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कब तक चलेगा काला जादू?

५ अक्टूबर २०११

जापान में एक 13 साल की बच्ची की जान तब चली गई जब उसके पिता ने एक तांत्रिक के साथ मिल कर उसे प्रेतात्मा से मुक्त कराने की कोशिश की. जादू टोने जैसी कुप्रथाओं ने 21वीं सदी में भी पूरी दुनिया पर अपना जाल फैला रखा है.

Devil dressed in a business suit. Foto: Fotolia/James Thew 6003768
तस्वीर: Fotolia/James Thew

पुलिस ने बच्ची के पिता और धार्मिक गुरु को हिरासत में ले लिया है. पिता की उम्र 50 साल है और इस तांत्रिक की 56. पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार लड़की की दम घुट जाने के कारण जान चली गई. दरअसल बेटी को प्रेतात्मा से मुक्त कराने के लिए पिता ने काले जादू का सहारा लिया और एक बौद्ध महंत से संपर्क किया. फिर लड़की को इन साधुओं की एक खास जगह पर ले जाया गया.

सारी रात लड़की को कुर्सी से बांध कर रखा गया. उसे एक ऐसी जगह बिठाया गया जहां लगातार पम्प की मदद से उस पर पानी गिरता रहा. इस बीच यह तांत्रिक मंत्र पढता रहा. लड़की के पिता ने उसे पकड़ कर रखा ताकि वह हिल ना सके. लगातार मुंह पर पानी पड़ते रहने के कारण वह सांस नहीं ले पाई और उसकी जान चली गई.

जब मां ने सुबह देखा कि बेटी अभी भी बेहोश है तो घबरा कर एम्बुलेंस बुला ली, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी. जाहिर है पिता का मकसद बेटी की जान लेना नहीं था, बल्कि किसी बीमारी से निजात दिलाना था लेकिन साधू की बातों में आ कर वह बेटी का कातिल बन गया. स्थानीय मीडिया में आ रही रिपोर्टों के अनुसार ऐसा उसके साथ पहली बार नहीं किया गया था, बल्कि उसे कम से कम सौ बार पहले भी वहां ले जाया गया था.

तस्वीर: Fotolia/Anyka

भगवान के नाम पर

यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मामला नहीं है और ना ही काला जादू किसी एक धर्म से जुड़ा है. इसाई धर्म में भी 'एक्सॉरसिज्म' के नाम पर भक्तों को भगवान से जोड़ने की कोशिश की जाती है और इस्लाम में जिन्न से छुटकारा पाने के लिए काले जादू का सहारा लिया जाता है. भारत में शायद ही कोई शहर या गांव ऐसा होगा जहां कहीं ना कहीं छुप कर झाड़ फूक ना की जाती है.

तस्वीर: AP

भारत में ज्योतिष विज्ञान के जानकार पंडित अशोक वासुदेव बताते हैं कि देश में ऐसी कुप्रथाएं चारों ओर फैली हुई हैं, "भारत में 70 प्रतिशत लोग अशिक्षित और अंधविश्वासी हैं. ना ही वे वेदों के ज्ञान को समझते है और ना ही ज्योतिष शास्त्र को. वे यह भी नहीं जानते कि हमारे त्यौहारों का महत्व क्या है. वे तो बस बगैर चीजों का मतलब समझे अंधाधुंध उनके पीछे भाग रहे हैं."

टीवी का बुरा असर

खुद टीवी पर लोगों को सलाह देने वाले पंडित वासुदेव मानते हैं कि अधिकतर चैनल अपने मुनाफे के लिए ज्योतिष की गलत छवि प्रस्तुत करते हैं, "भगवान के नाम पर ज्योतिषी लोगों को ठग रहे हैं और लखपति बन रहे हैं. ज्योतिष विज्ञान का जो दूषित रूप आज कल भारत के टीवी चैनलों पर दिखाया जा रहा है वह लोगों में गलत धारणाएं भर रहा है. टीवी चैनल केवल मसाला बेचना चाहते हैं और आम लोग जो देखते हैं उसी पर विश्वास करने लगते हैं."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

पंडित वासुदेव का कहना है कि ज्योतिष एक विद्या है जो गणित पर आधारित है. इसके विपरीत तंत्र मंत्र केवल एक सोच है. उनके अनुसार ज्योतिष शास्त्र और तांत्रिक साधना में एक लकीर खींचना जरूरी है, क्योंकि अधिकतर लोग इन दोनों के बीच का फर्क नहीं समझ पाते और पंडितों की बातों में आ जाते हैं. वह इसकी तुलना हिप्नॉसिस से करते हैं जिसके जरिए व्यक्ति के दिमाग पर असर पड़ता है. वह कहते हैं कि इसके जरिए लोगों की भावुकता का फायदा उठाया जाता है और उन्हें वश में किया जाता है, "जिस समय यह किया जाता है उस समय आप उस व्यक्ति से जो भी कहेंगे वह उसे मान लेगा. अगर उसे कहा जाए कि सामने बैठा व्यक्ति में भूत, प्रेत या आत्मा है, जो इस धरती पर आ कर उसके लिए कुछ अच्छा या बुरा कर सकती है, तो वह उस बात पर विशवास करना शुरू कर देता है."

कोई आधार नहीं

लोगों के जीवन में अत्याधिक तनाव होने के कारण वे ऐसे रास्ते अपनाते हैं. पंडित वासुदेव का कहना है कि इस से निजात पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि लोग लम्बे समय से ऐसी कुरीतियों के साथ जीते आए हैं, "यह हमारे खून में सदियों से घुसा हुआ, इसलिए जब हम किसी भी ज्योतिषी को देख लें तो हमें लगता है कि शायद यह ईश्वर के बहुत नजदीक है और भगवान को जानता है."

तस्वीर: AP

इसी सोच के कारण कई बार लोग काले जादू के चक्कर में फंस जाते हैं. पंडित वासुदेव का कहना है कि काला जादू एक ऐसी सोच है जिसका कोई आधार ही नहीं है, "मैं हरिद्वार जा कर चार दिन तक पानी में खड़ा रहा, पहाड़ों में जा कर उन साधुयों से मिला जो इस तरह की चीजें करते हैं, मैंने भी उन्हीं की तरह क्रियाएं कर के कुछ करने की कोशिश की. अंत में पाया कि ऐसा कुछ हो ही नहीं सकता, इसका कोई आधार ही नहीं है."

उनकी यह भी सलाह है कि लोगों को अपने प्रियजनों को किसी दिक्कत से छुटकारा दिलवाने के लिए तांत्रिकों का सहारा लेने की जगह डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक की मदद लेनी चाहिए. साथ ही वह यह भी कहते हैं कि ज्योतिष को लोगों को एक काउंसलर की तरह समझना चाहिए, "ज्योतिष का काम केवल एक सलाहकार का है. उसे आपको केवल एक अच्छा रास्ता दिखाना होता है."

रिपोर्टः ईशा भाटिया

संपादनः एन रंजन

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