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ओलंपिक में गड़बड़झाला

११ अगस्त २०१२

तकनीकी गड़बड़ी के कारण शुक्रवार को जर्मनी की बेट्टी हाइडलर का पदक जीतने का सपना अधूरा रहता. अब पता चला है कि इसकी वजह कम्प्यूटर की गड़बड़ी से ज्यादा चेतावनी पर जूरी का ध्यान न देना था.

तस्वीर: Reuters

कम्प्यूटर एक ही दूरी पर एक से ज्यादा बार फेंके गए गोले को रजिस्टर करने के लिए तैयार नहीं था. हाइडलर से पहले गोला फेंकने वाली रूस की तात्याना लिसेंको ने भी 77.12 मीटर की दूरी पर गोला फेंका था. इसलिए कंप्यूटर ने हाइडलर के नतीजे को रजिस्टर नहीं किया.

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रवक्ता मार्क एडम्स ने शनिवार को कहा, "आईएएएफ ने मुझसे जो कहा है, मेरी समझ में यह है, जो हुआ वह पहले कभी नहीं हुआ था. इसलिए सिस्टम ने उसे नहीं पहचाना."  प्रतियोगिता के कम्प्यूटर को इस तरह से प्रोग्राम किया गया था कि एक के बाद एक फेंकी गई दूरी को स्वाभाविक रूप से गलती माना जा रहा था.

तस्वीर: Getty Images

हाइडलर की दूरी को स्कोरबोर्ड पर दिखाया ही नहीं गया. बाद में थोड़ी देर के लिए हाइडलर के नाम पर 72.34 की दूरी दिखाई गई जो दरअसल उनके बाद आई मोलदोवा की एथलीट जलीना मार्गिएवा द्वारा फेंकी गई दूरी थी.

हाइडलर ने तुरंत विरोध किया लेकिन उनकी नहीं मानी गई और उनसे दुबारा गोला फेंकवाया गया. काफी बहस के बाद प्रतियोगिता खत्म होने के बाद ही गलती सुधारी गई और सही नतीजा स्वीकार किया. उसके बीच दूरी मापने के लिए एक फीते का भी इस्तेमाल किया गया.

जब तक यह सब हुआ तबतक चीन की झांग वेनशिऊ खुद को कांस्य पदक विजेता मानती रही और वह पदक लेने के लिए तैयार हो रही थी. स्वाभाविक रूप से चीन ने भी हाइडलर के नतीजे को माने जाने के बाद विरोध जताया क्योंकि असली नतीजे को माने जाने के बाद वह आठवें से तीसरे स्थान पर आ गई और कांस्य पदक की हकदार बन गई. चीन के विरोध को ठुकरा दिया गया.´

तस्वीर: Getty Images

जर्मन अधिकारियों का कहना है कि इस शर्मनाक स्थिति से बचा जा सकता था, यदि प्रतियोगिता करा रहे अधिकारियों ने नतीजा नहीं दिखने के बाद प्रतियोगिता रोक दी होती. हाइडलर ने कहा कि यह उनके खेल जीवन की सबसे विचित्र घटना है.

जर्मन कैंप में इस घटना से खलबली मच गई थी. छह दिन पहले लिली श्वार्त्सकॉप्फ को हेप्टाथेलॉन मुकाबले में 800 मीटर के बाद अयोग्य ठहरा  दिया गया था क्योंकि जूरी के मुताबिक वह ट्रैक से बाहर निकल गई थी. बाद में वीडियो रिप्ले देखने के बाद जूरी ने माना कि गल्ती श्वार्त्सकॉप्प के पीछे चल रही एथलीट से हुई थी. इसके बाद श्वार्त्सकॉप्प को रजत पदक मिला.

बाद में श्वार्त्सकॉप्फ ने कहा कि आप इसकी तुलना सिर्फ नरक से कर सकते हैं, इस पर आप विश्वास नहीं कर सकते. अच्छी बात रही कि पदक देने से पहले ही गलती सुधार ली गई और किसी खिलाड़ी को अपना पदक वापस नहीं करना पड़ा.

एमजे/एनआर (डीपीए)

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