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करगिल युद्ध के रणबांकुरो की याद

२६ जुलाई २००९

करगिल युद्ध की दसवीं वर्षगांठ पर भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने युद्ध में शहीद हुए जवानों को अमर जवान ज्योति जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की. भारत में इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.

जवानों को नमन (फ़ाइल फ़ोटो)तस्वीर: AP

अमर जवान ज्योति पर अतिथि पुस्तिका में प्रधानमंत्री ने लिखा, "मैं कारगिल युद्ध के शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने में सारे मुल्क के साथ हूँ. उन्होंने अपनी ज़िंदगी देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए क़ुर्बान कर दी.''

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस अवसर पर कहा कि देश के बहादुर सिपाहियों का सबसे बड़ा सम्मान यह होगा कि राष्ट्र निर्माण की महान चुनौती के लिए अपने आपको समर्पित करें और राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए काम करें.

पिछले पांच सालों की यूपीए सरकार के दौरान यह पहला अवसर है जब राजनीतिक नेतृत्व ने कारगिल युद्ध दिवस से संबंधित समारोहों में भाग लिया है. प्रधानमंत्री के साथ रक्षामंत्री ए.के. एंटोनी, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुरीश मेहता, उप सेनाध्यक्ष ले.ज. नोबेल थंबुराज, और वायुसेना उप प्रमुख एयर मार्शल पी.के. बारबोरा भी गये थे.

इस समारोह के बाद प्रधानमंत्री सीधे विशापत्तनम चले गए जहाँ वे देश में विकसित परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत का उद्घाटन करेंगे. 6000 टन वाली इस पनडुब्बी का दो साल तक समुद्र में परीक्षण किया जाएगा. उसके बाद उसका नौसेना में शामिल किया जाएगा.

इस पनडुब्बी के उद्घाटन के साथ भारत अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ़्रांस जैसे देशों में शामिल हो जाएगा जिनके पास समान क्षमता है. आईएनएस अरिहंत को विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में 2.9 अरब डॉलर के ख़र्च कर बनाया गया है.

रिपोर्ट: पीटीआई/महेश झा

संपादन: ओ सिंह

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