यूरोप का बड़ा हिस्सा दूसरे साल भी गंभीर सूखे का सामना कर रहा है. पर्यटन पर काफी हद तक निर्भर इटली और स्पेन की अर्थव्यवस्था में सूखा दरार डाल रहा है.
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इटली की मशहूर झील लेक गार्डा के बीचोंचीच एक छोटा सा टापू है, रैबिट आइलैंड. पहले इस टापू पर पहुंचने के लिए नाव लेनी पड़ती थी, लेकिन अब झील में पानी इतना कम है कि रेत और पत्थरों पर चलकर टापू तक पैदल पहुंचने का रास्ता बन गया है.
सैलानियों के लिए यह अनुभव भले ही रोचक हो, लेकिन पर्यावरण के लिहाज से ये गंभीर संकट की निशानी है. झीलें आम तौर पर भूजल और आस पड़ोस की जलधाराओं से भरती हैं. झील में पानी का स्तर बहुत ज्यादा गिरने का मतलब है कि आस पास के इलाके सूखे की चपेट में हैं. लेक गार्डा में इस वक्त औसत से आधा पानी है.
औसतन 133 मीटर गहरी झील, लेक गार्डा इटली में पेयजल का सबसे अहम भंडार है. लेक के टूरिस्ट बोर्ड के मुताबिक, "लेक गार्डा के जलस्तर में बदलाव होना सामान्य है."
इटली के मौसम विज्ञानी मातिया जुसोनी कहते हैं,"उत्तरी इटली अभी भी सूखा झेल रहा है और ये स्थिति दो साल से जारी है." सर्दियों में ठंड भी कम पड़ी और बारिश भी कम हुई.
जुसोनी कहते हैं, "आल्प्स में भी औसत से कम बारिश और बर्फबारी हुई है." इसके चलते उत्तरी इटली में सूखे की स्थिति गंभीर हो रही है. पहाड़ों में होने वाली बारिश और बर्फबारी से इटली की सबसे लंबी नदी पो को पानी मिलता है. इटली की खेती का बड़ा हिस्सा सिंचाई के लिए इसी नदी पर निर्भर है.
रिवर क्रूज लेकिन बस से
आल्प्स के उत्तर में बसे स्विट्जरलैंड और जर्मनी में टूरिज्म ऑपरेटर, सूखी गर्मियों की तैयारी कर रहे हैं. यूरोप में नदियों पर क्रूज सेवाएं देने वाली कंपनियों के संगठन, आईजी रिवरक्रूज के वाइस प्रेसीडेंट डानिएल थिरीट कहते हैं, "राइन के ज्यादातर हिस्सों में पानी कम रहेगा."
कम का मतलब है कि स्थिति 2022 के सूखे की तरह हो सकती है. रिवर क्रूज सर्विसेज देने वाली कंपनियों को लग रहा है कि इस साल भी कुछ जगहों पर सैलानियों को फेरी के बजाए बस से घूमाना पड़ेगा. पानी कम होने पर फेरी नदीतल से टकरा सकती है. थिरीट कहते हैं, "हमें ऐसी प्लानिंग की आदत है, इसीलिए पानी का कम स्तर हमें चौंकाता नहीं है."
सर्दियों में कम बर्फबारी की वजह से इस साल यूरोप के कई स्कीईंग रिजॉर्ट भी प्रभावित हुए. स्विट्जरलैंड के आधी स्की ढलाों पर कृत्रिम बर्फ डालनी पड़ी. पूर्वी फ्रांस के जुरा इलाके में 2000 मीटर से कम ऊंचाई वाले पहाड़ों पर बहुत सारे स्की रिजॉर्ट हैं. बीते पांच साल के औसत के मुकाबले वहां अब 69 फीसदी कम सैलानी पहुंच रहे हैं.
