लंदन में प्रदूषण के स्तर का सही अंदाजा लगाने की जिम्मेदारी 10 कबूतरों के कंधों पर है. एक खास कार्यक्रम के तहत उन्हें विशेष डिटेक्टरों से लैस कर हवा में छोड़ा गया.
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इन कबूतरों की पीठ पर लगे डिटेक्टर में जीपीएस डिवाइस फिट है. साथ ही इसमें प्रदूषण के प्रति संवेदनशील सेंसर लगे हैं जो बताएंगे कि हवा में नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और ओजोन का क्या स्तर है. इन कबूतरों को लंदन के प्रिमरोस हिल इलाके से हवा में छोड़ा गया.
फ्रांसीसी स्टार्टअप कंपनी प्लूम लैब्स के संस्थापक रोमेन लैकोम्ब ने बताया कि कबूतरों पर लगे सेंसर में जमा डाटा रिसर्चरों को मिलेगा, जिसे pigeonairpatrol.com वेबसाइट पर भी देखा जा सकता है.
असल में यह प्लूम लैब्स के एक विस्तृत रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसमें लंदन के 100 बाशिंदों पर प्रदूषण डिटेक्टर लगाकर प्रदूषण का स्तर ना सिर्फ पता लगाया जाएगा, बल्कि जानकारी आम नागरिकों तक वेबसाइट के जरिए पहुंचाई जाएगी. इस प्रोजेक्ट से जुड़ने के इच्छुक लोग क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म पर 79 पाउंड से 99 पाउंड तक देकर ऐसा कर सकते हैं. एक ही दिन में 60 स्थानों के लिए लोगों ने जगह पक्की कर ली.
क्यों छाती है धुंध की चादर
भारत ही नहीं चीन, इटली और दुनिया के कई अन्य देश इस समय धुंध से परेशान रहते हैं. लेकिन यह आती कहां से है? आखिर क्या है धुंध और क्या होता है जब यह नीचे उतरती है? आइए देखें...
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कैसे बनता है
इटली की पो घाटी में पिछले कुछ हफ्तों से मौसम शांत और ठंडा रहा. ऐसे मौसम में वाहनों से निकलने वाला धुआं जमीन के पास की हवा में ही फंस जाता है. लेकिन गर्मियों में होने वाली धुंध फोटोकेमिकल होती है. वह वायु प्रदूषण और सूर्य की किरणों के मिलने से बनती है. दोनों ही स्वास्थ्य के लिए बुरे हैं.
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दो धारी तलवार
गर्मियों में होने वाली धुंध में ओजोन की मुख्य भूमिका होती है. ओजोन वह कंपाउंड है जो सूर्य की पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करता है. नियम यह है कि अगर ओजोन ऊपर स्ट्रैटोस्फियर में है तो अच्छा है लेकिन अगर यह नीचे ट्रोपोस्फियर में आ जाए तो हमारे लिए खतरनाक हो सकती है.
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बेहद छोटा
हालांकि धुंध में दिखाई देना मुश्किल हो जाता है लेकिन धुंध जिन बारीक कणों से बनी होती है उन्हें अलग अलग सामान्य आंखों से देख पाना संभव नहीं.
धुंध या कोहरा?
30 अक्टूबर 2014 को जर्मन अंतरिक्ष यात्री आलेक्जांडर गेर्स्ट ने एक अहम सवाल किया. उन्होंने इटली के पो इलाके को अंतरिक्ष से देख कर पूछा कि उसके ऊपर दिखाई दे रहा आवरण धुंध है या कोहरा? तकनीकी जवाब है - दोनों. धुंध यानि स्मॉग असल में धुएं (स्मोक) और कोहरे (फॉग) से मिलकर बनता है.
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पिज्जा बनाने वालों की मुश्किल
शहरों के बाहर धुंध ज्यादा होती है क्योंकि यहां औद्योगिक धुआं ज्यादा निकलता है. इटली के शहर नेपल्स के पास स्थित विटालियानो में स्थिति इतनी बुरी है कि गांव ने लकड़ी जलाकर इस्तेमाल होने वाले तंदूरों में पिज्जा बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
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ऑड ईवन रूल
धुंध से लड़ने के लिए नए साल में दिल्ली सरकार ने राजधानी में गाड़ियों के लिए सम और विषम नंबर प्लेट का नियम शुरू किया. इसके मुताबिक एक दिन सम और दूसरे दिन विषम नंबर वाली गाड़ियां सड़क पर होंगी.
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धुंध का गढ़
चीन की राजधानी बीजिंग धुंध की मार से बुरी तरह परेशान है. कई बार शहर में रेड अलर्ट जारी कर स्कूलों और कॉलेजों को बंद रखना पड़ा. यही नहीं निजी वाहनों के इस्तेमाल पर भी पाबंदी लगाई गई. साल 2015 में चीन में इतिहास में सबसे अधिक धुंध रिकॉर्ड हुआ.
