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ओमेगा-3 नहीं करते दिल के रोगियों की मदद

१२ अप्रैल २०१२

मछलियों में होने वाले ओमेगा-3 वसा दिल के रोगियों को लाभ पहुंचाते हैं. लेकिन एक अंतरराष्ट्रीय विश्लेषण के बाद वैज्ञानिकों ने कहा है कि टूना और सैलमन में होने वाले ये वसा मरीजों में दिल का दौरा रोकने में मददगार नहीं हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

14 अध्ययनों के विश्लेषण के बाद हुए रिसर्च में कहा गया है कि दिल के मरीजों को ओमेगा-3 वसा से कोई खास फायदा नहीं मिलता है. 20,000 लोगों को या तो फिश ऑयल सप्लीमेंट या बिना फिश ऑयल वाली नकली टैबलेट लेने को कहा गया था. इनमें दिल का दौरा, आघात या मौत की संख्या में कोई अंतर नहीं पाया गया. रिसर्च के नतीजे 'आर्काइव्स ऑफ इंटरनल मेडिसीन' पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं.

दिल संबंधी रोगों में ओमेगा-3 के फायदे पर हुए रिसर्च का नतीजा मिश्रित था. इसमें खासकर ईपीए और डीएचए के नाम से जाने जाने वाले ओमेगा-3 एसिड के फायदों का परीक्षण किया गया जिन्हें या तो टैबलेट के रूप में लिया जा सकता है या सीधे खाया जा सकता है. अमेरिकी हार्ट एसोसिएशन हफ्ते में दो बार ऐसी मछलियों को खाने की सलाह देता है, जिनमें ओमेगा-3 बहुतायत में होता है.

आम धारणा से परे

इस अध्ययन के साथ छपी समीक्षा में बॉस्टन हॉस्पिटल के प्रतिरोधी मेडिसीन विभाग के प्रमुख जोएन मैंसन ने कहा, "आम धारणा है कि फिश ऑयल सप्लीमेंट द्वारा हृदय रोग को रोकने के सबूत हैं, लेकिन हकीकत यह है कि यह सबूत सुसंगत और अंतिम नहीं है." उन्होंने रॉयटर्स हेल्थ को बताया, "यह महत्वपूर्ण मसला है क्योंकि आबादी का बड़ा हिस्सा दुकानों से फिश ऑयल सप्लीमेंट खरीद रहा है."

तस्वीर: Fotolia/JJAVA

कोरिया के रिसर्चरों ने 14 अध्ययनों में निकले नतीजों को एक दूसरे के साथ मिलाया जिसमें उन रोगियों के बारे में जानकारी थी. यह लोग एक से पांच साल तक बिना जाने या तो फिश ऑयल टैबलेट या प्लेसबो टैबलेट लेते थे. इसमें अमेरिका के अलावा भारत, जर्मनी, इटली और यूरोप के दूसरे देशों के रोगियों के बारे में सूचना थी. अधिकांश मरीज पुरुष थे और औसत 65 साल के थे. इस रिपोर्ट का कहना है कि फिश ऑयल लेने वाले मरीजों में दिल से संबंधित इमरजेंसी की उतनी ही संभावना है जितनी वेजिटेबल तेल वाली नकली दवा लेने वालों में.

खाएं या ना खाएं

हॉलैंड की एक स्टडी में दोनों ही दलों के 14 फीसदी लोगों को साढ़े तीन साल के अंदर या तो हार्ट अटैक हुआ या उन्हें स्टेंट लगाना पड़ा. इलसान के नैशनल कैंसर सेंटर के सेउंग क्वोन म्यूंग का कहना है कि जब रिसर्चरों ने फिश ऑयल का ज्यादा डोज लेने वाले मरीजों को देखा तो पाया कि मौत और खून के प्रवाह में दिक्कतों में कोई अंतर नहीं था. म्यूंग का कहना है कि वह दिल की पुरानी बीमारी वाले रोगियों को भावी मुश्किलों को रोकने के लिए स्पलीमेंट लेने की सलाह नहीं देंगे.

बॉस्टन के टुफ्ट यूनीवर्सिटी की न्यूट्रीशन साइंटिस्ट एलिस लिष्टेनश्टाइन कहती हैं कि इस समय नियमित रूप से फिश ऑयल सप्लीमेंट लेने के लिए पर्याप्त सूचना नहीं है. वे इस अध्ययन के साथ जुड़ी नहीं हैं. उनका कहना है कि वर्तमान रिपोर्ट में सप्लीमेंट लेने के कुछ ही सालों का अध्ययन किया गया है जबकि हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसी मुश्किलें विकसित होने में बहुत ज्यादा समय लेती हैं.

जोएन मैंसन का कहना है कि फिश ऑयल के प्रभाव पर लंबे समय के अध्ययनों की जरूरत है. उनका कहना है कि इस समय लोगों को सप्ताह में दो बार ओमेगा-3 वाली मछलियां खाने की सलाह पर अमल करते रहना चाहिए. मैंसन का कहना है, "सप्लीमेंट स्वस्थ आहार का विकल्प नहीं हो सकते, क्योंकि अक्सर मछली जैसा स्वस्थ भोजन रेड मीट जैसे कम स्वस्थ आहार की जगह लेता है." स्वस्थ रहने और बीमारी को रोकने के लिए स्वस्थ आहार और नियमित शारीरिक व्यायाम जरूरी है.

एमजे/आईबी (रॉयटर्स)

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