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ओबामा ने चीन को झाड़ लगाई

१४ नवम्बर २०११

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कड़े शब्दों में कहा है कि वह चीन की व्यावसायिक और मौद्रिक नीतियों से तंग आ गए हैं. एशिया प्रशांत देशों की बैठक में ओबामा ने चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ से मुलाकात के बाद यह कहा.

तस्वीर: AP

ओबामा ने एशिया पैसिफिक देशों की शिखर वार्ता के अंतिम दिन संवाददाता सम्मेलन में कहा, बहुत हुआ. हम इसी मुद्दे पर कायम रहेंगे कि चीन भी दूसरों की तरह ही नियमों पर चले. हम नहीं चाहते कि वह अमेरिका का फायदा उठाए.

ओबामा ने चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ से मुलाकात के बाद कड़े शब्दों में कहा कि चीन को अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली से खेलना बंद कर देना चाहिए और अमेरिका सहित दूसरे देशों के लिए व्यापार का एक स्तर बनाना चाहिए.     

चीन की अभी तक इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं आई है. चीन अपनी मुद्रा युआन के मुक्त व्यापार के लिए और व्यापार में अपने भारी फायदे को कम करने के प्रस्ताव को हमेशा से ठुकराता रहा है. ओबामा का यह बयान अपने देश के व्यापार को ध्यान में रख कर दिया.  अमेरिका में अगले साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव हैं.

युआन के अवमूल्यन से नाराज

ओबामा जोर दिया कि चीन को अपनी मुद्रा की कीमत बढ़ानी चाहिए. अमेरिका का कहना है कि वह जान बूझ कर युआन की कीमत को कम रखे हुए है जिसके कारण अमेरिकी कंपनियों और नौकरियों को नुकसान हो रहा है. बराक ओबामा ने कहा कि चीन खुद को विकासशील देश के तौर पर प्रस्तुत करता है लेकिन वह 'अब बड़ा हो चुका' है और उसे बड़े की तरह से पेश आना चाहिए.

एशिया पैसिफिक शिखर वार्ता में आर्थिक साझेदारी मजबूत करने के लिए एक साझा मंच ढूंढने और व्यापार की अड़चनों को कम करने पर चर्चा हुई ताकि यूरोप के कर्ज संकट से एशिया प्रशांत देशों को झटका न लगे.  

एपेक के 21 सदस्य देश विश्व अर्थव्यवस्था का आधे से ज्यादा हिस्सा हैं. शिखर वार्ता में सभी वैश्विक अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के साझा कदमों पर एकमत हुए. शिखर वार्ता के बयान में कहा गया, "वैश्विक अर्थव्यवस्था में यह समय अस्थिरता का है विकास, नौकरी के मौके यूरो जोन संकट के कारण कमजोर हो गए हैं जबकि प्राकृतिक आपदाओं के कारण जापान की हालत खराब है. हम मानते हैं कि व्यापारिक उदारीकरण टिकाऊ वैश्विक बहाली के लिए जरूरी है खासकर 2008-09 में हुई मंदी के बाद."

एपेक की अधिकारिक सूचना में क्षेत्र और दुनिया की अर्थव्यवस्था को मजबूत और स्थिर बनाने के लिए कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई गई. विशेषकर चीन की निर्यात चालित अर्थव्यवस्था की चिंता की मद्देनजर.

बातचीत के बावजूद मतभेद  

अमेरिकी दबाव के कारण एपेक देशों ने अस्पष्ट शब्दों में पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी वस्तुओं और सेवाओं के लिए शुल्क कम करने की भी बात की हालांकि चीन ने इस प्रस्ताव का विरोध किया.

बैठक के दौरान मुद्रा और व्यापार के मुद्दे पर मतभेद बरकरार रहे. साथ ही अमेरिका और चीन के बीच तनाव भी. यह सवाल भी बना रहा कि जो वादे किए गए हैं वह शिखर वार्ता खत्म होने के बाद पूरे किए जाएंगे या नहीं. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित कई देशों के नेताओं को बाजार खोलने के मुद्दे पर घरेलू विरोध सहना पड़ सकता है.

रिपोर्टः एएफपी, रॉयटर्स, आभा एम

संपादनः ओ सिंह

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