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ओसामा के भरोसे चुनाव में ओबामा

३० अप्रैल २०१२

जिन्हें लगता है कि कीचड़ उछालने का काम सिर्फ भारत के चुनाव में होता है, वे जान लें कि अमेरिका उनसे आगे है. ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के एक साल बाद उसका भूत अमेरिकी चुनाव में सिर चढ़ कर बोल रहा है.

तस्वीर: AP

राष्ट्रपति बराक ओबामा की पार्टी ने बिलकुल फिल्मी अंदाज में एक वीडियो तैयार किया है, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन मौजूदा राष्ट्रपति की तारीफ के कसीदे गढ़ रहे हैं. कह रहे हैं कि उन्होंने नेवी सील के जवानों को पाकिस्तान घुस कर ओसामा बिन लादेन को मार गिराने का आदेश देकर कितना महान काम किया. विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के मिट रोमनी और पिछली बार के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जॉन मैकेन ने इसे शर्मसार करने वाली घटना बताया है कि बिन लादेन के मुद्दे को राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

करीब डेढ़ मिनट के वीडियो में क्लिंटन कह रहे हैं, "उन्हें फैसला करना था. आप राष्ट्रपति किसलिए चुनते हैं. इसलिए कि जब कोई और फैसला न ले सके, तो वह फैसला ले." पिछली बार का चुनाव "यस, वी कैन" के नारे पर लड़ने वाले ओबामा के इस प्रचार वीडियो का नाम "वन चांस" दिया गया है. इसमें व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम की तस्वीरें इस्तेमाल की गई हैं और मिट रोमनी के 2008 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले उम्मीदवारी के दौरान दिए गए उस बयान का जिक्र किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक शख्स को पकड़ने पर अरबों डॉलर का खर्च कौन सी अकलमंदी है.

तस्वीर: AP

पूर्व राष्ट्रपति क्लिंटन ने ओबामा की तारीफ करते हुए कहा है कि यह एक बेहद जटिल फैसला था कि पाकिस्तान की सीमा में जाकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया जाए. अगर वहां बिन लादेन न होता, तो पता नहीं क्या होता. उन्होंने कहा, "सोचिए कि अगर वहां बिन लादेन न होता. यह भी सोचिए कि अगर नेवी सील के जवान पकड़े जाते या मारे जाते. उनके लिए क्या होता. लेकिन उन्होंने ईमानदारी से काम लिया और एक मजबूत फैसला किया. मेरी नजर में सर्वश्रेष्ठ नतीजा आ गया."

बात सिर्फ वीडियो संदेश तक ही नहीं, उप राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी ओसामा बिन लादेन के मुद्दे को चुनाव से पहले भुनाना शुरू कर दिया है. उन्होंने एक प्रचार में कहा, "अगर आप जानना चाहते हैं कि राष्ट्रपति ओबामा का कार्यकाल कैसा रहा, तो मैं बताता हूं. आज ओसामा बिन लादेन मर चुका है और जनरल मोटर्स जिंदा है."

बराक ओबामा ने अल कायदा के मुद्दे का राजनीतिक फायदा उठाने के लिए व्हाइट हाउस के गुप्त सिचुएशन रूम को भी खोल दिया. उन्होंने यहां एक टीवी चैनल को इंटरव्यू देने का फैसला किया. आम तौर पर इस सिचुएशन रूम के बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती.

पिछली बार ओबामा से मुकाबला करने वाले रिपब्लिकन पार्टी के जॉन मैकेन ने इस मुद्दे पर सीधा सवाल किया है, “बराक ओबामा को शर्म आनी चाहिए कि वह सितंबर 2001 के मामले की याद दिला रहे हैं और ओसामा बिन लादेन के मारे जाने की बात को सस्ती राजनीति के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.”

तस्वीर: Fotolia/Dawngo

जहां ओबामा अल कायदा के मुद्दे को लेकर अपनी पीठ ठोंकने से बाज नहीं आ रहे, वहीं उनके बयानों से बार बार 9/11 के आतंकवादी घटनाओं के दृश्य जेहन के सामने आ रहे हैं. आम अमेरिकी इन तस्वीरों को याद नहीं करना चाहता है. और अगर ओबामा इसे उपलब्धि ही गिनाना चाहते हैं तो फिर उन्हें ग्वांतानामो की जेल के बारे में भी जिक्र करना चाहिए. उन्होंने पद स्वीकार करने से पहले ही एलान कर दिया था कि अमेरिका अपनी इस गैरकानूनी जेल को बंद कर देगा, जो 10 साल पहले क्यूबा की जमीन पर खुली थी.

ओबामा ने इसके लिए कानून में संशोधन भी किया. उस पर दस्तखत भी किए और एक साल में जेल बंद करने का संकल्प भी दिखाया. लेकिन बाद में राजनीति और दूसरे सहयोगी देशों की बेरुखी के बाद उन्हें फैसला वापस लेना पड़ा. ग्वांतानामो की जेल उन्हें दूर से आज भी मुंह चिढ़ा रही है, जहां अमेरिका के मुताबिक खूंखार कैदी रखे गए हैं, जिनमें 9/11 का मुख्य साजिशकर्ता खालिद शेख मोहम्मद भी है.

राष्ट्रपति ने बेरोजगारी दूर करने का भी सब्जबाग दिखाया था. आज अमेरिका में बेरोजगारी का स्तर पिछले कई सालों से ज्यादा है. घरों का कर्ज न चुका पाने की हालत में लोगों को घर छोड़ कर जाना पड़ रहा है. लेकिन जाहिर है राष्ट्रपति इन मुद्दों को तो नहीं उभारेंगे. राजनीति और चुनाव में उन्हीं बातों को उछाला जाता है, जिनसे फौरन फायदा मिले. शायद उनके रणनीतिकार इसीलिए ओसामा बिन लादेन के भूत को बार बार सामने ला रहे हैं. शायद उसके नाम पर उठने वाली सिहरन एक वोट दिला दे.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ (एएफपी, रॉयटर्स)

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी

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