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समाज

कंबोडिया की बीवी खरीदते चीनी पुरुष

१७ दिसम्बर २०१८

हर साल लाखों महिलाएं कंबोडिया से चीन शादी करने के लिये भेजी जाती है. कई अपनी पसंद से जाती हैं और बाकी को बेच दिया जाता है. कंबोडिया की महिलाओं ने गरीबी से बचने के लिये शादी का रास्ता अपनाया है.

Kambodscha Textilarbeiterin
तस्वीर: Getty Images/O.Havana

नैरी की शादी एक चीनी आदमी से हुई थी, उससे सभी को फायदा हुआ सिवाए नैरी के, जो छह साल बाद अपने देश कंबोडिया लौटी है. नैरी का एक बेटा भी है जिसे फिर से देखने की उम्मीद नैरी में बहुत कम है. जब नैरी सत्रह साल की थी तब उसके भाई ने उसे चीन भागने और वहां शादी करने के लिए फुसलाया.

इसके बाद उसका भाई दो लाख रुपये लेकर भाग गया, बाकी के पांच लाख रुपये जो नैरी के चीनी पति ने दिये थे वो दलालों ने ले लिए. नैरी की शादी घर से हजारों मील दूर एक ऐसे आदमी से हुई थी जिसकी वो भाषा भी नहीं समझती थी. नैरी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "वो मेरे लिये कोई खास दिन नहीं था." नैरी कंबोडिया, वियतनाम, लाओस और म्यांमार की उन हजारों युवतियों में से है, जो हर साल चीनी पुरुषों से शादी करने जाती हैं.

देखिए कहां किस उम्र में शादी कर सकते हैं

बीजिंग में तीन दशक लंबी चली एक बच्चा नीति की वजह से लड़कियों की कमी हो गई है. हालांकि नीति को समाप्त कर दिया गया है मगर अभी भी लगभग 3.3 करोड़ महिलाओं की कमी हैं जिससे पुरुषों का जीवन भी रुक गया है. मेकॉन्ग क्षेत्र की कई लड़कियां गरीबी, कम शिक्षा और समाज के दवाब के कारण शादी करने का जुआ खेलती है. कुछ लड़कियां काम करने के लिए निकलती हैं मगर उनकी भी जबरदस्ती शादी करा दी जाती है. अपहरण और तस्करी के मामले में सामने आते हैं. कई बार महिलायों को चीनी आप्रवासन के तहत हिरासत में ले लिया जाता है या देह व्यापार की दुनिया में धकेल दिया जाता है.

कंबोडिया का स्थानीय बाजारतस्वीर: DW/S. Bandopadhyay

नैरी ने अपने भाई के कहने पर एक शादी कराने वाले दलाल से बात की थी. नैरी ने बताया, "मैंने उसका भरोसा किया था, मेरा परिवार गरीब है और मैंने सोचा था की मैं चीनी आदमी से शादी करके अपने परिवार की मदद करूंगी. मैं इसी लिए गई थी." नैरी को जो पैसा दहेज में मिला था वह उसका भाई लेकर फरार हो गया.

चीन में शादी करने के लिए सात से ग्यारह लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं. जिसमें से दलाल कुछ पैसा दुल्हन लाने के लिए अपने विदेशी सहयोगी को देते हैं. दहेज के नाम पर लड़की के परिवार को दो लाख रुपये तक दिए जाते हैं, इसी में से लड़की को भी कुछ पैसे मिलते हैं.

कंबोडिया के काउंटर ट्रैफिकिंग के राष्ट्रीय समिति के उपाध्यक्ष चौउ बुन इंग कहते हैं, "अब परिवार अपनी लड़कियों से उम्मीद कर रहे हैं कि वो कैसे उनके लिये पैसे कमा सकती हैं. शादी का कारोबार बहुत बड़ा है, अगर सरकारी आंकड़े माने तो चीन के दो दक्षिणी प्रांतों में ही 10 हजार कंबोडियाई महिलाओं ने शादी करने के लिए पंजीकरण कराया है.

दुल्हनों को चीन पहुंचाने के बाद एक जगह पर रखा जाता है और उनकी तस्वीरों को वीचैट और दूसरी डेटिंग वेबसाइटों पर दिखाया जाता है. शादी के इच्छुक चीनी पुरुष इन्हीं वेबसाइटों के जरिए अपने लिए युवती चुनते हैं. लड़की जितनी सुंदर और जवान होगी, उसके लिए उतनी ही ज्यादा कीमत चुकाई जाती है.

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अगर किसी भी महिला के लिए पैसा दिया जाये, उसे खरीदा बेचा या सीमा पार भेजा जाए और यह सब अगर उस महिला की सहमति से भी हो तो भी उस महिला को तस्करी का शिकार माना जाता है. कंबोडिया में तस्करी करते पकड़े जाने पर पंद्रह साल की जेल हो सकती है और अगर लड़की नाबालिग हैं तो और कैद की सजा और भी लंबी हो सकती है. मगर ऐसा बहुत कम होता है कि कोई दलाल पकड़ा जाए.

रिपोर्टों के मुताबिक दलाल लड़कियों को चुप रहने के लिए चार लाख रुपये तक देते है. चीन में भी तस्करी के खिलाफ कानून हैं, लेकिन उसको लागू करना मुश्किल है क्योंकि चीन में पारिवारिक मामलों को ज्यादा महत्व दिया जाता है.

व्यवस्था को सुधारने के लिए कंबोडिया में शादी करने वाले विदेशी पुरुषों से कहा जाता है कि कंबोडिया के स्थानीय कानून के तहत शादी करें, सहमति और आयु प्रमाण पत्र दें. लेकिन गरीबी में घिरे परिवार तस्करों और दलालों के झांसे में आ ही जाते हैं.

एनआर/आरपी (रॉयटर्स)  

कम्बोडियन छात्रातस्वीर: Getty Images/L. DeCicca
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