अमेरिका से लगभग 12 हजार किलोमीटर दूर भारत के एक गांव में डेमोक्रैटिक पार्टी की जीत की दुआएं मांगी जा रही हैं. डेमौक्रैटिक पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस के पुश्तैनी गांव में लोग खूब उत्साहित हैं.
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तमिलनाडु के तुलासेंद्रापुरम गांव के मंदिर में स्थानीय लोगों ने डेमोक्रैटिक पार्टी की जीत के लिए विशेष पूजा अर्चना की है. गांव में कमला हैरिस के बड़े-बड़े बैनर लगे हैं और उनकी जीत के लिए शुभकामनाएं दी गई हैं. ग्राम पंचायत की सदस्य 34 वर्षीय उमादेवी का कहना है कि वह महिला राजनेता होने के नाते हैरिस से जुड़ाव महसूस करती हैं.
वह कहती हैं, "वह हमारे गांव की बेटी हैं." उमादेवी का पांच साल का एक बेटा है और वह सिलाई-कढ़ाई कर घर चलाने में अपने पति का हाथ बंटाती हैं, जो पेशे से ड्राइवर हैं. कमला हैरिस के बारे में उमादेवी कहती हैं, "यह उनके लिए मुश्किल और चुनौतीपूर्ण रहा होगा. लेकिन जब भी कुछ नया करना हो तो ऐसा ही होता है. मैं भी अपनी नई भूमिका के लिए उत्साहित और थोड़ी घबराई हुई हूं."
यह गांव चेन्नई से दक्षिण में 320 किलोमीटर दूर स्थित है. यहीं पर एक सदी से ज्यादा समय पहले कमला हैरिस के नाना का जन्म हुआ था. हैरिस का जन्म अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया में हुआ. उनकी मां भारतीय मूल की थीं जबकि पिता जमैकन मूल के. उनके माता-पिता पढ़ाई के लिए अमेरिका पहुंचे थे.
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एक नजर कमला हैरिस के जीवन पर
कैलिफोर्निया से अमेरिकी सांसद कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से उप-राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुना गया है. वह कैरिबियाई और भारतीय मूल की हैं इसलिए भारत में उनके नाम और उनकी उपलब्धियों को लेकर बहुत चर्चा है.
अप्रैल 1965 की तस्वीर. हैरिस अपने पिता डॉनल्ड हैरिस की गोद में हैं. डॉनल्ड एक जमैकन-अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एमेरिटस प्रोफेसर हैं.
यह तस्वीर हैरिस के बचपन की है जिसमें वह कैलिफोर्निया के बर्कले विश्वविद्यालय में अपनी मां श्यामला गोपालन की प्रयोगशाला में दिखाई दे रही हैं. भारतीय तमिल मूल की अमेरिकी नागरिक श्यामला एक कैंसर शोधकर्ता और एक नागरिक अधिकार एक्टिविस्ट थीं. उनका फरवरी 2009 में निधन हो गया था.
जनवरी 1970 की तस्वीर. हैरिस कैलिफोर्निया में अपनी मां श्यामला और बहन माया के साथ अपने घर के बाहर खड़ी दिख रही हैं. यह तस्वीर उनके माता-पिता के अलग होने के बाद की है.
जून 2004 की तस्वीर, जब हैरिस सैन फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी थीं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. J. Sanchez
सीनेटर बनने की राह पर
फरवरी 2012 में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ. हैरिस उन दिनों कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल थीं और ओबामा और बाइडेन ने सीनेटर पद की उम्मीदवारी के लिए उनके नाम का समर्थन किया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/E. Risberg
बड़ा अभियान
जनवरी 2019 में हैरिस राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए अपने अभियान की शुरुआत करते हुए, अपने पति डगलस एमहॉफ के साथ ऑकलैंड, कैलिफोर्निया में. उनकी गोद में उनकी भांजी अमारा अजागु है. डगलस एक अधिवक्ता हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Avelar
परिवार का साथ
राष्ट्रपति पद के अभियान की शुरुआत के मौके पर हैरिस का पूरा परिवार मौजूद था. तस्वीर में उनके पति डगलस एमहॉफ, बेटी एला और बेटा कोल ओकलैंड में मंच पर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Avelar
बहन का समर्थन
हैरिस की बहन माया हैरिस नवंबर 2019 में राष्ट्रपति पद की दावेदारी के अभियान के बीच एक समारोह में. माया एक अधिवक्ता और राजनीतिक टीकाकार हैं.
