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समाज

कड़ाके की सर्दी में सड़क पर उतरे विकलांग

आमिर अंसारी
५ दिसम्बर २०१९

दिल्ली के मंडी हाउस पर पिछले 10 दिन से दो सौ से ज्यादा विकलांग प्रदर्शन कर रहे हैं. अलग-अलग राज्यों से आए ये लोग रेलवे के ग्रुप डी में भर्ती के तहत नौकरी मांग रहे हैं.

Indien Neu Delhi | Menschen mit Behinderung protestieren für Jobs
तस्वीर: DW/S. Ghosh

साल 2018 में रेलवे के ग्रुप डी की लिखित परीक्षा में कई अभ्यर्थी पास हुए. जब नतीजे आए तब कट ऑफ मार्क नहीं दिखाया गया था. पहले कहा गया कि प्रमाण पत्रों का सत्यापन होगा. इसके बाद अभ्यर्थी दस्तावेज बनाने में जुट गए. लेकिन कुछ दिन बाद रेलवे ने भर्ती में सीट बढ़ा दी. फिर दोबारा नतीजे घोषित किए गए लेकिन सफल आवेदकों का नाम ही नहीं था. अधिकारी प्रदर्शनकारियों की मांगों को जायज नहीं मानते.

बिहार के आरा जिले से आए 26 साल के सुमेंदर कुमार 26 नवंबर से मंडी हाउस के चौराहे पर बैठे हुए हैं. वह कहते हैं, "इस सर्दी में भी हम लोग जमीन पर ही सोने को मजबूर हैं. हम विकलांगों की बात कोई नहीं सुन रहा है."

तस्वीर: DW/S. Ghosh

झारखंड के हजारीबाग से आई निशात अब्दुल्ला कहती हैं, "2018 में हमने ग्रुप डी की परीक्षा दी और पास भी हो गए. हमें कहा गया कि दस्तावेज तैयार करिए. हमने भाग-भाग कर दस्तावेज भी तैयार कर लिए, लेकिन अब बोला जा रहा है कि नौकरी नहीं है. केंद्र सरकार चाहे तो हमें नौकरी दे सकती है. सरकार का नारा है बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ लेकिन बेटी तो यहां रोड पर पड़ी हुई है."

अपनी बेटी के हक के लिए बिहार से आई एक महिला ने कहा, "हम पिछले 10 दिन से यहां बैठे हैं. हम यहां इसी तरह से पड़े रहते हैं. यहां कोई नहीं आता है. हम क्या करें, अपनी बात किससे कहें. सुबह से भूखे हैं. हमें खाने को भी नहीं मिलता."

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महिला बताती है, "मेरी बेटी ने 2018 में रेलवे के ग्रुप डी के लिए परीक्षा दी थी. कुछ दिन पहले हमें कहा गया कि नौकरी को लेकर कुछ कागजात दिए जाएंगे लेकिन अब तक नहीं मिला है. तभी से हम धरने पर बैठे हैं."

इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए बिहार, झारखंड, उत्तराखंड,यूपी, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों से लोग पहुंचे हुए हैं. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के शशिकांत यादव बताते हैं, "मैं पैर से विकलांग हूं. 2018 में रेलवे में हम जैसे लोगों के लिए पद निकले थे. मैंने परीक्षा भी पास कर ली और दस्तावेज वेरिफिकेशन के लिए मैसेज भी आया और उसके बाद हम लोगों को बिना कारण बताए आवेदन खारिज कर दिए गए. 26 नवंबर से हम यहीं पड़े हुए हैं. हमें सिर्फ रेलवे में नौकरी चाहिए. जब तक नौकरी नहीं मिलती हम यहीं पड़े रहेंगे."

तस्वीर: DW/S. Ghosh

कुछ उम्मीदवारों का कहना है कि विकलांगों के लिए चार फीसदी आरक्षण के हिसाब से भर्ती में सीट नहीं दी गई. उनका कहना है कि सीट बढ़ने के साथ नई श्रेणी भी जोड़ी जाती है. उनके मुताबिक मल्टीपल डिसेबल्ड एक श्रेणी होती है, आवेदन के समय मल्टीपल डिसेबल्ड दोनों पैर और दोनों हाथ का विकल्प नहीं था तो रेलवे बोर्ड ने मल्टीपल डिसेबल्ड में सीट बढ़ाकर नतीजे कैसे दिखाए.

वहीं एक अखबार ने रेलवे के अधिकारी के हवाले से लिखा कि जो लोग मंडी हाउस पर प्रदर्शन कर रहे हैं उनकी मांगें जायज नहीं है. अधिकारी के हवाले से अखबार ने लिखा, "कुछ अभ्यार्थियों ने तो परीक्षा तक पास नहीं की हैं. केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से भर्ती हुई है और रिजर्वेशन के हिसाब से 2448 लोगों को नौकरी दी जा चुकी है." अधिकारी ने अखबार को बताया कि जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, वो कटऑफ मार्क के हिसाब से नौकरी के लिए पात्र नहीं है.

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