कम पड़ रही है दो गज जमीन
३० अक्टूबर २०१३![](https://static.dw.com/image/16765221_800.webp)
लंदन के उत्तरी इलाके में हाइगेट सेमेटरी में 1883 से दाढ़ी वाली एक बड़ी सी मूर्ति के नीचे कार्ल मार्क्स दफन हैं. बिलकुल पड़ोस में 2006 में पोलोनियम के जहर से मरे पूर्व रूसी एजेंट अलेक्जेंडर लित्विनेंको को दफनाया गया है.
शहर के दक्षिण में चेल्सी की ब्रॉम्पटन सेमेटरी में ऑस्ट्रिया के मशहूर गायक रिचर्ड टाउबेर को 1948 में दफनाया गया. उनकी कब्र के आस पास बढ़िया हरी घास है और उस पर सुंदर फूल सजे हैं. पास ही में चेल्सी का मैदान भी है.
लेकिन अब कब्रें अपनी जगह बदलेगी. लंबे समय से एक्सपर्ट इसकी चेतावनी दे रहे हैं कि कब्रिस्तान के लिए जमीन की कमी होने वाली है.
हाल ही में ब्रिटिश मीडिया के सर्वे में सामने आया कि 400 म्यूनिसिपल इलाकों में अगले 10 साल में ही कब्रगाहों की कमी होने लगेगी. सर्वे में शामिल 50 फीसदी लोगों ने कहा कि आने वाले 20 साल में कब्रिस्तान में जगह ही नहीं मिलेगी.
अभी ही कई जगहों पर पार्किंग और रास्तों को कब्र के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. कब्रिस्तान और क्रीमेटोरियम प्रबंधन संस्थान के टिम मॉरिस कहते हैं, "हाल खराब है और हल बहुत जरूरी है." वो आरोप लगाते हैं कि बढ़ती समस्या को समय से सुलझाने के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया.
हालांकि ब्रिटेन में 75 फीसदी लोगों को जलाकर दफनाया जाता है लेकिन राख को अस्थि कलश में रख कर दफनाने से भी समस्या पूरी तरह हल नहीं होगी. वहीं इस्लाम धर्म में इस तरह से अंतिम संस्कार वर्जित है.
विशेषज्ञ इसलिए सरकार से अपील कर रहे हैं कि कब्र का फिर से इस्तेमाल किए जाने के लिए एक कानून बनाया जाए. फिलहाल कब्र में 50 से 100 साल एक शव रखा जा सकता है. जर्मनी में ये अवधि 15 से 30 साल की है, कुछ मामलों में ये समय अधिकतम 40 साल का हो सकता है.
अभी तक सिर्फ लंदन में ये संभव है कि एक ताबूत को 75 साल बाद और नीचे खिसकाया जाए ताकि उसके ऊपर किसी और के लिए जगह बने. न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी में कब्रिस्तानों पर शोध करने वाली जूली रग कहती हैं. "पता नहीं और क्या होना चाहिए कि सरकार समझे की संकट गंभीर है." उनके लिए लिफ्ट एंड डीपन इकलौता हल है.
एएम/ओएसजे (डीपीए)