पाकिस्तान में एक मल्टीनेशनल कंपनी के विज्ञापन ने लोगों को नाराज कर दिया है. अंतरराष्ट्रीय डिटरजेंट ब्रांड ने विज्ञापन में समाज में महिलाओं की भूमिका पर सवाल उठाते हुए पुरुषवादी सत्ता को चुनौती दी तो आलोचक नाराज हो गए.
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अमेरिकी एफएमसीजी कंपनी प्रॉक्टर एंड गैंबल के कमर्शियल ब्रांड एरियल पर ये सारा विवाद खड़ा हुआ है. कंपनी का विज्ञापन महिलाओं को रुढ़िवादी मान्यताओं को तोड़ते हुए अपना करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करता दिख रहा है. विज्ञापन में महिलाएं डॉक्टर, पत्रकार जैसी भूमिका में दिखाई देती हैं जो गंदी चादरों को धोकर उसे सुखा रही हैं.
चादरों पर वे बातें लिखी हैं जिनसे पाकिस्तान जैसे समाज में महिलाओं पर दबाव बनाया जाता है, मसलन ऐसे सवाल कि लोग क्या कहेंगे? ऐसे सवालों से लिपटे चादरों को महिलाएं धोकर मिटाती हुई विज्ञापन में नजर आती हैं.
विज्ञापन के अंत में पाकिस्तान की महिला क्रिकेट टीम की कप्तान बिसमाह मारूफ का क्लोज-अप शॉट आता है. इस शॉट में वह कहती हैं, "घर की चारदीवारी में रहो... ये बात नहीं बल्कि दाग है."
इस विज्ञापन की सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है. रुढ़िवादी तबका सोशल मीडिया पर इस विज्ञापन की खुलकर आलोचना कर रहा है और ट्विटर पर #बॉयकॉटएरियल ट्रेंड कर रहा है. ट्विटर पर बिनते सुलेमान ने लिखा, "ये लोग अपने विज्ञापन में इस्लामिक शिक्षा का अपमान कर रहे हैं."
पाकिस्तान के ही एक अन्य यूजर ने लिखा, "कृपया ऐसे उदारवादियों के खिलाफ कार्रवाई करो, जो पाकिस्तान में उदारवाद को उकसा रहे हैं."
सोशल मीडिया पर यहां तक कहा गया कि पाकिस्तानी विज्ञापन नियामक को ऐसे विज्ञापनों पर आधिकारिक रूप से रोक लगा देनी चाहिए और इन्हें हटा देना चाहिए. कंपनी की ओर से इस पूरे मसले पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की गई है.
पाकिस्तान में महिलाओं के खिलाफ ऐसी बातें नई नहीं है. पिछले कई दशकों से पाकिस्तानी महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लड़ाई कर रही हैं. हालांकि पाकिस्तान में अब भी महिलाओं का दमन आम है और ज्यादातर जगहों पर उन्हें आज भी घर के अंदर रखना ही सही समझा जाता है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब किसी कंपनी ने महिला अधिकारों की वकालत करने के चलते ऐसी प्रतिक्रिया झेली हो.
हाल में ही एक राइड शेयरिंग ऐप करीम ने एक विज्ञापन लॉन्च किया था. विज्ञापन में एक दुल्हन को शादी से भागते हुए दिखाया जाता है. विज्ञापन के कैप्शन में था, "अगर आप अपनी शादी से भागना चाहते हैं तो करीम ऐप बुक करिए." आलोचक इस विज्ञापन के विरोध में अदालत तक गए और इसे "अनैतिक प्रचार अभियान" बताया.
साल 2016 में मोबाइल कंपनी क्यूमोबाइल को भी पाकिस्तान में आलोचना का सामना करना पड़ा था. कंपनी के एक विज्ञापन में दिखाया गया था कि एक महिला क्रिकेटर अपने पिता की मर्जी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के अपने सपने को पूरा करने के लिए घर छोड़ कर चली जाती है. इस विज्ञापन को भी पाकिस्तानी मूल्यों के खिलाफ षड़यंत्र करार दिया गया था.
एशियाई देशों में महिलाओं की स्थिति बीते सालों में सुधरी है. बावजूद इसके अब भी समाज में कई विसंगतियां और परेशानियां बनी हुई है. एक नजर भारत और आसपास के देशों पर.
