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कंप्यूटरों पर लेक्चर का अनुवाद देखेंगे छात्र

२६ जून २०१२

जर्मन जानने वालों को पता है कि इस भाषा को सीखना और इसे बोल पाना कितना मुश्किल है. अब एक जर्मन विश्वविद्यालय ने इसका हल ढूंढ निकाला है, जिससे कि जर्मन समझ भी आए और इसे सीखने की जरूरत भी न हो.

तस्वीर: Fotolia/Robert Kneschke

कार्ल्सरूहे तकनीकी इंस्टीट्यूट के छात्र अब जल्द ही अपने जर्मन प्रोफेसरों की बातें समझ सकेंगे. इंस्टीट्यूट ने एक नई तकनीक खोज निकाली है जिससे की कोई भी लेक्चर आराम से अंग्रेजी में अनुवादित हो जाएगा. लैपटॉप को चलाते ही छात्र अपने अध्यापकों की बातों को समझ पाएंगे और फिल्म में जिस तरह स्क्रीन पर सबटाइटल आते हैं, उसी तरह लेकचर का अनुवाद लैपटॉप की स्क्रीन पर दिखाई देगा. इसको सीधे लाइवस्ट्रीम के जरिए देखा जा सकेगा जिसका मतलब है कि छात्रों को कोई खास प्रोग्राम डाउनलोड करने की जरूरत भी नहीं होगी. इंटरनेट एक्सप्लोरर जैसे किसी भी ब्राउजर में इसे देखा जा सकेगा.

इस तकनीक को विकसित करने वाले आलेक्सांडर वाइबेल कहते हैं कि वह 20 साल से इस पर काम कर रहे हैं. उन्होंने स्मार्ट फोन के लिए भी अनुवाद प्रोग्राम बनाया है. लेकिन लेक्चर को ट्रांसलेट करने में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. कहते हैं, "इसमें इस्तेमाल किए जा रहे शब्द, मुहावरे और स्थानीय भाषा की खासियत, यह सब नया था." वाइबेल के लिए प्रोफेसरों के बोलने की गति एक बड़ी परेशानी थी क्योंकि वह बहुत ही तेज बोलते हैं और कई बार रुकते भी नहीं. तो प्रोग्राम को पता ही नहीं चल पाता था कि एक वाक्य कहां खत्म हो रहा है. इस वक्त वाइबेल की टीम सारे विषयों के लिए सॉफ्टरवेयर बनाने पर काम कर रही है.

माना जा रहा है कि इस तरह के अनुवादों से विदेशी छात्रों को जर्मन विश्वविद्यालयों की ओर आकर्षित किया जा सकेगा. जर्मन विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे बेहतरीन शिक्षा संस्थानों में गिने जाते हैं लेकिन जर्मन भाषा को सीखने की चुनौती से डर कर कई छात्र यहां आना पसंद नहीं करते. अमेरिका में 50 प्रतिशत छात्र विदेशों से आते हैं. कार्ल्सरूहे इंस्टिट्यूट में ही 16 प्रतिशत छात्र जर्मन भाषी नहीं हैं और इनमें से कई अभी से अनुवाद प्रोग्राम का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस वक्त केवल चार विषयों के लिए यह प्रोग्राम उपलब्ध है लेकिन जल्द ही सारे छात्र इसका फायदा उठा पाएंगे.

तस्वीर: Fotolia/Robert Kneschke

जर्मनी में इस वक्त लगभग 5,000 भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं. इसके मुकाबले अमेरिका में लगभग एक लाख भारतीय छात्र विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं. अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में अंग्रेजी की वजह से ज्यादातर भारतीय छात्र वहां जाना पसंद करते हैं.

रिपोर्टः ग्रेटा हामान/एमजी

संपादनः आभा मोंढे

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