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ओलंपिक में आतिशबाजी से परहेज

२५ अक्टूबर २०१०

ओलंपिक खेलों के उद्धाटन और समापन समारोह में आतिशबाजी बंद करने पर विचार चल रहा है. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति का कहना है कि रंग बिरंगी आतिशबाजी के नाम पर प्रदूषण होता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है.

परंपरा है आतिशबाजीतस्वीर: AP

आतिशबाजी की परंपरा पर रोक लगाने पर विचार किया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष जैक्स रोजे ने कहा, ''अभी मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हम आतिशबाजी पूरी तरह खत्म कर देंगे. लेकिन इस बारे में गंभीरता से विचार किया जा रहा है.''

प्रदूषण है आतिशबाजीतस्वीर: AP

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े संगठन इस बारे में ओलंपिक समिति पर दबाव बनाए हुए हैं. वहीं श्रीलंकाई ओलंपिक समिति ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर आतिशबाजी का विकल्प रखा है. श्रीलंकाई अधिकारियों के मुताबिक बारूद के धुएं की जगह भव्य लेजर शो ले सकता है.

श्रीलंकन ओलंपिक समिति के महासचिव ने मैक्सवेल डी सिल्वा ने कहा, ''पर्यावरण, पर्यावरण है. इसका सबको ख्याल रखना चाहिए. हमें कोशिश करनी चाहिए कि सभी कि राय सुनी जाए और स्वच्छ खेलों की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. या तो स्वच्छ खेल या खेलों के जरिए प्रदूषण.''

जलवायु परिवर्तन से जुड़े ब्रिटेन और नॉर्वे के कई संगठनों ने ओलंपिक समिति की इस पहल का स्वागत किया है. दुनिया के कई देशों में रंगारंग आतिशबाजी करने की परंपरा है. आकाश को जगमग करने के लिए बनाए जाने वाले पटाखों में कम से कम 21 तरह के रसायन मिलाए जाते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि 20 मिनट की आतिशबाजी पर्यावरण को एक लाख कारों से ज्यादा नुकसान पहुंचाती है.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: वी कुमार

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