1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ओलंपिक के लिए घर से बेदखल होते रूसी

५ सितम्बर २०११

सोची में रहने वाले व्लादिमीर त्काशेंको को उनके घर से निकाल कर उसे ढहा दिया गया. जिस घर को बनाने में उन्हें दशकों लगे उसे खाली करने के लिए महज 11 घंटे का नोटिस मिला. ये सब हुआ ओलंपिक के लिए सड़क बनाने की खातिर.

तस्वीर: RIA Novosti

त्काशेंको को इस तरह से बेइज्जत कर घर निकाले जाने की घटना ने सोची समुदाय के लोगों को सावधान कर दिया है. सोची में ओलंपिक के आयोजन का तैयारी के लिए जो कुछ बुरा हो रहा है उसमें यह ताजा घटना है. दो बच्चों के पिता त्काशेंको के साथ इस दौरान सरकारी अधिकारियों ने हाथापाई भी की और उन्हें डॉक्टर की मदद लेनी पड़ी. तीन मंजिली इमारत के मलबे में तब्दील होने के करीब एक हफ्ते बाद समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में त्काशेंको ने कहा, "यह असल फासीवाद है, सबसे दुखद ये है कि हम लोकतांत्रिक देश में हैं, जिस तरह से लोगों के साथ व्यवहार किया जा रहा है उससे तो लगता है कि हम किसी असभ्य देश में हैं. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है मैं बिखर गया हूं."

खेल के लिए निर्माण

2014 का विंटर ओलंपिक रूस के दक्षिणी रिसॉर्ट सोची में होना है. इसके लिए यहां खेल और यातायात की बेहतर सुविधा बनाने के लिए बड़े पैमाने पर निर्माण काम शुरू किया गया है. आयोजकों पर काम समय से पूरा करने का भी दबाव है ऐसे में बेहतर रिहायश और खेतीबाड़ी के अनुकूल रहा ये इलाका कराह उठा है. खेल की तैयारियों का जायजा लेने आए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ के अधिकारियों ने रूसी सरकार की कोशिशों के लिए उनकी तारीफ की है. उनका कहना है कि सरकार की कोशिशों से काले सागर से लगते इस शहर का फिर से निर्माण हो रहा है और भविष्य में यह खेलों की राजधानी के रूप में विकसित हो सकेगा. उनका तो ये भी कहना है कि खेल का आयोजन शहर की अर्थव्यवस्था में भी जान फूंक रहा है.

शहर में स्टेडियम और सड़कों की जगह बनाने के लिए 1000 परिवारों को अपना घर छोड़ना पड़ा है. इसी साल अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ को मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच की तरफ से पत्र लिख कर बताया गया कि ज्यादातर मामलों में लोगों को जबरदस्ती मकान बेचने पर विवश किया गया है और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता कहीं नहीं है.

प्रशासन की दलील

सोची के प्रशासन से जब इस बारे में प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. इसके उलट अधिकारियों ने बार बार यही दोहराया कि जिन लोगों को घरों से निकाला गया है उन्हें मान्य दस्तावेजों से उनके मालिकाना हक की पुष्टि के बाद वाजिब मुआवजा दिया गया है. डिप्टी गवर्नर एलेक्जेंडर सॉरीन ने इसी हफ्ते एक पत्रिका से कहा, "जिनके पास कुछ भी दस्तावेज है हम उन्हें पर्याप्त मुआवजा दे रहे हैं. लेकिन अगर आपके पास कुछ नहीं है तो दुर्भाग्य से हम कोई समाजसेवा करने नहीं नहीं आए हैं."