स्पेन का काटालोनिया प्रांत भी लंबे सूखे का सामना कर रहा है. फाब्रा वेदर स्टेशन के मौसम विज्ञानी अल्फोंस पुएर्तस के मुताबिक, "बार्सिलोना में हालात गंभीर हैं." 1914 के बाद इलाका सबसे गंभीर सूखे के सामना कर रहा है, वो भी बीते दो साल से. 2022 में बरसात औसत (621 एमएम प्रतिवर्ष) की आधी भी नहीं हुई.
बार्सिलोना जैसे महानगर को पीने का पानी मुहैया कराने वाले कई भंडार, ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर हैं.
कहां गया पानी?
काटालोनिया के प्रशासन ने कुछ महीने पहले ही पानी बचाने के लिए नियम लागू किए हैं. बार्सिलोना के मशहूर फोंटा मैजिका फाउंटेन पर होने वाले म्यूजिक लाइट शो को रद्द कर दिया गया है. वजह है फव्वारे के लिए पर्याप्त पानी न होगा. यह फव्वारा गर्मियों में शाम को बड़े पैमाने पर सैलानियों को खींचता था. इसकी वजह से आस पास की कई दुकानों, रेस्तरांओं और बारों को कारोबार मिलता था. फव्वारा कब तक बंद रहेगा, इसे लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है.
मयोर्का, स्पेन का एक और टूरिस्ट मैग्नेट है. बीते सालों में सूखा झेलने वाले मयोर्का में इस साल हालात कुछ बेहतर हैं. फरवरी के आखिरी में जूलियट तूफान ने मयोर्का के कुछ इलाकों में पांच गुना बारिश और बर्फ उड़ेली. इसकी वजह से इलाके के जलभंडार 90 फीसदी भर गए. लेकिन डर है कि भारी संख्या में उमड़ने वाली पर्यटकों की भीड़, जल संसाधनों को तेजी से निचोड़ लेगी.
सूखा है भविष्य
वापस लौटते हैं उत्तरी इटली में. मौसम विज्ञानी मातिया जुसोनी को नहीं लगता कि सूखे का चक्र खत्म होगा. वह चेतावनी देते हैं कि आने वाली गर्मियां खासी मुश्किल होंगी.
वह कहते हैं कि, पूरे वंसत के दौरान लगातार बरसात होने पर ही हालात सुधरेंगे, वरना, "हम यहां जलवायु परिवर्तन के बहुत ही गंभीर नतीजों से जूझेंगे."
गंभीर सूखा: क्या यूरोप सूख रहा है?
यूरोप में अभी बसंत ऋतु आई भी नहीं है और कई इलाके अभी से सूखे की चपेट में आ गए हैं. इन सर्दियों में बारिश और बर्फ दोनों कम गिरी है जिसकी वजह से पूरे यूरोप में नदियों और तालाबों में पानी का स्तर नीचे ही है.
तस्वीर: Luigi Costantini/AP/dpa/picture alliance
नीला नहीं भूरा
फ्रांस में एक महीने से भी ज्यादा वक्त से बारिश नहीं हुई है. यह 1959 के बाद सर्दियों में बारिश का सबसे लंबा इंतजार है. इसका मुख्य कारण है पश्चिमी यूरोप के ऊपर बने उच्च दबाव के हालात जो बारिश वाले बादलों को दूर भगा देते हैं. जलवायु परिवर्तन यूरोप में सूखे को एक स्थायी समस्या बना सकता है. यह फ्रांस की सबसे लंबी नदी लुआर है जो लगभग सूख चुकी है - और अभी सिर्फ मार्च ही है.
तस्वीर: STEPHANE MAHE/REUTERS
ऊर्जा की कमी का एक और दौर?
फ्रेंच ऐल्प्स में 346 एकड़ में फैले 'ला द शाम्बो' जलाशय में पानी का स्तर अभी से बहुत नीचे चला गया है. फ्रांस को 15 प्रतिशत बिजली इस तरह के पनबिजली संयंत्रों से मिलती है और देश में ऊर्जा संकट के एक और दौर को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. 2022 की गर्मियों में फ्रांस के कुछ परमाणु संयंत्रों को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा था, क्योंकि उन्हें ठंडा करने के लिए नदियों में पर्यापत पानी नहीं था.
