कमरों में नहीं, कारों में रहिए
११ अक्टूबर २०१३पश्चिमी देशों में पुरानी और बेकार गाड़ियों को जरूरी कल पुर्जे निकाल कर जंकयार्ड में भेज दिया जाता है. काम के पुर्जों को दोबारा इस्तेमाल के लिए बेच दिया जाता है और कारों के ढांचे रिसाइकिल कर दिए जाते हैं. आम तौर पर बेकार कारों के 85 फीसदी हिस्से का इस्तेमाल हो सकता है.
जर्मनी के बॉन शहर में एक जगह ऐसी है, जहां कबाड़ बन चुकी इन गाड़ियों को बिलकुल नया रूप दिया जाता है. पुरानी सिट्रोएन वैन अब यहां हॉस्टल का हिस्सा हैं. बड़ी बड़ी गाड़ियों और स्लीपिंग कारों में कुल 130 मेहमानों को ठहराया जा सकता है. एक नए तजुर्बे के लिए हॉस्टल में सिर्फ जर्मनी ही नहीं, बल्कि नीदरलैंड्स, पोलैंड और रोमानिया के लोग भी पहुंचते हैं. हॉस्टल के मालिक मिषाएल श्लोएसर बताते हैं, "असल में हमने पहले कारवां मंगा कर देखा कि किसके साथ कौन सा थीम फिट बैठता है. शुरू में हमने कुछ तय नहीं किया था, लेकिन मोटे तौर पर हम अलग अलग देशों और काल दिखाना चाहते थे."
डिजाइनिंग का काम संभाल रही मारियॉन जॉयल बताती हैं कि एक कार को पूरी तरह तैयार करने के लिए साल भर लग जाता है, "ज्यादातर इस्तेमाल की गई चीजें ही लगाई जाती हैं. इंटीरियर का कंसेप्ट भी रिडिजाइनिंग से जुड़ा है. मैं हर कबाड़ी बाजार में गई, सेकंड हैंड दुकानों में गई, अखबार देखे, ताकि वैसी चीजें खोज पाऊं, जो इस कारवां की थीम से मेल खा सके."
हर कारवां अपने आप में एक कला है. हॉस्टल में आने वाले लोगों को सिर्फ किसी खास जगह का अहसास कराना ही उद्देश्य नहीं है, बल्कि उन्हें इतिहास की एक झलक देना भी जरूरी है. यहां जर्मनी के सबसे पुराने सिनेमाघरों में से एक मेट्रोपोल सिनेमा की सीटों का भी इस्तेमाल किया गया है. बॉन का यह सिनेमाघर 2006 में बंद हो गया. अगर आप महसूस करना चाहते हैं कि साठ के दशक में पूर्वी जर्मनी के लोग कैसे कैंपिंग किया करते थे, तो वह अहसास भी आपको यहां मिल जाएगा.
बॉन शहर में 1,600 वर्गमीटर पर फैला यह हॉस्टल एक बिलकुल अलग जगह है. अपसाइक्लिंग वाली इस अनूठा जगह को आप पूरे परिवार के साथ अनुभव कर सकते हैं या फिर दोस्तों के साथ भी यहां घूमने आ सकते हैं.
रिपोर्टः पारामीता कारीसा/ओंकार सिंह जनौटी
संपादनः ईशा भाटिया