ओबामा मिले दलाई लामा से
१८ फ़रवरी २०१०मीडिया की चकाचौंध से दूर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस के मैप रूम में दलाई लामा से मुलाक़ात की. अमेरिकी अधिकारी इस मुलाक़ात को बेहद निजी मुलाक़ात बता रहे हैं, लेकिन चीन ने चेतावनी दी है इससे दोनों देशों के रिश्ते पर असर पड़ सकता है. वैसे चीन और अमेरिका के रिश्ते हाल में तनाव का शिकार रहे हैं. पहले गूगल की सेंसरशिप का मुद्दा और अब दलाई लामा से राष्ट्रपति ओबामा की मुलाक़ात.
जब पिछले साल ओबामा चीन गए तो कहा दोनों देशों के बीच रिश्तों की बुनियाद मज़बूत है. "हमारे रिश्ते सकारात्मक, रचनात्मक और व्यापक है जो अहम मुद्दों पर दूसरे साझेदारियों के लिए भी रास्ता तैयार करते हैं. इनमें आर्थिक संकट से उबरना, स्वच्छ ऊर्जा का विकास, परमाणु निस्त्रीकरण, जलवायु परिवर्तन और एशिया व पूरी दुनिया की शांति और सुरक्षा शामिल है."
चीन के साथ तिब्बतियों की वार्ता का नेतृत्व करने वाले लोदी ग्यारी ने आज की मुलाक़ात के बारे में कहा है कि दलाई लामा राष्ट्रपति ओबामा से अपील करेंगे कि वह ऐसे समाधान तलाशने में मदद करें जो चीन और तिब्बत के लोगों की भलाई में हो. 1950 से चीनी सेना तिब्बत में तैनात है और 1959 में दलाई लामा को भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी. चीन सरकार की नज़र में दलाई लामा एक अलगावादी हैं. हालांकि दलाई लामा बार बार कहते रहे हैं कि वह तिब्बत के लिए आज़ादी नहीं, बल्कि अपने तरीके रहने के लिए पारंपरिक और धार्मिक स्वायत्तता चाहते हैं.
चीन मामलों की जानकार नीना हाशिज्ञान कहती हैं, "अमेरिकी सरकार की सोच में बदलाव नहीं आया है, यह सिर्फ़ मौक़े की बात है. तिब्बत जैसे कई पेचीदा मुद्दों पर अमेरिका और चीन के रिश्तों में मुश्किलें आएंगी ही."
चीन कमोबेश हर विश्व नेता से दलाई लामा की मुलाक़ात पर विरोध जताता है. ओबामा से होने वाली इस मुलाक़ात को टालने की भी वह मांग कर चुका है. चीन का कहना है कि अमेरिका अगर दोनों देशों के रिश्तों को और ख़राब होने से बचाना चाहता है तो इस ग़लत फ़ैसले को वापस ले. अमेरिका ने सिर्फ़ चीन की यह मांग ठुकराई, बल्कि यह भी कहा कि विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भी विदेश विभाग में दलाई लामा से मिलेंगी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ए कुमार
संपादन: महेश झा