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कद्दू का दीवाना जर्मनी

६ नवम्बर २०१३

कुछ साल पहले तक जर्मनी में कद्दू को अच्छा नहीं माना जाता था और इसे गरीबों का खाना कहा जाता था, लेकिन अब ये मुख्य धारा में हैं. पतझड़ में हर रंग और हर आकार के कद्दू पसंद किए जा रहे हैं.

तस्वीर: DW/N. Abdi

क्रेवेल्सहोफ नाम के एक फार्म में जब जोनिटा हाफेरमाल्स ने पहली बार कद्दू सजे हुए देखे, तो उनको लगा कि वो खिलौने हैं. मुस्कुराते हुए वह बताती हैं कि उन्होंने पति के साथ कार में जाते हुए इन्हें देखा था. हाफेरमाल्स युगांडा की हैं. छह साल पहले जब वह जर्मनी आईं, तो कद्दू के लिए उनकी दीवानगी बढ़ी.

युंगाडा की तुलना में जर्मनी में कद्दू को लोग अलग नजर से देखते हैं, उसके पकवान भी अलग बनते हैं. हाफेरमाल्स कहती हैं, "युगांडा में हम कद्दू का सूप नहीं बनाते. हम उन्हें ऐसे खाते हैं." वे इस फार्म में कद्दू के अलग अलग साइज के कद्दू देख कर हैरान हुईं. इस फार्म में 50 अलग अलग तरह के कद्दू उगाए जाते हैं. यह फार्म अब स्थानीय लोगों की पसंद बन गया है.

फार्म में उगाई जाने वाली अधिकतर प्रजातियां खाने के लिए ही होती हैं सिर्फ कुछ जहरीली प्रजातियां सजाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं. इनमें अंदर ज्यादा गुदा होता है, जिसके कारण इसे खाने को मन ललचाता है. हालांकि इसीलिए इन पर चेतावनी का बड़ा सा बोर्ड भी लगा होता है. कद्दू की प्रतियोगिता इस इलाके की सबसे बड़ी है. इस साल कद्दुओं की मदद से शार्क, बकरी, गाय, घोड़े बनाए गए और ट्रैक्टर को भी रंगीन कद्दुओं से सजाया गया.

इतना ही नहीं इलाके के सबसे बड़े कद्दू की भी प्रतियोगिता हुई. विजेता रहा 450 किलो का कद्दू. क्रेवेल्सहोफ की मालिक डानिएला बीगेर कहती हैं, "हम इस फल को बहुत पसंद करते हैं क्योंकि यह कटाई के मौसम को सबसे अच्छे तरीके से दिखाता है."

450 किलो का कद्दूतस्वीर: DW/N. Abdi

शरीर और मन के लिए

जर्मनी में पहले कद्दू वो लोग खाते थे, जो मांस नहीं खरीद सकते थे, लेकिन इनके बारे में यह सोच बदल गई विचार खत्म हो गया है. जर्मनों ने इससे तरह तरह के पकवान बनाने सीख लिए हैं. इसमें कद्दू का सूप, प्यूरी, पाय, ब्रेड से लेकर मफिन तक शामिल हैं. अगर किसी को मीठा अच्छा लगता है तो वह कद्दू का जैम भी टेस्ट कर सकता है. कद्दू एकदम अलग अलग तरीके के होते हैं और इनके नाम भी मजेदार हैं, जैसे बेबी बू, लेडी गोडिवा या नाइजीरियन से बो. सबका स्वाद अलग अलग है, इनमें से कुछ तो सेहत के लिए खासे फायदेमंद भी हैं. कद्दू ऐसा फल है जिसे खाने में किसी तरह का परहेज करने की जरूरत नहीं. इसमें 90 फीसदी पानी होता है. खूब खनिज, विटामिन और फाइबर होते हैं इतना ही नहीं कैलोरी भी कम होती है.

आहार विशेषज्ञ टीना कुआम्बुश कहती हैं कि कद्दू में मिलने वाले खनिज में सबसे अहम पोटैशियम है. हर 100 ग्राम कद्दू में 300 मिलीग्राम पोटैशियम मिलता है, जो केले से ज्यादा है. जिन कद्दुओं के छिलके बहुत कड़े होते हैं, उनसे कुछ बनाने में मुश्किल होती है. हालांकि कुआम्बुश कहती हैं कि उनमें भी मैग्नीशियम, फेरिक, कॉपर और जिंक पर्याप्त मात्रा में होता है. इसका इस्तेमाल सर्दी खांसी के इलाज में हो सकता है.

कुआम्बुश नारंगी कद्दू की फैन हैं. वे बताती हैं, "मुझे कद्दू का सूप बनाना बहुत पसंद है. खासकर होककाइदो, कालाबाजा कद्दू और बटरनट स्क्वैश, गाजर या नारियल के साथ. लेकिन मैं सलाह दूंगी कि आप चटनी और पाय भी टेस्ट करें."

कद्दू से प्रोसेको शराबतस्वीर: DW/N. Abdi

क्रेवेल्सहोफ में दो खानसामा शेफ बुकहार्ड एहसेस और गेर्ड क्लाइन पारंपरिक खाने से आगे जा कर कद्दू से पास्ता, लजानिया और मफिन भी बनाते हैं. इतना ही नहीं, कद्दू से शराब भी.

हैलोवीन में

जर्मनी में पिछले दो साल में हैलोवीन का ट्रेंड काफी बढ़ा है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक जर्मनी में उपभोक्ता हैलोवीन से जुड़े विषयों पर 20 करोड़ सालाना खर्च करते हैं. हैलोवीन के साथ भूत और चुड़ैलें तो आती ही हैं, कद्दू भी आते हैं. कद्दू से जैक ओ लैंटर्न बनाने वाले बच्चों और बड़ों की फार्म पर कोई कमी नहीं होती.

दुनिया भर में हैलोवीन और कद्दू भले ही भूतों से जुड़ा हुआ हो, युगांडा के लोगों के लिए यह जीवन रक्षक साबित होते हैं. कद्दू लोगों के घरों को जहरीले सांपों से बचाते हैं. योनिटा हाफेरमाल्स बताती हैं कि उनके पड़ोसी कद्दुओं को सांप से बचाने के लिए इस्तेमाल करते हैं.

रिपोर्टः नूरादिन अब्दी/आभा मोंढे

संपादनः एन रंजन

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