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नाम से नहीं लॉर्ड कह कर पुकारना होगा

वीके/आरपी (एपी)१२ मई २०१६

कंबोडियाई मीडिया दशकों से अपने प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री हुन सेन लिखता और बोलता आया है. लेकिन चेतावनी मिल गई है कि ऐसा नहीं चलेगा. अगस्त से मीडिया को प्रधानमंत्री के लिए पूरा छह शब्द का टाइटल इस्तेमाल करना होगा.

Hun Sen Premierminister Kambodscha Dezember 2014
तस्वीर: AFP/Getty Images/A. Young-Joon

''सामदेच अक्का मोहा सेना पदेई टेको हुन सेन'' अब यही कंबोडिया के प्रधानमंत्री का टाइटल सहित पूरा नाम होगा. हर अखबार, रेडियो और टीवी चैनल को यही नाम इस्तेमाल करना होगा. इसे सामान्य जबान में समझें तो कुछ ऐसा होगा कि लॉर्ड प्राइम मिनिस्टर और सुप्रीम सैन्य कमांडर. हुन सेन को कंबोडिया के राजा नोरदम सिहामोनी ने 2007 में इस टाइटल से नवाजा था.

गुरुवार को सूचना मंत्रालय ने पत्रकारों के साथ तीन-चार बैठकें कीं. इन बैठकों में नए दिशा-निर्देश और चेतावनियां जारी की गईं. चेतावनी यह है कि जो मीडिया पूरा नाम नहीं लिखेगा या बोलेगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी. हालांकि कार्रवाई क्या होगी और सजा क्या होगी, यह नहीं बताया गया है.

माना जाता है कि सरकार के ये नए नियम खासकर उन मीडिया संस्थानों को निशाना बनाकर लागू किए गए हैं जो पश्चिम समर्थक और विपक्ष की ओर झुकाव वाले हैं. सरकारी मीडिया और सरकार समर्थक मीडिया तो यूं भी सम्मानसूचक शब्दों का इस्तेमाल करता है.

हुन सेन की सरकार ने हाल के दिनों में अपने आलोचकों और विरोधियों पर सख्ती बढ़ा दी है. हुन सेन तीन दशक से सत्ता में हैं. मीडिया पर उनकी सरकार काफी सख्त रही है. कंबोडिया में असहमति जाहिर करना कोई आसान काम नहीं है. यह काफी खतरे वाला काम है. सरकार ने टेलिकम्यूनिकेशन पर नियंत्रण भी बढ़ा दिया है. ऑनलाइन मीडिया पर सरकार की आलोचना करने वालों को सख्त कार्रवाई की चेतावनियां दी गई हैं. खासकर हुन सेन और उनके परिवार के बारे में लिखने, बोलने वाले लोग सरकार के सीधे निशाने पर हैं.

सूचना मंत्रालय में अंडर सेक्रटरी ओउक किमसेंग ने मीडिया से कहा, ''हम चाहते हैं कि अपनी खबर के पहले पैराग्राफ आप नेताओं का पूरा टाइटल लिखें. हालांकि बाद में आप बिना टाइटल के भी नाम लिख सकते हैं.''

कंबोडियाई प्रधानमंत्री के साथ प्रथम महिला बन रैनी हुन सेन.तस्वीर: AP

हुन सेन की पत्नी को 2013 में एक शाही टाइटल दिया गया था जिसका अनुवाद कुछ यूं होगाः प्रख्यात वरिष्ठ विदुषी बन रैनी हुन सेन. यह दरअसल एक तरह की मानद पीएचडी है जो प्रथम महिला को दी गई थी. हालांकि प्रथम महिला ने औपचारिक तौर पर यूनिवर्सिटी से कोई डिग्री पास नहीं की है.

वैसे, सरकार पहले भी इस तरह की चेतावनियां जारी करती रही है लेकिन उन्हें अब तक नजरअंदाज किया जाता रहा है. नए नियम के तहत सिर्फ प्रधानमंत्री नहीं, सत्ताधारी पार्टी के अन्य कई नेताओं के लिए भी मान्य होगा. यानी उनके नाम के आगे भी अब टाइटल लगाने होंगे.

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