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कतर कपः कितना सपना, कितनी चुनौती

४ दिसम्बर २०१०

रेतीले मैदानों, सफेद साफों और घर दफ्तर से लेकर एयर कंडीशन कार और बाजार के लिए तो इस देश को जाना जाता है लेकिन फुटबॉल के लिए नहीं. कतर को हाल के दिनों में इसकी खूबसूरत एयरलाइंस के लिए भी जाना जाने लगा है.

मेजबानी मिलने पर झूम उठा कतरतस्वीर: AP

वर्ल्ड कप 2022 की मेजबानी कतर को मिली है, जिस पर वह खुद अचंभित है. आम तौर पर गर्मियों में होने वाला फुटबॉल का वर्ल्ड कप जिस वक्त खेला जाता है, अरब देशों की रेगिस्तान पर सूरज आग उगल रहा होता है. तापमान 50 डिग्री के आस पास होना सामान्य माना जाता है और फीफा के नियमों में जिक्र है कि अगर आप 32 डिग्री से ज्यादा के तापमान पर डेढ़ घंटे का यह थका देने वाला खेल खेलते हैं, तो आपकी सेहत पर काफी बुरा असर पड़ सकता है.

वर्ल्ड कप के लिए प्रस्तावित यूनिवर्सिटी स्टेडियम का मॉडलतस्वीर: picture-alliance/dpa

कतर ने इसका तोड़ निकाल लिया है. देश में पानी की तरह पेट्रोल बहता है और पैसों की कोई कमी नहीं. एक दो अरब डॉलर तो यूं ही आनन फानन में खर्च कर दिए जाते हैं. कतर का दावा है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम तैयार करेगा. एयर कंडीशन. जी हां, 50,000 लोगों के बैठने की क्षमता सेंट्रली एयर कंडीशन होगी और इसके लिए रेगिस्तान में एक महाविशाल सोलर प्लांट लगाने की योजना है, जो ऊर्जा का उत्पादन करेगा.

कतर का दावा है कि वह इस काम को पूरा कर लेगा. सितंबर में जब फीफा का एक दल कतर का दौरा करने पहुंचा, तो उसने कुछ हफ्तों में एक सैंपल स्टेडियम तैयार किया, जिसमें कुछ हजार लोगों के बैठने की जगह थी. यह एयर कंडीशन स्टेडियम तमाम सुविधाओं से लैस था.

हालांकि तैयारी के लिए 12 साल का लंबा वक्त मिला है लेकिन इस स्तर पर ऊर्जा तैयार करना कोई आसान काम नहीं होगा. पूरे कतर की आबादी 10 लाख के आस पास है और स्टेडियमों में 50,000 लोगों के बैठने की जगह होगी. यानी कोई 20 स्टेडियम भर जाएं, तो पूरी आबादी फुटबॉल मैच देखती नजर आएगी.

कतर के अमीर शेख हमद बिन खलीफा अल थानी और उनकी पत्नीतस्वीर: picture-alliances/dpa

वैसे, सिर्फ स्टेडियम बनाने से काम नहीं चलने वाला. दुनिया के सबसे बड़े खेल मेले के आयोजन के लिए पूरे पूरे गांव बनाने पड़ते हैं. पांचसितारा होटलों की व्यवस्था करनी पड़ती है और खिलाड़ियों से लेकर आम दर्शकों की जरूरतों का ध्यान रखना होता है. कतर इसमें भी हाथ नहीं खींच रहा है. सिर्फ मेट्रो रेल और नागरिक ट्रांसपोर्ट के लिए इस देश ने जर्मनी के डॉयचे बान के साथ 25 अरब डॉलर का कांट्रैक्ट किया है. लिहाजा, वर्ल्ड कप की बात होगी, तो और पैसे झोंके जा सकते हैं. जाहिर है, इससे रोजगार भी बढ़ेगा.

कतर के सामने एक और बड़ी परेशानी स्वयं फुटबॉल की है. अरब देशों में जब फुटबॉल की बात होती है, तो ईरान, इराक, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की टीमों का ध्यान आता है. इन देशों ने वर्ल्ड कप खेल रखा है और अंतरराष्ट्रीय फीफा रैंकिंग में भी अच्छी जगह रखते हैं. लेकिन कतर इनके आस पास भी नहीं टिकता. इस साल का मेजबान दक्षिण अफ्रीका तो कम से कम 88वें नंबर पर था, कतर तो 100 के पार है. एक ऐसे देश में फुटबॉल वर्ल्ड कप कराना जोखिम भरा हो सकता है, जहां फुटबॉल से किसी का नाता नहीं. कतर का कहना है कि वह फुटबॉल को भी बढ़ावा दे रहा है और 12 साल में उसकी स्थिति जरूर बेहतर होगी.

जहां तक अंतरराष्ट्रीय खेलों के आयोजन का सवाल है, कतर ने 2006 के एशियाई खेलों का आयोजन किया था, जो बहुत अच्छा नहीं था तो बहुत बुरा भी नहीं. इसके अलावा राजधानी दोहा में टेनिस टूर्नामेंट भी होता है.

कतर का दावा है कि उसके फुटबॉल स्टेडियम बेहद आधुनिक तकनीक से बनेंगे और वर्ल्ड कप खत्म होने के बाद पूरे के पूरे स्टेडियमों को पाकिस्तान जैसे गरीब मुल्कों को दे दिया जाएगा. सभी 12 स्टेडियमों की एक एक ईंट वहां से हटा कर दूसरे देशों में पहुंचा दी जाएगी.

वर्ल्ड कप के लिए कतर की सामाजिक पृष्ठभूमि सबसे बड़ी चुनौती बन सकती है. इस्लामी परंपरा वाले देश में खुलेपन और शराब पर पूरी तरह पाबंदी है और यहां मदिरा सिर्फ पांचसितारा होटलों तक सीमित है. लेकिन कतर का कहना है कि जरूरत पड़ने पर नियम बदले जा सकते हैं और कतर में वर्ल्ड कप के दौरान ऐसे कोने बनाए जा सकते हैं, जहां शराब परोसी भी जा सकेगी और बेची भी.

जरूरत पड़ने पर बदलने की एक बानगी ज्यूरिख में दिखी भी, जब कतर के शाही घराने के लोग वर्ल्ड कप की मेजबानी की घोषणा के दौरान फीफा मुख्यालय पहुंचे. उन्होंने परंपरागत तौर पर सफेद लबादा और साफा नहीं पहन रखा था, बल्कि वे टेलरों की सीले शानदार सूट में दिख रहे थे. शाही घराने की एक महिला भी वहां मौजूद थीं. उन्होंने सिर ढक रखा था, पर स्कार्फ से नहीं, आधुनिक तरीके से.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ

संपादनः ए कुमार

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