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ओलंपिक संघ में दागी चुने गए

६ दिसम्बर २०१२

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति से निकाले जाने के बाद भी भारतीय ओलंपिक संघ में विवादित भनोट को चुन लिया गया. उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं था. भारत को ओलंपिक में हिस्सा लेने से रोक दिया गया है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

ओलंपिक समिति (आईओसी) ने खास तौर पर भनोत का जिक्र करते हुए कहा था कि उन पर 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में दाग लग चुका है और उन्हें भारतीय ओलंपिक संघ में पद नहीं मिलना चाहिए. इसी आधार पर भारत की सदस्यता खारिज कर दी गई है. इसके बाद भी बुधवार को भारत में चुनाव हुए और भनोत को चुन लिया गया. आईओसी पहले ही कह चुका है कि वह इस चुनाव को नहीं मानता.

भारतीय ओलंपिक संघ में बॉक्सिंग फेडरेशन के प्रमुख अभय चौटाला को अध्यक्ष के पद पर चुन लिया गया. अभी तक वीके मल्होत्रा इस पद पर कामचलाऊ अध्यक्ष थे. इसी तरह भनोट को भी महासचिव पद के लिए चुना गया. उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं हुआ. भारतीय संघ अंतरराष्ट्रीय संस्था और भारतीय कानून के बीच पिस कर रह गई. जहां एक तरफ आईओसी कहना था कि दागी उम्मीदवारों को पद नहीं मिलना चाहिए, वहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि भारत में चुनाव भारतीय कानून के तहत होने चाहिए.

चौटाला का कहना है, "मैं इस बात को दोहराना चाहता हूं कि चुनाव करा कर हमने कुछ भी गलत नहीं किया है. हमने अपने देश के कानून का पालन किया है." वहीं बिना किसी विरोध के महासचिव चुने गए भनोट का कहना है कि अगर उन्हें दोषी करार दिया जाता है तो वह पद छोड़ देंगे, "मैं दोषी करार नहीं दिया गया हूं. मैं इस पद को बिलकुल छोड़ दूंगा, अगर दोषी करार दिया गया."

भनोट पहले भी संघ के महासचिव रह चुके हैं. लेकिन 2010 में कॉमनवेल्थ खेल घोटाले के बाद उनका नाम आया और उन्हें 11 महीने तक जेल में बिताने पड़े. वह फिलहाल जमानत पर बाहर हैं और आरोप अब भी खत्म नहीं हुए हैं. अक्टूबर में आईओसी की नैतिकता समिति ने साफ तौर पर कहा था कि जिन लोगों के नाम कॉमनवेल्थ घोटाले में हैं, उन्हें भारतीय संघ में पद नहीं दिया जाना चाहिए. सुरेश कलमाड़ी पहले संघ के अध्यक्ष थे लेकिन इस बार उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा. उनकी जगह अभय चौटाला को बिना किसी विरोध के चुन लिया गया.

तस्वीर: DW

चुनाव के बाद आईओसी ने कहा कि वह इसे नहीं मानते हैं. प्रवक्ता मार्क एडम्स का कहना है, "उन चुनावों की कोई अहमियत नहीं है. हमारे लिए वह किसी काम के नहीं हैं. वे जो चाहें कर सकते हैं लेकिन हम इसे मान्यता नहीं देते हैं."

ओलंपिक समिति से बाहर होने के बाद भारतीय झंडे के तहत देश के खिलाड़ी ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले पाएंगे. भारत को समिति की तरफ से मिलने वाली सारी मदद बंद हो जाएगी और उसके अधिकारी ओलंपिक समिति की किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं ले पाएंगे.

एजेए/एनआर (एएफपी, डीपीए, रॉयटर्स)

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