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'कई साल की मेहनत का नतीजा है यह वर्ल्ड कप'

३ अप्रैल २०११

क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत की जीत पर कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने कहा है कि यह जीत कई साल की कड़ी मेहनत का नतीजा है. उन्होंने दो साल पहले ही सोच लिया कि वर्ल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन कर ट्रॉफी जीतनी है.

तस्वीर: UNI

वर्ल्ड कप की खिताबी जंग जीतने पर धोनी ने अपनी टीम को बधाई देते हुए कहा कि वर्ल्ड कप पर उनकी नजर काफी समय से बनी हुई थी. जीत के जश्न में डूबी टीम इंडिया को 8 अप्रैल से शुरू होने वाले प्रीमियर लीग के लिए थोड़ा ही समय मिलेगा.

धोनी ने कहा, "हमने बहुत अहम लक्ष्य पा लिया है. दो एक साल पहले हमने अपनी नजरें वर्ल्ड कप ट्रॉफी पर टिका दी थी. इस दौरान हम मैदान पर चाहे जो खेले हों, पूरे समय हमारे दिमाग में वर्ल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन करने का लक्ष्य था. हम टीम के हर सदस्य को फिट रखना चाहते थे."

चुनौती बड़ी थी

धोनी ने मैच के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हम अपने खिलाड़ियों को बेस्ट फॉर्म में देखना चाहते थे और किसी चोट के कारण अपने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को खो नहीं देना चाहते थे. यह एक बड़ी चुनौती थी. हम मैदान पर सौ फीसदी से भी ज्यादा दे सके. हम सही समय पर ऊपर आए और इस गति को फाइनल तक ला सके. हम टीम के हर सदस्य के लिए यह ट्रॉफी जीतना चाहते थे."

फाइनल मैचः टकटकी लगाए देखते भारतीय फैन्सतस्वीर: AP

यह पूछने पर कि छक्का लगाने के बाद उनके चेहरे पर कोई हाव भाव नहीं दिखाई दिए. तो धोनी ने कहा, "मैं भावनात्मक रूप से द्वंद्व की स्थिति में था. मैं पिच के बीचों बीच खड़ा था और युवराज दूसरी तरफ. मैंने सोचा कि बाद में भी गले मिला जा सकता है लेकिन वह मुझ पर कूद पड़ा."

बहुत दबाव से चिंतित

धोनी ने कहा कि टीम को वर्ल्ड कप का जश्न पचाने के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिलेगा क्योंकि 8 अप्रैल से आईपीएल शुरू हो रहा है. "मुझे नहीं लगता कि हमारे पास ज्यादा समय है. मैं दिल्ली जा रहा हूं. इसके तुरंत बाद आईपीएल की शुरुआत हो जाएगी. आईपीएल के दबाव के बीच यह समझने के लिए हमें ज्यादा समय नहीं है कि हमने वर्ल्ड कप जीत लिया है."

धोनी ने नहीं बताया कि वर्ल्ड कप जीतने के लिए टीम का सीक्रेट प्लान क्या था. "जो भी हमने मैदान पर किया इसके लिए कोई सीक्रेट नहीं है. जो भी गुप्त योजना है वह होटल में है. हम इसका इंतजार कर रहे हैं."

यह पूछने पर कि वर्ल्ड कप का ऐसे देश के लिए क्या मतलब है जो खेलों में आगे बढ़ने के लिए संघर्ष कर रहा है. धोनी ने जवाब दिया, "पिछले तीन चार साल में हमने शूटिंग, बैडमिंटन, टेनिस, हॉकी और फुटबॉल में भी बहुत अच्छा किया है. लेकिन क्रिकेट खास है क्योंकि इसकी संरचना अच्छी बनी हुई है. 1983 में जीत से शुरुआत की. अनिल कुंबले और सचिन तेंदुलकर सीन में आए फिर सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़. उनकी वजह से हमें इतना पैसा और आदर मिल रहा है. हम इसे अगली पीढी तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. खेलना इतना आसान नहीं था क्योंकि व्यग्रता बहुत थी. इन दिनों हम पर इतना दबाव होता है कि कई बार खिलाड़ी इस कारण खाना ही नहीं खाते."

बड़ा फैसला

फाइनल में बल्लेबाजी क्रम में युवराज की जगह खुद को लाने के बारे में धोनी ने कहा, "यह बहुत ही मुश्किल फैसला था. अगर मैं नहीं चलता. तो मुझे बहुत सारे सवालों का जवाब देना पड़ता. अगर मैं जल्दी आउट हो जाता तो मैदान पर दो खब्बू खिलाड़ी एक साथ होते. लेकिन मैं मुरली के साथ काफी खेला हूं और मैं उनके दूसरा को अच्छी तरह से जानता हूं और वह भी इसे जानते हैं. मैं उन पर दबाव बनाना चाहता था." धोनी ने मुंबई के दर्शकों का भी बहुत धन्यवाद दिया जिन्होंने टीम इंडिया के हर रन पर शानदार तालियां दीं.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ए कुमार

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