त्काशेंको परिवार के मामले में कोई खरीद बिक्री नहीं हुई. एक स्थानीय अदालत ने उनके मकान को गैरकानूनी घोषित कर दिया और फिर उन्हें कुछ नहीं मिला. व्लादिमीर को इस फैसले की लिखित कॉपी मिलती उससे एक दिन पहले ही सरकारी अधिकारी उनके घर धमक गए. त्काशेंको ने बताया, "उनकी कारों पर लाइसेंस प्लेट नहीं थी, उन लोगों ने न तो अपना परिचय दिया न ही मुझे कोई दस्तावेज दिखाया. वो जबरदस्ती मेरे घर में घुस गए."  त्काशेंको का कहना है कि सोची प्रशासन ने 1996 में उन्हें घर बनाने की अनुमति दी थी. त्काशेंको का घर गिराए जाने के बाद इलाके में रहने वाले दूसरे लोग भी आशंकाओं में घिर गए हैं. उनके पड़ोस में रहने वाली नताल्या गोर्डियेंको ने बताया, "कोर्ट ने मेरा घर जब्त करने और बैंक में मेरे नाम पर 16 लाख रूबल जमा करने का आदेश दिया है  जिसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता."  दूसरे स्थानीय लोगों की तरह उनका भी यह कहना है कि ये पैसा उनके किसी काम का नहीं क्योंकि इससे शहर में एक छोटा सा फ्लैट भी नहीं मिलेगा. यहां जमीन और मकान की कीमतें आसमान छू रही हैं. दो बच्चों और एक बूढ़ी मां के साथ रह रहीं गोर्डियेंको को अब बेघर होने का डर सता रहा है. त्काशेंको की हालत देख कर उन्होंने कि सस्ते किराए पर घर ढूंढना शुरू कर दिया है पर अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिली है.

मुआवजे के लिए भागदौड़

नवंबर से ही वो अपने मकान का उचित मुआवजा हासिल करने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रही हैं और इस कोशिश में उनका काफी पैसा भी खर्च हुआ. गोर्डियेंका का कहना है, "मैं ज्यादा कुछ नहीं मांग रही हूं, हमें बस वैसा ही घर दे दो हम चले जाएंगे." प्रशासन की तरफ से उन्हें सागर किनारे उनके घर के बदले में यहां से 10 किलोमीटर दूर एक कमरे का मकान देने की पेशकश की गई जिसे लेने से उन्होंने इनकार कर दिया. 

लोगों की अनदेखी

सोची के लोगों का संकट निश्चित योजना की कमी, कानूनी लापरवाही और दशकों से चले आ रहे संपत्ति के विवादों की वजह से पैदा हुआ है. स्थानीय लोग बताते हैं कि जब तक अधिकारियों को मोटी घूस न दी जाए किसी के लिए भी जमीन की रजिस्ट्री करा पाना नामुमकिन है. सोची की सिटी प्लानिंग काउंसिल के लिए काम करने वाले वालेरी सुखोव ने स्थानीय लोगों की समस्याएं सुनी हैं. वो कहते हैं, "जमीन खाली कराने की प्रक्रिया में लोगों को पूरी तरह से गायब कर दिया गया है. किसी ने नहीं पूछा कि लोग क्या चाहते हैं. ऐसे भी मामले हुए हैं कि सेटेलाइट की तस्वीरों के जरिए मकान का चुनाव कर लिया गया है और चिट्ठी लिख कर उन्हें घर खाली करने का फरमान सुनाया गया."

ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है, "सही संतुलन और मानवाधिकार के मानकों का पालन नहीं किया गया है." ह्यूमन राइट्स वॉच का ये भी कहना है कि मानवाधिकारों की यूरोपीय अदालत कई मामलों में रूस के खिलाफ फैसला सुना सकती है.

रूस के लिए ओलंपिक की मेजबानी रूसी प्रधानमंत्री की निजी कोशिशों का नतीजा है. विंटर ओलंपिक के बाद प्रधानमंत्री की कोशिशों से रूस ने 2014 में फॉर्मूला वन ग्रां प्री और 2018 में फुटबॉल वर्ल्ड कप की मेजबानी भी हासिल कर ली है. मुश्किल ये है कि इन आयोजनों के लिए निर्माण की कीमत देश की जनता और पर्यावरण के माथे पर है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः आभा एम

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें