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कई देशों में भारी बिजली कटौती, सड़कों पर उतरे गुस्साए लोग

अविनाश द्विवेदी
२२ जुलाई २०२१

गर्मियों का मौसम चल रहा है और बिजली की बढ़ी मांग के चलते दुनिया के कुछ देश इसकी भारी कमी से जूझ रहे हैं. कुछ देशों में तो हालात इतने खराब हैं कि यहां बिजली की कमी से परेशान होकर लोग सरकारों के खिलाफ सड़क पर उतर आए हैं.

Libanon Beirut | Stromausfälle während Wirtschaftskrise
तस्वीर: Houssam Shbaro/AA/picture alliance

जब तक वो साथ रहे, हम उसे नजरअंदाज किए रहते हैं लेकिन जब वो नहीं होती तो हमें उसकी कमी बहुत खलती है. भ्रमित मत होइए, यहां बात बिजली यानी इलेक्ट्रिसिटी की हो रही है. इसकी उपलब्धता किसी देश के आर्थिक विकास को भी दिखाती है. इसलिए अगर किसी देश में लंबे समय के लिए और रोजाना पावर कट होता है, तो इसे आर्थिक मुश्किलों की निशानी माना जाता है. न सिर्फ औद्योगिक विकास बल्कि इमरजेंसी सेवाओं जैसे हॉस्पिटल, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और खदानों में बिजली की भारी जरूरत होती है.
इसलिए दुनिया के हर कोने में हॉस्पिटल या खदानों में पावर कट होते ही जनरेटर जैसे किसी इमरजेंसी पावर सोर्स को बिजली की तत्काल आपूर्ति के लिए रखा जाता है. यानी कभी लंबा पावर कट हो जाए तो स्थितियां काफी बिगड़ सकती हैं. फिलहाल गर्मियां चल रही हैं और दुनिया के ज्यादातर देशों में बिजली की भारी मांग है. इस दौरान कुछ देश ऐसे भी हैं, जो बिजली की भारी कमी से जूझ रहे हैं. इनमें से कुछ में तो हालात इतने खराब हो चुके हैं कि यहां बिजली की कमी से परेशान होकर लोग सरकारों के खिलाफ सड़क पर उतर आए हैं.

कटौती के खिलाफ सड़कों पर इराकी

बगदाद और दक्षिणी इराक में पावर कट के मामले बहुत बढ़ गए हैं. जुलाई की शुरुआत में इसका विरोध करते हुए हजारों इराकी लोग बसरा की सड़कों पर उतर आए. 50 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच इन लोगों ने हाईवे जाम कर दिया और टायर जलाकर पावर कट का विरोध किया. प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना था कि उन्हें केवल 6 घंटे के लिए बिजली मिल पाती है, वह भी कई हिस्सों में.

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में इराक में बिजली कटौती की वजह यहां बिजली प्रबंधन की खराब स्थिति को बताया गया है. इसके अलावा नीति-निर्माताओं पर राजनीतिज्ञों के दबाव और भ्रष्टाचार को भी इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.

ईरान में गर्मी और सूखा बने वजह

ईरान भी जुलाई की शुरुआत में पावर कट की समस्या से बुरी तरह जूझ रहा था. हालिया इतिहास में ईरान के सबसे बुरे पावर कट से यहां उद्योग बंद थे और घरों में अंधेरा था. समस्या इतनी गंभीर थी कि ईरान के विदा होते राष्ट्रपति हसन रूहानी ने जुलाई की शुरुआत में एक टीवी भाषण के दौरान ईरानियों से इसके लिए माफी मांगी.

ईरान में बिजली गुलतस्वीर: MEHR

इस कटौती से ट्रैफिक लाइटें बंद हो गईं, फैक्ट्रियां बंद रहीं, मोबाइल नेटवर्क प्रभावित रहा और मेट्रो ट्रेन भी बंद रही. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में इस कटौती की वजह देश में भयानक गर्मी को बताया गया, जिससे बिजली की मांग बढ़ गई. इनमें यह भी कहा गया कि ईरान में गंभीर सूखे के चलते पानी से बनाई जाने वाली बिजली में कमी आ गई है.

लेबनान में सिर्फ 2 घंटे पावर सप्लाई

कई महीनों से गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे लेबनान की स्थिति पिछले साल बेरूत बंदरगाह पर हुए धमाके के बाद से और खराब हुई है. अब यहां लोग मात्र 2 घंटे की पावर सप्लाई के साथ जीने को मजबूर हैं. इसके खिलाफ कई लोग सड़कों पर उतरकर गुस्से का इजहार भी कर रहे हैं.
यहां लोगों का गुस्सा जुलाई की शुरुआत में तब चरम पर पहुंच गया, जब लेबनान में दो मुख्य पावर प्लांट बंद कर दिए गए. इससे ज्यादातर देश पूरी तरह से अंधेरे में डूब गया. मीडिया रिपोर्ट में इन प्लांट को बंद करने की वजह इन्हें चलाने के लिए पर्याप्त ईंधन न होना बताई गई.

