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ओबामा ने की पाकिस्तान की अनदेखी

२२ मई २०१२

नाटो सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान को खुलेआम नजरअंजाद करते हुए उसका नाम ही नहीं लिया. वह अफगानिस्तान में कुमुक पहुंचाने में मदद देने वाले देशों को धन्यवाद दे रहे थे.

तस्वीर: Reuters

नजरअंदाज किए जाने की वजह पाकिस्तान के साथ अमेरिका के लगातार बिगड़ते रिश्तों को माना जा रहा है. नाटो सम्मेलन पर भी इसका साया रहा, जहां 2014 में नाटो के अफगानिस्तान छोड़ने पर चर्चा हुई. ओबामा ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान के साथ तनाव से सवाल पैदा हुए हैं कि स्थिर अफगानिस्तान के लक्ष्य में पाकिस्तान मदद करेगा या नुकसान पहुंचाएगा. दोनों देशों के बीच जारी अविश्वास अल कायदा के पनाहगाहों को नष्ट करने में सहयोग के लिए खतरा है और पाकिस्तान के बढ़ते परमाणु हथियारों की सुरक्षा में अमेरिकी भरोसे को कम कर सकता है. ओबामा ने कहा, "हमें उस इलाके में 10 साल की सैनिक उपस्थिति के कारण पैदा कुछ तनावों को निबटाने की जरूरत है."

पाकिस्तान नाटो का सदस्य नहीं है, लेकिन पड़ोसी अफगानिस्तान के मामलों में उसके असर और पिछले साल तक अफगानिस्तान के लिए नाटो का प्रमुख सप्लाई रूट होने के कारण दो दिवसीय नाटो शिखर भेंट में बुलाया गया था. पिछले साल नवंबर में एक अमेरिकी हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने के बाद पाकिस्तान ने नाटो का सप्लाई रूट बंद कर दिया है. अंतिम क्षणों में उसे बुलाए जाने से विवाद के हल होने की उम्मीद बनी, लेकिन पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के प्रति ओबामा के रवैये ने सोमवार को ही साफ कर दिया कि ऐसा नहीं है.

नाटो सम्मेलन में जरदारीतस्वीर: Reuters

साइड हुए जरदारी

राष्ट्रपति जरदारी ओबामा के गृहनगर शिकागो में हुए नाटो सम्मेलन में इस उम्मीद के साथ आए कि उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ अकेले मुलाकात होगी, जैसे कि ओबामा अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई से मिले. लेकिन ओबामा ने नाटो की सप्लाई पर अंतिम समझौते से पहले ऐसा करने से मना कर दिया. सोमवार को सम्मेलन के हाशिए पर ओबामा और करजई ने जरदारी से कुछ समय के लिए बातचीत जरूर की. बाद में करजई ने इसे फोटो सेशन मात्र बताया.

अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने भाषण में अफगानिस्तान के उत्तर के सिर्फ उन देशों को धन्यवाद दिया जिन्होंने पाकिस्तान के सप्लाई रूट को रोके जाने के बाद उसकी भरपाई अपने देशों से होकर करने दी. ओबामा ने कहा, "मैं राष्ट्रपति करजई की उपस्थिति का स्वागत करता हूं, साथ ही केंद्रीय एशिया और रूस के अधिकारियों का, जिनका महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है और जिन्होंने आईएसएएफ के लिए जरूरी ट्रांजिट होने दी."

पाकिस्तानी अधिकारी अमेरिकी अनदेखी को नजरअंदाज कर रहे हैं. जरदारी के प्रवक्ता फरहतुल्लाह बाबर ने कहा, "पाकिस्तान की ओर सप्लाई का रास्ता पिछले छह महीनों से बंद है. हमारी ओर से कोई उम्मीद नहीं थी कि राष्ट्रपति नाटो के सप्लाई रूट को रोके जाने की सराहना करेंगे." सीमा खोलने की बातचीत इस मुद्दे पर रुकी है कि अमेरिका ट्रकों को पाकिस्तान से होकर जाने देने के लिए उसे कितना पैसा देगा. बाबर ने कहा कि सरकार ने बातचीत को तेज करने के निर्देश दिए हैं लेकिन कोई समय सीमा तय नहीं की है.

टैंकरों को रास्ता खुलने का इंतजारतस्वीर: DW

पैसों का नुकसान

हवाई हमले से पहले अमेरिका हर ट्रक के लिए 250 डॉलर दे रहा था. अब पाकिस्तान प्रति ट्रक 5000 डॉलर और सैनिकों की मौत के लिए माफी मांग रहा है. ओबामा प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा है कि वह हर ट्रक के लिए 500 डॉलर देने को तैयार है. अमेरिका ने हमले में पाकिस्तानी सैनिकों की मौत के लिए शोक जताया है, लेकिन माफी मांगने से इनकार किया है. इस समय दोनों देशों के बीच सौदेबाजी चल रही है.

नाटो शिखर सम्मेलन के अंत में ओबामा ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें पता था कि अभी सप्लाई रूट पर कोई समझौता नहीं होगा. उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति जरदारी ने मेरे साथ उम्मीद साझा की है कि इन मुद्दों को सुलझाया जा सकता है. दरअसल हम बहुत धीमा प्रगति कर रहे हैं." जरदारी ने रविवार को अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन से मुलाकात की और सोमवार को उनसे हाथ मिलाने के लिए लाइन में लगे दिखे. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि क्लिंटन और जरदारी ने नाटो सप्लाई रूट को खोले जाने और आतंकी खतरों से लड़ने में सहयोग के महत्व पर चर्चा की.

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच खराब रिश्तों का इतिहास रहा है. सितंबर 2001 में अमेरिका पर आतंकवादी हमलों के बाद भी रिश्तों में तल्खी रही है. पिछले एक दशक में अमेरिका ने पाकिस्तान को अरबों डॉलर दिए हैं. लेकिन वहां अमेरिका विरोधी भावना में कोई कमी नहीं आई है. 2001 के बाद अल कायदा के वरिष्ठ नेताओं को खोजने में सालों के सार्थक सहयोग के बावजूद बहुत से अमेरिकी अधिकारी उसे दोहरे मन वाला और गैर भरोसेमंद मानते हैं. ट्रांजिट पर चल रहा विवाद नाटो सम्मेलन में अमेरिका के लिए शर्म की बात थी तो जरदारी के प्रति ओबामा का बर्ताव पाकिस्तानी राष्ट्रपति के लिए और ज्यादा. ओबामा ने कहा, "पाकिस्तान को अफगानिस्तान के हल का हिस्सा होना होगा और यह हमारे राष्ट्रीय हित में है कि पाकिस्तान लोकतांत्रिक, समृद्ध और स्थिर हो."

एमजे/एजेए (एपी)

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