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ओलंपिक में एशिया का दबदबा

१० अगस्त २०१२

ओलंपिक खेल भले ही एक यूरोपीय देश में हो रहे हों लेकिन यहां एशियाई खिलाड़ियों की तूती बोल रही है. कहने की जरूरत नहीं कि इसका नेतृत्व चीन के हाथ में है. हर तीसरा स्वर्ण पदक एशियाई देश के पास जा रहा है.

तस्वीर: picture alliance / dpa

चीन ने तो पदक तालिका में तहलका ही मचा दिया है. लेकिन उसके अलावा दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, जापान और कजाकिस्तान ने भी पदकों की बारिश कर दी है. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ के वाइस प्रेसिडेंट थोमस बाख कहते हैं, "खेलों में एशिया का रोल सचमुच बहुत ज्यादा बढ़ गया है. ठीक वैसे ही, जैसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति या अर्थव्यवस्था में. यह बात साफ हो गई है कि उनका लक्ष्य क्या है और इस वजह से उन्हें पदक भी मिल रहे हैं."

पिछली बार का ओलंपिक बीजिंग में खेला गया था और मेजबान देश चीन ने 51 स्वर्ण सहित 100 पदक जीते. इसके बाद उनके सामने इस बात को साबित करने की चुनौती थी कि बीजिंग ओलंपिक में इतने पदक सिर्फ तुक्का नहीं थे.

लंदन ओलंपिक में यह खेल की 26 विधाओं में से चीन 23 में हिस्सा ले रहा है और खेल खत्म होने से दो दिन पहले तक इसके लगभग चार सौ एथलीटों ने मिल कर 37 स्वर्ण के सहारे 80 पदकों का भंडार जमा कर लिया है. शुरू से लेकर अभी तक चीन पहले नंबर पर रहा, सिर्फ दो बार अमेरिका उससे आगे निकलने में कामयाब हुआ. फिलहाल अमेरिका के पास चीन से दो ज्यादा स्वर्ण पदक हैं.

चीन की जिमनास्ट डेंग लिनलिन एक शानदार मुद्रा मेंतस्वीर: Getty Images

चीन ने इससे पहले 2004 के एथेंस ओलंपिक में 32 स्वर्ण, 17 रजत और 14 कांस्य पदक हासिल किए. वह इस प्रदर्शन को बेहतर कर चुका है. चीन की ऐसी कामयाबी कई लोगों को खटक भी रही है और ऐसे में उस पर डोपिंग के इलजाम भी लग रहे हैं.

लेकिन लंदन की एंटी डोपिंग एजेंसी ने खुल कर चीन का समर्थन किया है और उसने कहा है कि चीन की एंटी डोपिंग एजेंसी ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का भली भांति पालन किया है. इसने एजेंसी को यह जानकारी भी दी है कि एथलीट कहां रह रहे हैं.

लेकिन जब 16 साल की ये शिवेन ने तैराकी में अपना प्रदर्शन सात सेकंड बेहतर कर लिया तो अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने सवाल उठाने शुरू कर दिए कि कहीं ऐसा तो नहीं कि चीन कुछ हथकंडे अपना रहा है. लेकिन एथलीट और अधिकारियों ने सबको करारा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि एक अरब 30 करोड़ की आबादी से उन्होंने प्रतिभाओं को निकाला और कड़े प्रशिक्षण से उन्हें तराशा है. ऐसे में वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ एथलीट बनने का हक रखते हैं.

दक्षिण कोरिया के जिन जोनगोह ने निशानेबाजी में 50 मीटर पिस्तौल का सोना जीतातस्वीर: Reuters

दक्षिण कोरिया का कहना है कि उसका सपोर्ट सिस्टम इतना अच्छा है, जो एथलीटों के बहुत काम आ रहा है. ओलंपिक टीम को वायरलेस प्रोवाइडर एसके टेलीकॉम स्पांसर कर रहा है. जो खेल दक्षिण कोरिया में बहुत ज्यादा लोकप्रिय नहीं हैं, उन्हें भी स्पांसर मिल रहे हैं. जैसे, एथलेटिक्स, निशानेबाजी या भारोत्तोलन. और इन खेलों में देश को सोना भी मिल रहा है. कोरिया ने एलान किया था कि वह 10 स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य रखता है, जो उसने बहुत पहले ही पा लिया है.

जापान ने भी पांच स्वर्ण पदक जीत कर अच्छी जगह बनाई है. वह 2020 ओलंपिक का प्रबल दावेदार है. मैड्रिड, इस्तांबुल और टोक्यो इस खेल के दावेदार हैं. एशिया के दूसरे देश कजाकिस्तान ने भी छह स्वर्ण पदक जीत कर तहलका मचा दिया है. उत्तर कोरिया के चार स्वर्ण हैं.

एजेए/एमजी (डीपीए)

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