अदालती लड़ाई हारे सुशील कुमार
६ जून २०१६रियो ओलंपिक के लिए न चुने जाने से नाराज सुशील कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुशील की मांग थी कि उनके और नरसिंह यादव के बीच मुकाबला कराया जाए और उसके आधार पर योग्य खिलाड़ी को रियो ओलंपिक में भेजा जाए.
सोमवार को इस पर फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा, "भारतीय कुश्ती संघ (WFI) ने चयन के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई. हालांकि सुशील मशहूर पहलवान है लेकिन कुश्ती संघ का यह सोचना कि 74 किलोग्राम वर्ग में नरसिंह ज्यादा बेहतर हैं, गैरवाजिब नहीं है."
भारतीय कुश्ती संघ की नियमावली के मुताबिक कोटा देश के लिए होता है न कि किसी व्यक्तिगत पहलवान के लिए. सुशील की दलील थी कि ओलंपिक मुकाबले के लिए पहलवान का चुनाव ट्रायल के आधार पर किया जाए.
अमेरिकी शहर लास वेगस में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में नरसिंह ने कांस्य पदक जीता, जिसके बाद ही उनका रियो का टिकट पक्का हुआ. कुश्ती संघ के मुताबिक उस प्रदर्शन के आधार पर ही यह तय किया गया. इसे वाजिब मानते हुए अदालत ने कहा कि कपट या गैरवाजिब व्यवहार न मिलने पर वह कुश्ती संघ के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देगी.
2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक और 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले सुशील कुमार अब तक 66 किलोग्राम वर्ग में लड़ते आए हैं. लंदन ओलंपिक के बाद वजन से जुड़े नियमों में बदलाव किये गए जिसके चलते सुशील को 74 किलोग्राम वर्ग में आना पड़ा.
2014 में सुशील कुमार ने ग्लासगो में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. लेकिन उसके बाद चोट के चलते उन्होंने किसी बड़े आयोजन में हिस्सा नहीं लिया.
ओएसजे/आरपी (पीटीआई)