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कब मिलेगी इंटरनेट की आजादी ?

१५ अगस्त २०११

भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिष्ठा कायम की है. लेकिन सभी लोगों तक आज भी इंटरनेट नहीं पहुंचा है जो दीर्घकालीन विकास के लिए ठीक नहीं है.

तस्वीर: Fotolia/Kobes

देश की खराब इंटरनेट सेवा से दिल्ली की मशहूर कॉलेज लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ने वाली 18 साल की सृष्टि शर्मा दुखी हैं. सृष्टि कहती हैं, "रिसर्च के लिए जब कभी इंटरनेट की जरूरत पड़ती है तो एक ही जगह आप जा सकते हैं. वह है लाइब्रेरी लेकिन वहां भी 10 ही कंप्यूटर हैं." इसके बजाय सृष्टि अपना लैपटॉप कॉलेज के मैदान से बाहर ले जा कर इंटरनेट कैफे में इस्तेमाल करती हैं और उसके बदले उसे पैसे देने पड़ते हैं. सृष्टि कहती हैं, "तकरीबन हर रोज मुझे कैंपस छोड़कर अपने काम के लिए जाना पड़ता है. काफी हताशा से भरा काम है यह. जाने आने में काफी समय बर्बाद हो जाता है."

इंटरनेट की भूख

कई मायनों में सृष्टि भाग्यशाली है कि क्योंकि भारत की 1.2 अरब आबादी अब भी आर्थिक परिवर्तन के लाभ लेने के लिए संघर्ष कर रही है. भारत के इंटरनेट और मोबाइल असोसिएशन के एक अनुमान के मुताबिक देश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले सिर्फ तीन फीसदी नागरिक ही साल के अंत में एक्टिव इंटरनेट इस्तेमाल करने सकेंगे.

तस्वीर: Fotolia/Sven Grundmann

टेक्नॉलोजी कंपनी सिस्को ने जून में आंकड़े जारी किए थे जिसमें बताया गया कि वैश्विक इंटरनेट इस्तेमाल 2010 और 2015 के बीच चार गुना हो जाएगा. प्रति व्यक्ति इस्तेमाल के मामले में भारत उभरते बाजार जैसे चीन, दक्षिण अफ्रीका और मेक्सिको से पिछड़ते नजर आएगा.

सैन फ्रांसिस्को स्थित प्रौद्योगिकी सलाहकार उलरिक मैकनाइट जो भारतीय, यूरोपीय और अमेरिकी कंपनियों के साथ काम करते हैं. उनके मुताबिक, "सरकार को इंटरनेट एक्सेस को प्राथमिकता देनी होगी. सोचिए इसका असर शिक्षा पर कितना होगा. ऑन लाइन कोर्स मटेरियल डालना काफी सस्ता है. हर गांव में कॉलेज बनाने के बजाए भावी छात्र को इंटरनेट सुविधा दीजिए." मोबाइल के मुकाबले इंटरनेट को बढ़ने में काफी समय लगा. शहरी युवा से लेकर गांव के किसान तक के पास मोबाइल है.

तस्वीर: DW

आईएएमएआई के अध्यक्ष सुभो रे कहते हैं, "मोबाइल फोन को भारत में कामयाब होना ही था. वह एक उद्देश्य को पूरा करता था क्योंकि लैंडलाइन कनेक्शन को लगाना आसान नहीं है. लेकिन इंटरनेट काफी जटिल है. आपको उनकी मदद करनी होगी यह बताने में कि वह उनकी किस तरह से जिंदगी आसान बना सकता है."

इंटरनेट में तेजी की जरूरत

जानकार कहते हैं कि मूलभूत सुविधाओं जैसे बिजली सप्लाई और व्यापक लैंडलाइन नेटवर्क की कमी की वजह से इंटरनेट एक्सेस को बढ़ाना काफी मुश्किल है. जाने माने टेक्नॉलोजी ब्लॉगर अमित अग्रवाल कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि सरकार इंटरनेट को बढ़ाने के लिए कुछ खास काम कर रही है. खासकर के ग्रामीण भारत में. गांव में बच्चे बहुत जल्दी सीख सकते हैं लेकिन किसी को तो मूलभूत सुविधाएं देनी होगी ताकि यह मुमकिन हो सके."

2010 तक 2 करोड़ ब्रॉडबैंड कनेक्शन देने की सरकारी योजना अका ही लक्ष्य पूरा नहीं हो सता है. अमेरिका के मुकाबकले भारत के ब्रॉडबैंड कनेक्शन कहीं नहीं टिकते. भारत ब्रॉडबैंड कनेक्शन की संख्या को बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजना बना रहा है. फिलहाल देश में 1.2 करोड़ ब्रॉडबैंड यूजर हैं जिसे बढ़ाकर 2012 तक 7.5 करोड़ करना है और 2014 तक 16 करोड़ भारतीयों को ब्रॉडबैंड के साथ जोड़ना है.

रिपोर्ट: एएफपी/ आमिर अंसारी

संपादन: आभा एम

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