लंबे समय से सामाजिक कार्यकर्ता इस कानून को खत्म करने की मांग कर रहे थे. अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) के मुताबिक नए कानून के तहत अब प्रवासी श्रमिक अपने नियोक्ता से मंजूरी लिए बगैर देश छोड़ सकते हैं. आईएलओ ने कतर के इस फैसले की सराहना करते हुए इसे महत्वपूर्ण कदम बताया है. पिछले साल कतर ने श्रमिक कानूनों में सुधार समेत, वीजा नियमों में बदलाव किए जाने को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की थी.
कतर की सरकारी न्यूज एजेंसी ने इस कानून में संशोधन किए जाने की पुष्टि की है. हालांकि अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि कितने प्रावधानों में बदलाव किया गया है. साल 2020 में होने वाले फुटबॉल विश्वकप की मेजबानी करने जा रहा कतर मजदूरों के शोषण जैसे आरोपों से मुक्त होना चाहता है.
कई श्रमिक और मानवाधिकार संगठन कतर और अन्य खाड़ी देशों में चलने वाले "कफाला स्पॉन्सरशिप सिस्टम" की निंदा करते आए हैं. इस सिस्टम को प्रवासी कामगारों पर निगरानी रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसमें अकुशल विदेशी मजदूरों को अपने लिए किसी स्पॉन्सर की जरूरत होती है, जो वीजा और कानूनी प्रक्रिया की देखरेख करता है. अधिकतर मामलों में यह स्पॉन्सर इनका नियोक्ता ही होता है. इन अकुशल मजदूरों से निर्माण क्षेत्र और घरेलू सेक्टरों में काम लिया जाता है. ये सिस्टम ओमान, कुवैत, सऊदी अरब, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों में आज भी लागू है.
कतर के वर्तमान और देश के आठवें अमीर हैं शेख तमीम बिन हमद अल थानी. 2013 में अपने पिता के बाद सत्ता संभालने वाले शेख थानी ने केवल 33 साल की उम्र में गद्दी संभाली. आइए जानें कतर के अमीर के बारे में कुछ और बातें.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photoकतर के इतिहास में सबसे कम उम्र में अमीर बनने वालों में शेख तमीम का नाम शामिल है. उनके पिता शेख हमद बिन खलीफा अल थानी ने दो दशकों तक शासन किया था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/O. Faisalसातवें अमीर शेख खलीफा अल थानी ने 2003 में ही अपने चौथे बेटे को अपना उत्तराधिकारी बनाया, जब उनके बड़े बेटे खुद किनारे हट गये.
तस्वीर: Karim Jaafar/AFP/Getty Imagesशेख तमीम ने ब्रिटेन में पढ़ाई की. यूके के शेरबॉर्न स्कूल, हैरो स्कूल और फिर रॉयल मिलिट्री एकेडमी से वे सन 1998 में ग्रेजुएट होकर निकले.
तस्वीर: picture alliance/dpa/NurPhoto/M. Wlodarczykकतर नेशनल ओलंपिक कमेटी के अध्यक्ष, कतर की सेना के उप प्रमुख और 2022 के कतर फीफा विश्व कप की आयोजन समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं शेख तमीम. तस्वीर में फीफा अध्यक्ष सेप ब्लैटर के साथ शेख हमद.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Bieriसऊदी अरब, यूएई जैसे देशों के शेखों ने 2013 में शेख तमीम को कतर की गद्दी संभालने के मौके पर बधाइयां भेजीं और अपने देशों के साथ भाईचारा बनाये रखने की उम्मीद जतायी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP Photo/SPAशेख तमीम के पिता और कतर के सातवें अमीर शेख हमद बड़े अनोखे तरीके से गद्दी पर बैठे. 1995 में जब उनके पिता और छठे अमीर विदेश गये थे, पीछे से उन्होंने खुद को नया अमीर घोषित कर दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpaकतर में प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार हैं जो अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हैं. सन 1995 के 8 अरब डॉलर से बढ़कर कतर की अर्थव्यवस्था 2010 में 174 अरब डॉलर की हो गयी.
तस्वीर: Picture alliance/AP Photo/K. Jebreiliशेख हमद के काल में कतर ने व्यावहारिक नीति अपनाते हुए कई देशों से संबंध बनाये. फलस्तीन के आंतरिक विभाजन जैसे कई क्षेत्रीय मुद्दों पर मध्यस्थ की भूमिका में रहा. सीरियाई विपक्ष का भी समर्थन किया.
तस्वीर: picture alliance / AP Photoकई दशकों से कतर के मिलिट्री बेस से युद्धक विमान उड़ाने वाले अमेरिका से शेख हमद ने करीबी संबंध विकसित किये. दूसरी तरफ कतर ने बाकी अरब देशों से अलग रुख रखते हुए ईरान से भी सौहार्दपूर्ण संबंध बनाये.
तस्वीर: Reuters/Larry Downing2014 में खाड़ी सहयोग परिषद में विवाद छिड़ा. सऊदी अरब, यूएई और बहरीन ने "आतंकी संगठन" मुस्लिम ब्रदरहुड का समर्थन करने के लिए शेख तमीम की आलोचना की. नाराज देशों ने कतर ने राजनयिक वापस लौटा दिये. कई महीनों बाद जाकर सुलह हुई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa2017 की शुरुआत से ही नये विवाद भी शुरू हुए. कतर न्यूज एजेंसी पर हैकर्स का हमला हुआ और शेख तमीम के हवाले से अमेरिकी विदेश नीति की निंदा करते हुए कुछ बयान लीक कर दिये गये. इससे नाराज कई अरब देशों ने कतर से संबंध तोड़ लिए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Nganकतर की 25 लाख की कुल आबादी में करीब 88 फीसदी लोग भारत, नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों से पहुंचे प्रवासी कामगार ही हैं. यहां भारत के करीब 650,000 मजदूर काम करते हैं और कतर का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय हैं.
तस्वीर: imago/imagebroker एए/एनआर (रॉयटर्स)