तस्वीर: Ghazanfar Adeli/DW
भारत
अब तक बाजार में दुकानों पर काम करना पुरुषों का काम समझा जाता था, लेकिन अब महिलाएं गैर पारंपरिक क्षेत्रों में काम करने लगी हैं. इसके बावजूद समाज में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा और अपराध बने हुए हैं. कुछ समय पहले ही भारत में #MeToo कैंपेन शुरू हुआ था. इस कैंपेन में कई प्रभावशाली महिलाओं से लेकर आम औरतों ने अपने साथ हुए यौन शोषण की कहानी बयान की थी.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
पाकिस्तान
इस तस्वीर में बीच में बैठी दिख रही महिला पाकिस्तान की पहली महिला कार मैकेनिक, उज्मा नवाज है. पाकिस्तान में महिलाओं को धीरे धीरे पहले से ज्यादा आजादी मिलने लगी है. देश के कराची शहर में औरतों ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2019 के मौके पर #AuratAzadiMarch नारे के साथ रैली निकाली. महिलाएं अब अपने अधिकारों को लेकर काफी जागरुक हुई हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S.S. Mirza
अफगानिस्तान
2001 में अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान में किए गए दखल से लगने लगा था कि देश में महिलाओं की स्थिति बेहतर होगी. लेकिन हाल की राजनीतिक हलचलों को देखकर लगता है कि अफगानिस्तान की सरकार में एक बार फिर तालिबान का दखल हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो देश में महिलाओं की स्थिति में शायद ही कोई सुधार हो. शिक्षा से लेकर काम करने के अधिकारों को हासिल करने में उन्हें बहुत मुश्किलें आएंगी.
तस्वीर: Getty Images/R. Conway
बांग्लादेश
पिछले दो दशकों से लगातार बांग्लादेश की कमान किसी महिला नेता के पास ही रही है. देश का प्रधानमंत्री पद एक महिला ही संभाल रही है. देश में महिला अधिकारों को लेकर कुछ सुधार तो हुए हैं लेकिन अब भी कार्यस्थल पर उनकी स्थिति बहुत बेहतर नहीं हुई है. साथ ही स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी महिलाएं पिछड़ी हुई हैं.
तस्वीर: DW/M. M. Rahman
श्रीलंका
श्रीलंका की महिलाएं अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में हैं. महिलाओं की सामाजिक स्थिति कुछ हद तक परिवारों की आर्थिक स्थिति पर भी निर्भर करती है. कुछ लड़कियां जल्दी काम करना शुरू कर देती हैं तो वहीं कुछ लंबे समय तक पढ़ती हैं. दक्षिण एशिया में श्रीलंका ही एक ऐसा देश है, जहां की महिलाओं के पास स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ी अच्छी सुविधाएं हैं.
तस्वीर: Imago/Photothek
ईरान
आज ईरान की महिलाओं की अपनी एक फुटबॉल टीम है. लेकिन अब भी देश की महिलाओं के लिए आजादी और सशक्तिकरण की लड़ाई खत्म नहीं हुई है. हेडस्कार्फ लगाने की प्रथा के खिलाफ खड़ी हुई लड़कियों का समर्थन कर रही एक वकील नसरीन सौतुदेह को ईरान में पांच साल कैद की सजा हुई है. ईरान में महिलाओं के लिए हेडस्कार्फ लगाना अनिवार्य है.
तस्वीर: Pana.ir
इंडोनेशिया
इंडोनेशिया की महिलाएं हमेशा से आगे रही हैं. समाज की प्रगति में इनका अहम योगदान है. लेकिन अब भी देश में लागू शरिया जैसे धार्मिक कानून उन्हें आगे बढ़ने से रोक देते हैं. देश के आचेह प्रांत में इस्लामिक शरिया कानून लागू है. इसके तहत महिलाओं के लिए हेडस्कार्फ अनिवार्य है. साथ ही वे परिवार के बाहर किसी भी पुरुष से बात भी नहीं कर सकती हैं.
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चीन
चीन की आर्थिक वृद्धि ने देश में महिलाओं की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार किया है. लेकिन अब भी समाज में महिलाओं के साथ भेदभाव बरकरार है. इसी भेदभाव के चलते आज चीन का सेक्स अनुपात गड़बड़ा गया है. चीन में भी महिलाओं की स्थिति शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र में पुरुषों की तुलना में काफी पिछड़ी हुई है. (मानसी गोपालकृष्णन/ एए)