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कड़ी होगी भारत में इंटरनेट सुरक्षा प्रणाली

१ जुलाई २०११

इंटरनेट सुरक्षा कड़ी करने के लिए भारत एक टेलीकॉम सिक्यूरिटी टेस्टिंग फेसिलिटी बनाने की तैयारी में है. कपिल सिब्बल के मुताबिक कि इससे विदेशी विक्रेताओं द्वारा बेचे गए कंप्यूटर उपकरणों पर नजर रखी जा सकेगी.

Symbolbild Sicherheitslücke Internet Explorer
तस्वीर: DW/Montage

सिस्टम का मुख्य उद्देश्य स्पाइवेयर पर रोक लगाना है. पत्रकारों से बातचीत में दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, "हम नहीं चाहते कि हमारी इंटरनेट सुरक्षा बाहर वालों के भरोसे रहे, इसलिए हम अपना खुद का सिस्टम तैयार करना चाहते हैं जो हमारे तरीके से काम करेगा."

इस नए सिस्टम को तैयार करने में कुल खर्चा एक करोड़ डॉलर से अधिक का आएगा. बैंगलोर की इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस की टीम को इसे तैयार करने का काम सौंपा गया है. भारत सरकार के नियमों के अनुसार सभी टेलीकॉम कंपनियों को नए उपकरण खरीदने से पहले सरकार से सुरक्षा संबंधी प्रमाण लेना अनिवार्य है. कंपनियों को चेतावनी देते हुए सिब्बल ने कहा, "आपको प्रमाणित करना है कि यह उपकरण सुरक्षित है, और यदि हमें बाहरी सूत्रों से यह जानकारी मिलती है कि ये सुरक्षित नहीं हैं, तो हम आपसे निपटेंगे."

तस्वीर: dpa

क्या है स्पाइवेयर

पिछले साल मई में टेलीकॉम कंपनियों ने इस बात की शिकायत की थी कि सरकार ने चीन से उपकरण खरीदने पर रोक लगाई है क्योंकि उसे डर है कि चीन से आने वाले उपकरणों में स्पाइवेयर हो सकता है. स्पाइवेयर एक ऐसा सोफ्टवेयर है जो यूजर की जानकारी के बिना कंप्यूटर पर इंसटॉल किया जाता है. अंग्रेजी शब्द 'स्पाइ' यानी 'जासूस' से इसके इस्तेमाल को समझा जा सकता है. यह सॉफ्टवेयर कंप्यूटर पर आपकी सभी गतिविधियों पर नजर रखता है. आप जिस भी वेबसाइट पर गए, आपने जहां अपनी जो भी जानकारी दी, यह उस पूरे डाटा को कोड्स के तौर पर जमा कर लेता है और आपको इसकी भनक भी नहीं लगती. इसकी मदद से कंप्यूटर को हैक किया जा सकता है और बैंक और क्रेडिट कार्ड की पूरी जानकारी गलत हाथों में जा सकती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया

संपादन: ओ सिंह

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