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कभी इंसानों से मुकाबला करते थे स्लॉथ

२७ अप्रैल २०१८

क्या आप मानेंगे कि दिन के 24 घंटों में से 21 घंटे तक सोने वाला जानवर स्लॉथ कभी इंसानों से टक्कर लेता था. वैज्ञानिकों के मुताबिक सदियों पहले स्लॉथ आकार में बेहद ही विशाल हुआ करते थे.

Tiere - Riesenfaultier - Fossile Spuren
तस्वीर: Reuters/Bournemouth University/A. McCelland

दुनिया के सबसे आलसी जानवरों में शुमार स्लॉथ कभी आकार में विशाल हुआ करते थे. एक स्टडी के मुताबिक 11,000 साल पहले भी धरती पर स्लॉथ रहा करते होंगे. जिनकी लंबाई 2 मीटर तक होगी और जिनके पंजे आकार में काफी बढ़े होते होंगे. लेकिन प्राचीन काल में इंसानों के साथ इनका काफी संघर्ष हुआ, जिसके चलते ये विशाल स्लॉथ धरती से विलुप्त हो गए.

अमेरिका के न्यू मेक्सिको राज्य के व्हाइट सैंड वाले इलाके में विशाल पैरों के निशान वाले जीवाश्म मिले हैं. रिसर्चर्स के मुताबिक इन निशानों से पता चलता है कि इंसान, विशाल स्लॉथ के पंजे के निशानों का पीछा करते हुए इनसे गुजरा होगा. जिसके बाद दोनों के बीच टक्कर हुई होगी. इस टक्कर में संभवत: भाले का इस्तेमाल किया गया होगा. 

सूरीनाम में स्लॉथ का अस्पताल

04:59

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बोर्नमर्थ यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और वैज्ञानिक मैथ्यू बेनेट ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि, "इस ट्रैक को देखकर हमें यही कहानी समझ आ रही है कि इंसान इन स्लॉथों पर निगाह रखता था, इनका पीछा करता था. लेकिन हम यह समझने की भी कोशिश कर रहे हैं कि क्या इस टकराव के बीच कोई और भी आया होगा. और, उसने मारने वाले को झटका देने की कोशिश की होगी. कुल मिलाकर यह खासी दिलचस्प कहानी है जो पूरी तरह से इन पैरों के निशानों पर लिखी है."

इस स्टडी में रिसर्चर्स ने यह भी समझा कि कैसे स्लॉथ अपने पैरों का इस्तेमाल खुद की रक्षा के लिए करते रहे होंगे. वैज्ञानिकों के मुताबिक स्लॉथ के खिलाफ इंसान समूह मे काम करता होगा. उसकी एक टीम स्लॉथ का ध्यान भटकाती होगी. वहीं दूसरी टीम निशाना साधती होगी. स्टडी मुताबिक जिन जगहों पर इंसानों के पैरों के निशान नहीं मिलते हैं वहां स्लॉथों के पैरों के निशान एकदम क्रम में हैं. लेकिन जहां इंसानों की मौजूदगी का अंदाजा लगता है वहां यह टेढ़े-मेढ़े और क्रम में नहीं है. इन जीवाश्मों को और समझने के लिए 3डी मॉडलिगं तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस सिस्टम में इन जीवाश्मों को सुरक्षित रखा गया है. यह खास सिस्टम को बेनेट ने विकसित किया है. साथ ही एक स्टैंडर्ड डिजिटल कैमरे की मदद से 22 अलग-अलग एंगलों से इसकी तस्वीरें ली गईं हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक किसी भी जीवाश्म के आपस में जुड़े दो सेट मिलना एक अचंभे से कम नहीं है.

एए/ओएसजे (रॉयटर्स)

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