कमला हैरिस जब पांच साल की थीं तो वह तुलासेंद्रपुरम गई थीं. वह चेन्नई के बीच पर अपने नाना के साथ बिताए गए समय की बात करती हैं. कैलिफोर्निया की पूर्व अटॉर्नी जनरल 55 वर्षीय हैरिस पहली अश्वेत और पहली भारतीय मूल की महिला हैं जिन्हें अमेरिका में मुख्यधारा की किसी बड़ी पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है. अब तक इस पद के लिए उम्मीदवार बनने वाली वह चौथी महिला हैं.
हैरिस से प्रेरित उमादेवी पिछले साल दिसंबर में ग्राम पंचायत की सदस्य चुनी गई हैं. उनका कहना है कि उनकी प्राथमिकता गांव में सड़क बनवाना है. उनके गांव में 200 किसान परिवार रहते हैं. वह कहती हैं, "हमारे यहां की सड़क बहुत खराब है. उसे बनवाना चाहते हैं ताकि हमारे गांव में बेहतर अवसर आएं."
कानून में स्तानक हैरिस की तरह उमादेवी को पढ़ने का मौका नहीं मिला. वह 15 साल की थीं जब मां के कहने पर उनकी पढ़ाई रुकवा दी गई. जनसंख्या के आंकड़े बताते हैं कि भारत में लगभग 60 प्रतिशत लड़कियां शिक्षित हैं जबकि कुछ राज्यों में यह दर 90 प्रतिशत है.
तमिलनाडु के जिस थिरुवारुर जिले में तुलासेंद्रापुरम गांव स्थित है, वहां साक्षरता दर 82 प्रतिशत है. जिला शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि सभी लड़कियां का नाम स्कूल में लिखाया गया है.
क्या कहते हैं दिल्ली में रहने वाले कमला हैरिस के मामा
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शिक्षा की अहमियत
उमादेवी कहती हैं कि अगर अगली पीढ़ी की लड़कियों को हैरिस की तरह नाम कमाना है तो उनके लिए पढ़ाई बहुत जरूरी है. वह कहती हैं, "आज हमारी सब लड़कियां पढ़ती हैं. इसका मतलब है कि वे माध्यमिक स्कूल में जाती हैं जो गांव से कई किलोमीटर दूर है. कॉलेज भी दूर है लेकिन लड़कियां वहां भी जाती हैं और स्नातक की डिग्री ले रही हैं." लेकिन उन्हें इस बात से शिकायत है कि युवाओं को आसपास अच्छा काम नहीं मिलता.
पास के गांव पैनगानाडु के माध्यमिक विद्यालय में अंग्रेजी पढ़ाने वाले एस तमिलसेलवन कहते हैं कि वह हैरिस के चुनाव प्रचार और उनके भाषणों पर लगातार नजर रखे हुए थे और अपने छात्रों को प्रेरित करने के लिए वे उनका इस्तेमाल करेंगे. वह बताते हैं, "मेरे छात्रों को उनके बारे में पता है. लेकिन मैं चाहता हूं कि उनमें से कुछ उनके जैसे बनें. मेरे छात्रों में बहुत से ऐसे हैं जो अपने परिवार में से पहली बार स्कूल में आकर पढ़ रहे हैं और अपनी महत्वाकांक्षाओं को आकार देने में उन्हें बहुत मुश्किलें आती हैं."