तुलूस में पो दे कातालान नाम का पल गरोन नदी के ऊपर बना हुआ है. फ्रांस के कुछ हिस्सों में अभी से नल सूख गए हैं. सरकार को एक और सूखे भरी गर्मी के मौसम का खतरा लग रहा है, जिसकी तैयारी करने के लिए सरकार ने तुरंत कुछ कदम उठाने के आदेश दे दिए हैं. कुछ इलाकों में स्विमिंग पूल भरने या गाड़ियों को धोने पर बैन लगा दिया गया है. उम्मीद है कि पानी बचाने की एक राष्ट्रीय योजना इसी महीने में लाई जाएगी.
फरवरी में वेनिस में कम ज्वार के समय नहरों में पानी बिल्कुल सूख गया था और शहर की मशहूर गोंडोला मिटटी में अटकी हुई थीं. तब से शहर में स्थिति कुछ सामान्य हुई है. पिछले साल इटली में फसलें सूखे की वजह से गंभीर रूप से प्रभावित हुई थीं, विशेष रूप से देश के उत्तरी हिस्से में. डर लग रहा है कि इस साल गर्मियों में उससे ज्यादा नुकसान होगा.
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पानी नहीं तो पर्यटक नहीं?
पूरे उत्तरी इटली में सूखा पड़ा हुआ है. कहा जा रहा है कि मागियोर तालाब सिर्फ 38 प्रतिशत भरा हुआ है. इन सर्दियों में इतालवी ऐल्प्स में लंबी अवधि के औसत के हिसाब से सिर्फ आधी बर्फ गिरी थी, जिसका मतलब है पिछली गर्मियों के बाद से स्थिति में कुछ खास सुधार नहीं आया है. पिछले साल का सूखा 70 सालों में सबसे बुरा सूखा था. आशंका है कि सूखे का पर्यटन पर भी नकारात्मक असर होगा.
फरवरी के अंत में इटली के गारदा तालाब में पानी इतना नीचे था कि लोग बिना पांव गीले किए सान बियाजियो द्वीप तक पैदल जा सकते थे. इन सर्दियों में इतनी कम बर्फ और बारिश गिरी है कि इटली के सबसे बड़े तालाबों में पानी का स्तर 30 सालों में सबसे कम बिंदु तक गिर गया है. फ्रांस की ही तरह इटली की सरकार भी पानी की इस कमी का मुकाबला करने के लिए कदम उठाने की योजना बना रही है.
तस्वीर: PIERO CRUCIATTI/AFP
जर्मनी में जलवायु परिवर्तन की मार
जर्मनी के राइनलैंड-पालाटीनेट में राइन नदी से बालू के टीले निकल आए हैं. साल के इस वक्त के हिसाब से नदी का स्तर असामान्य रूप से नीचे है. यहां भी बारिश की कमी के अलावा स्थिति और खराब ऐल्प्स की बर्फ के पिघलने में कमी की वजह से हुई है. पिछली सर्दियां में जर्मनी में लगातार 12वीं बार ऐसा हुआ था जब सर्दियां काफी गर्म थीं. जर्मन मौसम विभाग के उवे कर्ष का कहना है, "जलवायु परिवर्तन कमजोर नहीं हो रहा है."
तस्वीर: Thomas Frey/dpa/picture-alliance
दक्षिण से उत्तरी यूरोप तक सूखा
कोर्सिका द्वीप पर 'ला द तोला' तालाब में भी पानी का स्तर बहुत नीचे जा चुका है. इन सर्दियों में ऐसे देशों में भी सूखा पड़ा है जहां सामान्य रूप से बहुत बारिश होती है. ब्रिटेन में यह फरवरी 30 सालों में सबसे सूखा फरवरी था. विशेषज्ञ गर्मियों में आने वाले हालात के बारे में बहुत चिंतित हैं.