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कोविड से पस्त अर्थव्यवस्थाओं की चुनौतियां

१५ सितम्बर २०२०

एशियाई विकास बैंक एडीबी का कहना है कि एशिया प्रशांत के इलाके में कोरोना से पस्त अर्थव्यवस्थाओं में अगले साल सुधार आएगा. लेकिन विकास बैंक ने ये चेतावनी भी दी है कि नए प्रतिबंध रिकवरी को मुश्किल बना सकते हैं.

Asiatische Entwicklungsbank Logo
तस्वीर: Reuters/E. De Castro

मंगलवार को जारी एडीबी की भविष्यवाणी के अनुसार प्रशांत क्षेत्र में कुक आइलैंड से पश्चिम में कजाखस्तान तक छह दशक में पहली बार अर्थव्यवस्था सिकुड़ेगी जिस की वजह से करोड़ों लोग बेरोजगार हो जाएंगे. पहले फिलीपींस स्थित इस बैंक ने अर्थव्यवस्था में 0.1 प्रतिशत विकास की बात कही थी लेकिन अब उसने 0.7 प्रतिशत संकुचन की भविष्यवाणी की है.

एशियाई विकास बैंक के अनुसार अगले वर्ष ज्यादातर अर्थव्यवस्थाएं फिर से पटरी पर आ जाएंगी और विकास दर 6.8 प्रतिशत रहेगी. ये विकास दर कोविड से पहले की उम्मीदों से कम है. बैंक ने कहा है कि क्षेत्रीय रिकवरी एल के आकार में होगी लेकिन साथ में ये भी जोड़ा है कि कोरोना महामारी का प्रकोप इस भविष्यवाणी के लिए सबसे बड़ा खतरा है.

एशियाई विकास बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा ने चेतावनी दी है कि महामारी पर काबू पाने के लिए अगर फिर से सख्त प्रतिबंध लागू किए जाते हैं तो इससे रिकवरी प्रभावित होगी. डॉयचे वेले से बात करते हुए उन्होंने कहा कि रिकवरी के लिए तीन प्रकार के खतरे हैं. पहला, कोविड-19 लंबा खिंच सकता है और उसके रोकने के लिए प्रतिबंध लगाने होंगे जो अर्थव्यवस्था को नीचे लाएंगे. दूसरा, लंबे समय तक जारी रहने वाली कमजोरी अर्थव्यवस्था में वित्तीय संकट पैदा कर सकती है. और तीसरा, भूराजनीतिक तनाव का बिगड़ना खासकर अमेरिका और चीन के बीच व्यापार और तकनीक को लेकर विवाद.

कब लौटेंगी अर्थव्यवस्थाएं पटरी पर?तस्वीर: picture-alliance/AP/CHINATOPIX

चीन में कोरोना महामारी शुरू हुई और इसने अब तक दुनिया भर में करीब तीन करोड़ लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है, लेकिन चीन उन कुछेक देशों में शामिल है जिसने अर्थव्यवस्था के नीचे जाने को रोक दिया है. महामारी पर कामयाब नियंत्रण के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में इस साल 1.8 प्रतिशत और अगले साल 7.7 प्रतिशत के विकास की उम्मीद है.

इसके विपरीत भारत में अभी महामारी का संकट समाप्त नहीं हुआ है. लंबे लॉकडाउन के बावजूद 48 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और अभी भी बड़े पैमाने पर संक्रमण जारी है. वहां इस साल अर्थव्यवस्था के 9.9 प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान है, जबकि अगले साल 8 प्रतिशत विकास की उम्मीद की जा रही है.

एशियाई विकास बैंक का कहना है कि आर्थिक रिकवरी की राह और गति कई कारकों पर निर्भर करेगी, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह बात होगी कि कोई देश अपने यहां महामारी पर किस तरह से नियंत्रण करता है और फिर खत्म करता है.

एशिया देशों में आर्थिक संकुचन का असर वहां के कमजोर वर्ग के लोगों पर भी होगा. पिछले तीन चार सालों से गरीबी में आ रही कमी के विपरीत इस साल गरीबों की तादाद 7.8 करोड़ पहुंचने का अंदेशा है. अच्छी बात ये है कि मांग में कमी और तेल की कीमतों के कम रहने के कारण महंगाई काबू में रहेगी.

रिपोर्ट: महेश झा (एएफपी)

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