कतर ने 7.4 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करके एक नया बंदरगाह बनाया है जो आने वाले वक्त में इलाकाई समुद्री परिवहन का एक बड़ा हब बन सकता है. कतर को इसके जरिये पड़ोसी देशों के प्रतिबंधों की चुनौतियों से लड़ने में मदद की उम्मीद है.
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दोहा से करीब 40 किलोमीटर दक्षिण में मौजूद हमाद पोर्ट मध्य पूर्व के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक है. सऊदी अरब, मिस्र, बरहीन और संयुक्त अरब अमीरात ने इस साल जून में कतर से राजनयिक संबंध खत्म कर लिये. इसके बाद से इस बंदरगाह के जरिये कतर बड़ी मात्रा में भोजन सामग्री और निर्माण का सामान मंगा रहा है. कतर में 2022 का फुटबॉल वर्ल्ड कप होना है और उसके लिए देश में स्टेडियम और दूसरी इमारतों का भारी पैमाने पर निर्माण चल रहा है.
आतंकवादियों को कथित समर्थन के आरोपों पर लगे प्रतिबंधों ने कतर के लिए दक्षिण एशिया और सुदूर पूर्व के देशों से सामान की आपूर्ति पर चिंता पैदा कर दी थी.
मंगलवार को अधिकारियों ने कहा कि हमाद पोर्ट कतर को चीन और ओमान से सीधे सामान मंगाने में मदद करेगा. अब दुबई के पुनर्निर्यात बंदरगाह की जरुरत उसे नहीं पड़ेगी. कतर के परिवहन मंत्री जासिम बिन सैफ अल सुलैति ने हमाद पोर्ट के डॉक पर एक समारोह के दौरान कहा, "बंदरगाह ...हम पर लगी उन सभी बेड़ियों को तोड़ देगा जो हमारी अर्थव्यवस्था पर लगाई गई हैं."
नेताओं और अधिकारियों के भाषण के तुरंत बाद आतिशबाजी की रोशनी में पूरा बंदरगाह जगमगा उठा. इस दौरान कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी की भी प्रतिबंधों से लड़ने की कोशिशों की खूब तारीफ हुई.
सऊदी अरब के कतर के साथ अपनी सीमा को सील करने और यूएई के साथ समुद्री रास्ते को बंद करने से कतर के आयात में भारी कमी हुई थी. बीते साल के जून और जुलाई से अगर तुलना करें तो यह कमी करीब एक तिहाई की थी. सिर्फ इतना ही नहीं सऊदी अरब, यूएई और बहरीन ने कतर के बैकों से पैसा निकालना शुरू कर दिया जिससे कतर की बैलेंश शीट भी जोखिम में घिर गयी.
कतर ने अपने समुद्री रास्तों को भारत, ओमान, तुर्की और पाकिस्तान तक बढ़ा लिया है और एलान किया है कि अपनी लिक्विफाइड नेचुरल गैस का उत्पादन 30 फीसदी तक बढ़ा देगा जिससे कि वह आर्थिक आजादी के दीर्घकालीन लक्ष्य को पानी की दिशा में अपने कदम बढ़ा सके.
26 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हमाद पोर्ट हर साल 45 लाख कंटेनर का संचालन करने की क्षमता रखता है. इसके टर्मिनल मवेशी, अनाज, गाड़ियां और तटरक्षक बलों के जहाजों को अपने यहां उतारने के लिये बनाये गये हैं.
एनआर/एए (रॉयटर्स)
आखिर क्यों इतना खास है कतर
आबादी और क्षेत्रफल से हिसाब से कतर बहुत छोटा सा देश है. लेकिन उसकी वजह से पूरी अरब दनिया में हलचल मची है. सऊदी अरब समेत कई अरब देशों ने उससे संबंध तोड़ लिए. जानते हैं क्यों अहम है कतर.
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तेल और गैस
कतर कभी अरब दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक था. लेकिन वह इस क्षेत्र के सबसे अमीर देशों में शामिल है. इसकी वजह उसके यहां मिले तेल और गैस के बड़े भंडार.
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हिस्सेदारी
दुनिया की कई बड़ी कंपनियों में कतर की हिस्सेदारी है. इनमें लंदन का नामी डिपार्टमेंटल स्टोर हैरड्स, लग्जरी उत्पाद बनाने वाली फ्रांस की कंपनी एलवीएमएच मोएत एनसी लुई वितौं और पैरी सां जर्मेन फुटबॉल क्लब भी शामिल है.
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राजनीतिक महत्वाकांक्षा
कतर ने जहां सूडान के दारफूर में शांति प्रयासों में मध्यस्थ की भूमिका अदा की, वहीं फलस्तीनी गुटों में भी वह बीच बचाव करता रहा है. अफगान तालिबान से शांतिवार्ता में भी कतर ही मध्यस्थ है.
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अल जजीरा
कतर की सरकार ने 1996 में अल जजीरा के नाम से एक टेलीविजन नेटवर्क बनाया जिसने अरब दुनिया में खबरों की कवरेज और प्रसारण के तौर तरीकों को ही बदल दिया. दुनिया के दूसरे हिस्सों में अल जजीरा ने अपनी जगह बनायी है.
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कतर एयरवेज
कतर की सरकारी एयरलाइंस कतर एयरवेज दुनिया की चुनिंदा एयरलाइंस में शुमार होती है. इसके बेड़े में 192 विमान हैं और यह दुनिया के 151 शहरों को जोड़ती है.
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वर्ल्ड कप
कतर में 2022 के फुटबॉल वर्ल्ड कप का आयोजन होगा. अरब दुनिया का वह पहला देश है जो इस टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहा है. हालांकि इस आयोजन के निर्माण कार्यों में विदेशी कामगारों के शोषण की खबरें भी लगातार मीडिया में रहती हैं.
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जनसंख्या
कतर अरब दुनिया के सबसे छोटे देशों में से एक है, जिसका क्षेत्रफल 11,437 वर्ग किलोमीटर है. कतर की आबादी लगभग 25 लाख है, जिनमें से 90 प्रतिशत विदेशी हैं.
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1971 में अलग देश
कतर 55 साल ब्रिटेन के संरक्षण में रहा है. 1971 में जब उसने संयुक्त अरब अमीरात का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया तो एक अलग देश के तौर पर वह अस्तित्व में आया.
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शाही परिवार
कतर में 19वीं सदी के मध्य से ही अल-थानी परिवार का शासन है. कतर के मौजूदा अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी ने 2013 में अपने पिता शेख हमद बिन खलीफा अल-थानी के गद्दी छोड़ने के बाद सत्ता संभाली.
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मतभेदों की खाई
सऊदी अरब समेत सात देशों ने कतर से रिश्ते तोड़ लिए हैं, जिससे पहले ही कई संकटों से जूझ रहे मध्य पू्र्व में एक नया विवाद शुरू हो गया है. कतर पर आतंकवादी गुटों का समर्थन करने के आरोप लग रहे हैं जिनसे वह इनकार करता है.