रूस पूर्वी यूक्रेन के कई शहरों में हिंसा भड़काने में भी भूमिका निभा रहा है. व्हाइट हाउस प्रवक्ता जे कार्नी ने कहा, "हम बहुत सक्रियता से पूर्वी यूक्रेन की स्थिति के मूल्यांकन में लगे हुए हैं. हमारी नजर इस पर भी है कि रूस वहां किन गतिविधियों में लगा है और किस तरह अपने भूभाग का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है." कार्नी ने बताया कि वह अपने पार्टनर्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और इन सबके आधार पर अपनी प्रतिक्रिया देने का निर्णय कर रहे हैं.

समाचार एजेंसियों के हवाले से कहा जा रहा है कि अमेरिका या यूरोप दोनों ही रूस के खिलाफ सीधे कोई सैनिक कार्यवाही नहीं करना चाहते हैं. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय जगत के पास ज्यादा से ज्यादा आर्थिक या कूटनीतिक संबंधों पर ही पुनर्विचार करने का विकल्प बचता है. अमेरिका के मुकाबले यूरोप के रूस के साथ ज्यादा गहरे आर्थिक संबंध हैं. यूरोप के कई देशों में आर्थिक संकट और मंदी के कारण यूरोप भी रूस पर ऐसे प्रतिबंधों से बचना चाहेगा, जो खुद यूरोपीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

आरआर/एमजे(एपी, एएफपी)

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