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7 तस्वीरें1 | 7
ब्रिटेन में वायु प्रदूषण सरकार के लिए भी बड़ा सवाल बनकर सामने खड़ा है. विपक्ष के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने संसद में प्रधानमंत्री डेविड कैमरन से इस संदर्भ में कड़े सवाल किए. कॉर्बिन ने अपना पक्ष रखते हुए आंकड़े सामने रखे जिनके मुताबिक हर साल ब्रिटेन में 40 हजार लोग जान गंवाते हैं.
लेबर पार्टी के नेता ने कहा कि यह एक कड़वा सच है कि यूरोपीय कमिशन के साथ तय हुई 15 साल की समयावधि में ब्रिटेन पर्दूषण की समस्या को काबू में कर सके, इससे पहले ही करीब पांच लाख लोग प्रदूषण के कारण जान गंवा चुके होंगे. साल 2014 में लंदन में नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड की मात्रा किसी भी यूरोपीय राजधानी से ज्यादा पाई गई.
एसएफ/आईबी (एएफपी)
क्या है पशुओं की सामूहिक मौत का राज
चेतावनी: यहां दिखाई गई तस्वीरों से आप विचलित हो सकते हैं! दुनिया के कोने कोने से कई जंगली जीव जन्तुओं की सामूहिक मृत्यु की जानकारी मिल रही है. इन नाटकीय घटनाओं में से कई के कारण उतने ही संदिग्ध और रहस्यमयी बने हुए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Scorza
समुद्रवासियों की मौत
2016 में अब तक ही मछलियों की सामूहिक मौत की कम से कम 35 अलग अलग घटनाएं सामने आ चुकी हैं. तस्वीर में दिखाई गई घटना 2015 में रियो डी जेनेरो के एक तट की है जहां 33 मीट्रिक टन भार की मृत मछलियां किनारे आ लगी थीं. कारण प्रदूषण के कारण पानी में सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की कमी को बताया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Scorza
भूखे मरते समुद्री पक्षी
पिछले पूरे साल उत्तरी अमेरिका के पूरे वेस्टर्न कोस्ट इलाके में समुद्री पक्षियों के अनगिनत शव देखे गए. करीब 10,000 शवों को गिना जा सका. जब इन मौतों के पीछे किसी बीमारी या चोट का पता नहीं चल सका तो इसके लिए ग्लोबल वॉर्मिंग को जिम्मेदार माना गया. फरवरी 2016 में भी अलास्का में एक बार फिर करीब 8,000 सीबर्ड मृत पाई गई. इनका मुख्य भोजन मछली है, जो कि खुद भी मर रही हैं.
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कछुओं पर हर्पीज अटैक
पूरे विश्व के सबसे बड़े समुद्री कछुओं में एक खतरे में पड़ी समुद्री हरे कछुओं की प्रजाति है. उन पर जानलेवा हर्पीज वायरस ने हमला बोल दिया है. यह वायरस ना केवल कछुए की दृष्टि छीन लेते हैं बल्कि धीरे धीरे उनकी सारी गतिविधियां बंद कर देते हैं. विशेषज्ञ अभी तक इन वायरसों को फैलने से रोकने में कामयाब नहीं हो सके हैं. यहां भी प्रदूषण और ग्लोबल वॉर्मिंग की अहम भूमिका हो सकती है.
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि 2015 के वसंत में ही कुल साइगा हिरणों की आधी आबादी दो हफ्तों से भी कम समय में खत्म हो गई. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह प्रजाति क्लाइमेट चेंज से प्रभावित है और एक साल के अंदर पूरी तरह विलुप्त हो सकती है. शुक्र है कि उसके बाद से अब तक और किसी सामूहिक मृत्यु की सूचना नहीं मिली है.
तस्वीर: Imago/blickwinkel
समुद्र तट की घातक छुट्टियां
2016 की शुरुआत से ही चिली के तट पर विघटित हो रहे हैं हजारों जाएंट स्कविड के मृत शरीर. स्थानीय लोग स्वास्थ्य और सफाई के लिए चिंतित हैं, तो वैज्ञानिक इतने बड़े स्तर पर ऐसा होने को लेकर परेशान हैं. यहां भी ग्लोबल वॉर्मिंग और अल नीनो को संभावित हत्यारा माना जा रहा है.
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ड्रैकुला आपके द्वार
2015 में भारत के भोपाल में आसमान से हजारों चमगादड़ गिरे थे. इसके एक साल पहले करीब एक लाख चमगादड़ क्वीन्सलैंड ऑस्ट्रेलिया में भी मृत पाए गए थे. सड़कें, पेड़ और बाजार मरे हुए चमगादड़ों से अटे पड़े थे. ये उड़ने वाले स्तनधारी गर्मी को लेकर बहुत संवेदनशील होते हैं और यही उनके मरने की वजह भी समझी गई.
तस्वीर: Berlinale
व्हेलों की आत्महत्या
व्हेलें मरने से पहले खुद ही किनारों की तरफ आती हैं. लेकिन प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन इस प्रक्रिया को और तेज कर रहा है. जर्मनी, अमेरिका, न्यूजीलैंड और चिली तक से सैकड़ों व्हेलों के इस तरह मरने की खबरें आईं. 2016 में ही अब तक यूरोप के तटीय इलाकों में 29 स्पर्म व्हेलें मृत पाई जा चुकी हैं.