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"कठिन ब्रेक्जिट" के लिए तैयार हैं थेरीजा मे

१७ जनवरी २०१७

ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरीजा मे ने कहा है कि वे यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के "कठिन" एक्जिट के लिए तैयार हैं. उन्होंने साफ किया कि संसद में ब्रेक्जिट के अंतिम प्रस्ताव पर वोटिंग होगी.

Britain Brexit Ministerpräsidentin Theresa May
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. Wigglesworth

Theresa May hopes to make a success of 'Brexit'

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लंदन में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरीजा मे के भाषण पर सबकी निगाहें लगी थीं. यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के एक्जिट के बारे में उन्होंने विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ के तथाकथित "फोर फ्रीड्म्स" भी छोड़ने के लिए तैयार है, जिनमें मार्केट, फ्री मूवमेंट जैसे प्रावधान हैं. उन्होंने ब्रेक्जिट के अंतिम प्रस्ताव पर ब्रिटिश संसद में भी वोटिंग करवाए जाने की बात भी कही.

प्रधानमंत्री मे ने कहा कि जितना संभव हो उतना सिंगल मार्केट एक्सेस जारी रखना यूके का लक्ष्य होगा, लेकिन वे इसके लिए ब्रसेल्स को "कोई बड़ी कीमत" चुकाने को तैयार नहीं. अपने भाषण की शुरुआत में उन्होंने यह भी कहा कि "ईयू का सफल होना ब्रिटेन के हित में भी है."

उनके ठीक बाद बोलने वाले जर्मन विदेश मंत्री फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने प्रधानमंत्री मे को "ब्रिटेन की योजना पर अंतत: थोड़ी स्पष्टता लाने के लिए" धन्यवाद दिया. उन्होंने ईयू के बाकी 27 देशों में एकजुटता पर जोर देते हुए कहा कि अभी ब्रेक्जिट से जुड़ी वार्ता शुरू नहीं होने जा रही.

ब्रिटिश संसद को अभी आर्टिकिल 50 लागू करने के लिए वोट करना है. लिस्बन समझौते के अनुसार ऐसा करना ब्रिटेन के यूरोपीय ब्लॉक छोड़ने के लिए पहला जरूरी कानूनी कदम होगा. इसके बाद ही एक्जिट की शर्तें तय करने के लिए वार्ताओं का दौर शुरु होगा. यह अवधि दो साल तक चलेगी.

यूरोपीय पक्ष को देखें, तो जो भी समझौते हों उन्हें लागू करने के लिए पहले सदस्य देशों का बहुमत चाहिए. कम से कम 55 फीसदी ईयू सदस्यों को इसे स्वीकार करना होगा. फिर यूरोपीय संसद में भी उसे पास करवाना होगा.

ईयू के बचे हुए 27 देशों के प्रतिनिधि 3 फरवरी को माल्टा में मिलने वाले हैं. यहां ब्रेक्जिट के बद के ईयू की संरचना और कार्ययोजना पर चर्चा होनी है.

थेरीजा में ने कहा है कि ईयू और ब्रिटेन के बीच तय हुई किसी भी डील को ब्रिटेन के भी दोनों संसद सदनों में वोटिंग के लिए पेश किया जाएगा. अगर समझौते की सभी शर्तों को समयसीमा के भीतर पास नहीं किया गया तो ब्रिटेन के साथ ईयू के सभी समझौते अपने आप रद्द हो जाएंगे और वो ब्रिटेन के लिए काफी जोर का झटका होगा.

आरपी/ओएसजे (एएपी, एफपी) 

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