हेमलता राजा भी तुलासेंद्रापुरम पंचायत की सदस्य हैं. उमादेवी की तरह वह भी खुद को गृहिणी बताती हैं. वह महिलाओं के लिए निर्धारित 33 प्रतिशत आरक्षण के तहत पंचायत के लिए चुनी गई थीं. औपचारिक शिक्षा ना होने के बावजूद ये दोनों महिलाएं उसी जज्बे से लैस दिखती हैं, जो सामाजिक न्याय के लिए हैरिस में है.
36 वर्षीय राजा को भी 13 साल की उम्र में स्कूल छोड़ देना पड़ा क्योंकि उनके माता पिता को यह पसंद नहीं था कि पढ़ाई के लिए उनकी बेटी गांव से बाहर जाए. राजा कहती हैं, "मैं अपने आसपास के लोगों की परेशानियों को दूर करना चाहती हूं. पता नहीं कर पाऊंगी या नहीं, लेकिन कोशिश करती हूं. जब हम देखते हैं कि हमारे गांव से किसी ना किसी तरह नाता रखने वाली कोई महिला अमेरिका में इतने बड़े बड़े काम कर रही है तो इससे हमें भी थोड़ी सी प्रेरणा मिलती है."
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भारतीय मूल के नेता जो विश्व भर में छाए
अब तक कई भारतीय मूल के लोग दुनिया भर की सरकारों में तमाम अहम पद संभाल चुके हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा से लेकर मॉरीशस, फिजी, गुयाना जैसे देशों में भी भारतवंशी नेताओं का लंबा इतिहास रहा है.
तस्वीर: Kirsty Wigglesworth/AP/dpa
ऋषि सुनक
ऋषि सुनक ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री बन रहे हैं जो भारतीय मूल के हैं. कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य ऋषि सुनक फरवरी 2020 से ब्रिटिश कैबिनेट में वित्त मंत्री रहे हैं. इसके पहले वह ट्रेजरी के मुख्य सचिव थे. ऋषि सुनक 2015 में रिचमंड (यॉर्क) से संसद सदस्य के रूप में चुने गए थे. सुनक भारत की कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और लेखिका सुधा मूर्ति के दामाद हैं.
तस्वीर: picture-alliance/empics/S. Rousseau
कमला हैरिस
अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में डेमोक्रैट पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार चुनी गई हैं कमला हैरिस. वह डेमोक्रैट पार्टी की ओर से अमेरिकी कांग्रेस में पांच सीटों पर काबिज भारतीय मूल के सीनेटरों में से एक हैं. कमला हैरिस की मां का नाम श्यामला गोपालन है. किशोरावस्था तक कमला हैरिस अपनी छोटी बहन माया हैरिस के साथ अकसर तमिलनाडु के अपने ननिहाल में आया करती थीं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Kaster
निक्की हेली
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की दूत रह चुकीं निक्की हेली का नाम बचपन में निमरता निक्की रंधावा था. 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति बने डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन में जगह पाने वाली वह भारतीय मूल की पहली राजनेता बनीं. इससे पहले वह दो बार साउथ कैरोलाइना की गवर्नर रह चुकी थीं. उनके पिता अजीत सिंह रंधावा और मां राजकौर रंधावा का संबंध पंजाब के अमृतसर जिले से है. शादी के बाद उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R.Pal Singh
बॉबी जिंदल
भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक के रूप में सबसे पहले बॉबी जिंदल लुइजियाना के गवर्नर बने थे. इस तरह निक्की हेली अमेरिका में किसी राज्य की गवर्नर बनने वाली भारतीय मूल की दूसरी अमेरिकी नागरिक हुईं. जिंदल एक बार रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी भी पेश कर चुके हैं. उनके माता पिता भारत से अमेरिका जाकर बसे थे.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Press
प्रीति पटेल