क्यूबा में और बढ़ी बिजली कटौती

पिछले 60 सालों में पहली बार क्यूबा के लोग सरकार के विरोध में सड़कों पर उतरे. उनके विरोध के कई मुद्दों के बीच देश की आर्थिक स्थिति और पावर कट भी एक मुद्दा है. पहले से ही खराब बिजली की स्थिति के बीच सरकार की ओर से जुलाई की शुरुआत में कटौती और कीमत बढ़ने की जानकारी भी दी गई थी और इससे बिजनेस गतिविधियों, जरूरी सेवाओं, मोबाइल सेवाओं और ट्रांसपोर्ट प्रभावित होने का डर भी जताया गया था.

क्यूबा में प्रदर्शनतस्वीर: Alexandre Meneghini/Reuters

क्यूबा में लोग घटते वेतन और खराब इंटरनेट का भी विरोध कर रहे हैं. बिजली की कटौती इससे गंभीर तौर पर जुड़ी हुई है. बिजली के बिना औद्योगीकरण बुरी तरह प्रभावित होता है और इसी तरह इंटरनेट पर भी बिजली कटौती का बुरा असर होता है.

भारत के कई राज्यों में पावर कट

गर्मियों के मौसम में भारत के ज्यादातर राज्यों में कुछ घंटों का पावर कट आम बात है. यही वजह है कि पिछले कुछ महीनों से भारत के कई राज्यों से घंटों तक चलने वाले पावर कट की खबरें आ रही हैं. केंद्रीय बिजली मंत्रालय की ओर से एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि बिजली की मांग अपने पीक पर पहुंच गई है, जो यहां बिजली कटौती की एक वजह है.

मीडिया रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जब भारत में किसी राज्य में बिजली की कमी होने पर वह राज्य, पावर एक्सचेंज से बिजली खरीदने की कोशिश करता है, तो कई बार भारी मांग के चलते उसे प्रति यूनिट बहुत ज्यादा दाम चुकाने पड़ते हैं. जब ऐसा होता है तो राज्य अधिक दामों पर बिजली खरीद उसकी सस्ते दाम पर सप्लाई नहीं करना चाहता और वह कुछ घंटों के लिए पावर कट कर देता है.

चीन में घटा फैक्ट्रियों का उत्पादन

चीन में भी बिजली कमी की वजह मौसम ही है. लेकिन इसे कोयले के इस्तेमाल में कटौती ने और बढ़ा दिया है. ऐसे में पिछले कुछ हफ्तों से चीन के कई प्रांतों में बिजली की समस्या है. जानकार मानते हैं कि कई महीनों तक चीन को बिजली की कमी झेलनी पड़ सकती है, जिससे चीन को आर्थिक विकास पटरी पर लाने और वैश्विक व्यापार बढ़ाने में परेशानी होगी.

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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन को 2060 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन वाला देश बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. इसलिए दुनिया का सबसे बड़ा कोयला उपभोक्ता चीन अपने कोयला प्रयोग को तेजी से घटाने की कोशिश कर रहा है. यह भी यहां बिजली कमी की वजह बन रहा है. चीन का नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स मान चुका है कि चीन में बिजली की कमी से फैक्ट्री गतिविधियां धीमी हो गई हैं.

ज्यादा बिजली से परेशान पाकिस्तान

फिलहाल पाकिस्तान के पास पर्याप्त बिजली है लेकिन इसी साल जनवरी की शुरुआत में लगभग पूरे पाकिस्तान में हुए 18 घंटे के ब्लैकआउट को भूला नहीं जा सकता. इस दौरान कराची, लाहौर, पेशावर, इस्लामाबाद, मुल्तान और रावलपिंडी जैसे बड़े शहर अंधेरे में डूब गए थे. हालांकि अब पाकिस्तान में बिजली की कमी समस्या नहीं है बल्कि बिजली की अधिकता यहां समस्या बन गई है.

दरअसल चीन की मदद से पिछले एक साल में पाकिस्तान में कई कोयले और नैचुरल गैस से चलने वाले बिजली उत्पादन प्लांट लगाए गए हैं. ऐसे में पाकिस्तान जरूरत से ज्यादा बिजली बनाने लगा है. और अब उसे बिजली पैदा करने वाले प्लांट को गैर जरूरी बिजली के लिए भी पैसे देने पड़ रहे हैं. इस बिजली का इस्तेमाल हो सके इसके लिए अब वह अपने उद्योगों से गैस के बजाए बिजली का इस्तेमाल करने की गुजारिश कर रहा है.

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