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कपड़े करेंगे प्रदूषण कम

५ अक्टूबर २०११

वैज्ञानिक लंबे समय से ऐसी कार बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिस से प्रदूषण न हो. अब ऐसे कपड़े भी तैयार किए जा रहे हैं जो हवा को साफ कर सकेंगे, ताकि जिस हवा में हम सांस लें वह शुद्ध हो.

इन जीन्स को प्रदर्शनी में पेश किया गयातस्वीर: Gavin Duthie

यह रिसर्च ब्रिटेन की शेफील्ड यूनिवर्सिटी में चल रही है. वहां के विज्ञान विभाग के उपकुलपति टोनी रायन को यकीन है कि जो कपड़े हम पहनते हैं वे हवा को शुद्ध करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने इस तरह के कपड़ों को 'कैटेलिटिक क्लोदिंग' का नाम दिया है. उनके मुताबिक ये कपड़े वैसे ही काम करते हैं जैसे कारों में कैटेलिटिक कनवर्टर. उनका कहना है कि इसके इस्तेमाल से कार से निकलने वाली जहरीली गैसों के असर को खत्म करने में मदद मिल सकती है. हाल ही में इस नए डिजाइन को लंदन की एक प्रदर्शनी में पेश किया गया.

डॉयचे वेले से बातचीत में टोनी रायन ने बताया, "शीशे साफ करने में टिटैनियम डाइऑक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है. सूर्य की रोशनी और ऑक्सीजन के संपर्क में आते हैं वह ब्लीच और पेरोऑक्साइड बन जाता है. उसके बाद पेरोऑक्साइड प्रदूषण के साथ प्रतिक्रिया करते हैं."

शेफील्ड यूनिवर्सिटी के टोनी रायनतस्वीर: Gavin Duthie

आसानी से इस्तेमाल

टिटैनियम डाइऑक्साइड को कपड़े पर छिड़का या फिर धुलाई के साथ कपड़े में डाला जा सकता है. फोटो कैटेलिस्ट के तौर पर जब इस पर रोशनी पड़ती है तो वह प्रदूषक का ऑक्सीकरण करता है ताकि वह हवा में उड़ जाए. कार से निकलने वाला धुआं हानिरहित रसायन छोड़ता है. धुलाई के दौरान यह रसायन कपड़े से निकल जाता है. रायन का कहना है कि नैनो पार्टिकल को कपड़े धोने वाले पाउडर में मिलाया जाए तो हर बार कपड़े धोने के लिए 6 रुपए अधिक खर्चने होंगे. हवा की गुणवत्ता पर प्रभावशाली असर देखने के लिए 30 लोगों को कैटेलिटिस्ट वाले कपड़े पहनकर एक मीटर के दायरे में फुटपाथ पर चलना होगा. किसी भी व्यस्त शहर में इस तरह की भीड़ दिख ही जाती है.

लेकिन हर कोई रायन के इस विचार से सहमत नहीं है. लंदन में गैर लाभकारी संगठन क्लीन एयर के साइमन बिर्केट कहते हैं, "लंबी अवधि में हानिकारक उत्सर्जन से निपटने के लिए उसके स्रोत तक जाना होगा. 'कैटेलिटिक क्लोदिंग' की जगह आप गाड़ी में ऐसे उपकरण लगा सकते हैं जो हानिकारक रसायन को वातावरण में जाने से रोकते हैं."

कारों से प्रदूषणतस्वीर: AP

एक वास्तविक संभावना?

हर साल शेफील्ड में गाड़ियां करीब आठ हजार टन नाइट्रोजन ऑक्साइड वातावरण में छोड़ती हैं. ईयू के नियमों के अनुसार इसकी मात्रा एक हजार टन कम करनी होगी.  कुछ हल्कों में संशयवाद के बावजूद टॉनी रायन का कहना है कि उनके साथ काफी लोग हैं और वह लक्ष्य को पा सकते हैं. रायन कहते हैं, "अगर शेफील्ड की आधी आबादी जो कि 5 लाख है, वह कैटेलिटिक क्लोदिंग पहने तो वे नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा को तय की गई मात्रा से काफी नीचे ला सकते हैं. उनका मानना है कि जब लोगों को लगेगा कि उनके पास ऐसी शक्ति है जिससे हवा को साफ किया जा सकता है तो वे कंपनियों पर ऐसी टेकनोलॉजी बनाने के लिए दबाव डालेंगे. रायन ने डिटर्जेंट बनाने वाली कंपनियों से बात भी शुरू कर दी है. कई कंपनियों ने भविष्य में आने वाले डिटर्जेंट में नैनो पार्टिकल के इस्तेमाल में रुचि दिखाई है.

रिपोर्ट: लार्स बेवांगर/आमिर अंसारी

संपादन: ईशा भाटिया

 

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