ब्रिटेन की पहली भारतीय मूल की गृह मंत्री बनीं पटेल हिंदू गुजराती प्रवासियों के परिवार से आती हैं. माता-पिता पहले अफ्रीका के युगांडा जाकर बसे थे जहां उनका जन्म हुआ. 1970 के दशक में उनका परिवार ब्रिटेन आकर बसा. 2010 में कंजर्वेटिव पार्टी से चुनाव जीतकर ब्रिटिश संसद पहुंची प्रीति पटेल खुद बाहर से आकर देश में शरण लेने के इच्छुकों के प्रति काफी सख्त रवैया रखती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/PA Wire/S. Rousseau
अनीता आनंद
कनाडा की कैबिनेट में भारतीय मूल के लोगों की भरमार है. पब्लिक सर्विसेज एंड प्रोक्योरमेंट की केंद्रीय मंत्री अनीता इंदिरा आनंद कनाडा की कैबिनेट में शामिल होने वाली पहली हिंदू महिला हैं. इससे पहले वह टोरंटो विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर थीं. भारत से आने वाले इनके माता पिता मेडिकल पेशे से जुड़े रहे. मां स्वर्गीया सरोज राम अमृतसर से और पिता एसवी आनंद तमिलनाडु से आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/empics/A. Wyld
नवदीप बैंस
ट्रूडो कैबिनेट में साइंस, इनोवेशन एंड इंडस्ट्री मंत्री नवदीप बैंस कनाडा के ओंटारियो प्रांत में जन्मे थे. सिख धर्म के मानने वाले इनके माता पिता भारत से वहां जाकर बसे थे. 2004 में केवल 26 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला चुनाव जीता और कनाडा की संसद में लिबरल पार्टी के सबसे युवा सांसद बने. अपने राजनीतिक करियर में बैंस ने हमेशा इनोवेशन को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने की दिशा में काम किया है.
तस्वीर: picture-alliance/empics/The Canadian Press/D. Kawai
हरजीत सज्जन
भारत के पंजाब के होशियारपुर में जन्मे हरजीत सज्जन इस समय कनाडा के रक्षा मंत्री हैं. कनाडा की सेना में लेफ्टिनेंट-कर्नल के रूप में सेवा दे चुके सज्जन इससे पहले 11 सालों तक पुलिस विभाग में भी काम कर चुके हैं. पंजाब में ही जन्मे नेता हरबंस सिंह धालीवाल 1997 में कनाडा की केंद्रीय कैबिनेट के सदस्य बनने वाले पहले भारतीय-कनाडाई थे.
तस्वीर: Reuters/C. Wattie
महेन्द्र चौधरी
दक्षिणी प्रशांत महासागर क्षेत्र में बसे द्वीपीय देश फिजी में भारतीय मूल के लोग ना केवल सांसद या मंत्री बल्कि देश के प्रधानमंत्री तक बने हैं. यहां की 38 फीसदी आबादी भारतीय मूल की ही है. लेबर पार्टी के नेता चौधरी को 1999 में देश का प्रधानमंत्री चुना गया. लेकिन एक साल के बाद ही एक सैन्य तख्तापलट से सरकार गिर गई. एक बार फिर 2006 के संसदीय चुनाव जीत कर वह वित्त मंत्री बने.
तस्वीर: Getty Images/R. Land
लियो वरादकर
2017 में आयरलैंड के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने लियो वरादकर कंजरवेटिव फिन गेल पार्टी से आते हैं. डब्लिन में पैदा हुए और पेशे से डॉक्टर वरादकर 2007 में पहली बार सांसद बने. 2015 में समलैंगिक विवाह पर आयरलैंड में हुए जनमत संग्रह के दौरान उन्होंने सार्वजनिक तौर पर घोषित किया कि वे खुद समलैंगिक हैं. उनके पिता अशोक मुंबई से आए एक डॉक्टर थे और आयरलैंड में मिरियम नाम की एक नर्स के साथ शादी कर वहीं बस गए.
तस्वीर: DW/G. Reilly
एंतोनियो कॉस्ता
पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंतोनियो कॉस्ता भारत में गोवा से ताल्लुक रखते हैं. 2017 में वह प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजे गए थे. खुद सोशलिस्ट विचारधारा के समर्थन कॉस्ता ज्यादा से ज्यादा प्रवासियों के अपने देश में आने का स्वागत करते हैं. पहले उनके पिता गोआ से मोजाम्बिक गए और फिर उनका परिवार पुर्तगाल में बसा.