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ओबामा ने मांगी आईएस के खिलाफ खाड़ी की मदद

२१ अप्रैल २०१६

सऊदी अरब का दौरा कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस्लामिक स्टेट के खिलाफ संघर्ष में सहयोग बढ़ाने के लिए खाड़ी के नेताओं से बातचीत की है. ईरान के साथ परमाणु समझौते के बाद अमेरिका के परंपरागत सहयोगी नाराज हैं.

Saudi-Arabien Barack Obama Gipfelkonferenz des Golf-Kooperationsrates in Riad
तस्वीर: Reuters/K. Lamarque

इलाके के परंपरागत सहयोगी देशों के संभवतः आखिरी दौरे पर ओबामा ने सुन्नी सहयोगियों को उनके धुर दुश्मन शिया ईरान के साथ संबंधों पर आश्वस्त करने की कोशिश की.यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ जब हाल के महीनों में सुन्नी इस्लामी कट्टरपंथी संगठन आईएस के खिलाफ लड़ाई में कामयाबी मिली है. आईएस के लड़ाकों ने इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा कर रखा है. सऊदी अरब और खाड़ी के दूसरे देश अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हैं जो आईएस के ठिकानों पर बमबारी कर रहा था.

जिहादियों पर दबाव बनाए रखने के लिए अमेरिका ने इलाके में और सैनिक साजो सामग्री भेजने की घोषणा की है. राष्ट्रपति ओबामा के साथ गए रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कहा है कि अमेरिका और सैनिकों के साथ अपाचे हेलिकॉप्टर इराक भेजेगा. इसके अलावा अमेरिका ने आईएस से वापस जीते गए शहरों में पुनर्निर्माण पर भी जोर दिया है. उग्रपंथ के अलावा आर्थिक मंदी का सामना कर रहे इराक में कार्टर ने खाड़ी देशों की वित्तीय और राजनीतिक भागीदारी का पक्ष लिया. कार्टर ने कहा कि शिया बहुमत वाले इराक में "बहुजातीय प्रशासन और पुनर्निर्माण" में सुन्नी समर्थन आईएस की पराजय के लिए महत्वपूर्ण होगा.

खाड़ी शिखर सम्मेलन में ओबामातस्वीर: Reuters/K. Lamarque

नाखुश सहयोगी

इलाके के नेता क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए अहम फैसलों की उम्मीद कर रहे हैं लेकिन इलाके की समस्याओं के समाधान में शामिल होने की ओबामा की अनिच्छा से खुश नहीं हैं. ईरान के साथ परमाणु समझौते के बाद उन्हें डर है कि ईरान की इलाके में बड़ी भूमिका निभाने की हिम्मेत बढ़ेगी.

अमेरिका पर सालों से निर्भर रहे सऊदी अरब ने किंग सलमान के सत्ता में आने के बाद विदेश नीति में तत्परता दिखाई है और उनके ताकतवर बेटे प्रिंस मोहम्मद के नेतृत्व में यमन में पिछले 13 महीने से ईरान समर्थित विद्रोहियों के खिलाफ सरकार के समर्थन में सैनिक हस्तक्षेप कर रहा है. ओबामा के सलाहकार रॉब मेली का कहना है कि यमन और सीरिया में क्षेत्रीय विवादों को सुलझाना जरूरी है. अमेरिका का मानना है कि आपसी विवाद सुलझाने के बाद खाड़ी के देश अपना ध्यान आईएस से लड़ने पर लगा पाएंगे. लेकिन न तो यमन में और न ही सीरिया में शांति वार्ताओं में प्रगति हो रही है.

ओबामा और किंग सलमानतस्वीर: Reuters/K. Lamarque

दबाव की रणनीति

सीरिया और इराक में दबाव में आया आईएस इस बीच दूसरे इलाकों में पैर पसारने में लगा है. ब्रिटिश दैनिक टेलिग्राफ ने लीक दस्तावेजों के हवाले से बताया है कि आईएस ने दर्जनों यूरोपीय लड़ाकों को घर वापस जाने की छुट्टी दे दी है. इस खबर के बाद यह आशंका बढ़ गई है कि आतंकी गुट यूरोप में नए हमलों की योजना बना रहा है. आईएस की फाइलों में दर्ज जानकारियों के अनुसार विदेशी लड़ाके बड़ी आसानी से सीरिया में स्वघोषित इस्लामी खिलाफत से बाहर आ जा रहे हैं. ज्यादातर ने अपने आईडी पेपर्स वहीं छोड़ दिए हैं, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि उन्होंने नकली पहचान ले ली है.

उधर भारतीय खुफिया एजेंसियों का कहना है कि पिछले महीनों में हुई कार्रवाई के बाद आईएस के आकाओं ने भारत में अपने संपर्कों से फिलहाल शांत बैठने को कहा है. आईएस के साथ संदिग्ध संबंध रखने वाले लोगों पर नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी की कार्रवाई के बाद इंटरनेट और सोशल मीडिया पर संदिग्ध गतिविधियों में कमी आई है. रिपोर्ट के अनुसार आईएस के वरिष्ट रिक्रूटर शफी अरमार उर्फ युसूफ अल हिंदी ने आतंकी गुट के लिए काम करने वाले भारतीयों से सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधि रोक देने या धीमा कर देने को कहा है.

एमजे/आईबी (एएफपी)

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