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करजई को कोसने वाला अमेरिकी जनरल बर्खास्त

५ नवम्बर २०११

अफगानिस्तान में तैनात एक अमेरिकी जनरल को राष्ट्रपति हामिद करजई पर टिप्पणी करने की वजह से बर्खास्त कर दिया गया है. मेजर जनरल पीटर फुलर ने करजई पर तीखी टिप्पणियां की थीं.

तस्वीर: dapd

अफगानिस्तान में जारी नाटो मिशन के डिप्टी कमांडर मेजर जनरल फुलर पर अफगान फौजियों को ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी थी. नाटो ने शुक्रवार देर रात जारी एक बयान में कहा कि फुलर को अनुचित सार्वजनिक टिप्पणी के आरोप में बर्खास्त किया गया है. समाचार वेबसाइट पोलीटिको पर छपे एक इंटरव्यू में फुलर ने कहा था कि अफगानिस्तानी नेता सच से दूर हैं और उन्हें इस बात की कद्र नहीं है कि अमेरिका कितनी बड़ी मानवीय और वित्तीय कीमत चुका रहा है. उन्होंने राष्ट्रपति करजई की सीधे सीधे आलोचना की. पिछले महीने करजई ने कहा था कि अमेरिका और पाकिस्तान का युद्ध होने पर अफगानिस्तान पाकिस्तान का साथ देगा. इस बयान से नाराज फुलर ने कहा, "आप सीधे मेरी आंख में सुई क्यों नहीं घोंप देते? आप मेरे साथ मजाक कर रहे हैं. माफ कीजिए, लेकिन हमने अभी आपको 11.6 अरब डॉलर दिए हैं. और आप हमें बता रहे हैं कि आपको कोई फर्क नहीं पड़ता?"

तस्वीर: picture-alliance/dpa

फुलर ने यहां तक कहा दिया जब अफगानिस्तान में चुनाव होंगे तो उम्मीद है लोग एक ऐसे नेता को चुनेंगे जो सार्वजनिक रूप से स्पष्ट हो.

नाटो करजई के साथ

फुलर के बयान को अमेरिकी और अन्य विदेशी सेनाओं में मौजूद हताशा की बानगी के तौर पर देखा जा रहा है. करजई और उनके भ्रष्टाचार से घिरे प्रशासन को लेकर नाटो सेनाओं के भीतर हताशा की आवाजें निजी स्तरों पर सुनाई देती रही हैं. हालांकि नाटो कमांडर अमेरिकी जनरल जॉन एलेन ने कहा कि करजई प्रशासन के साथ नाटो सेनाओं के रिश्तों के बारे में इससे कोई राय नहीं बनाई जानी चाहिए. एलेन ने एक बयान में कहा, "ये टिप्पणियां दुर्भाग्यपूर्ण हैं. लेकिन इससे अफगानिस्तान की सरकार और नेतृत्व के साथ हमारे मजबूत रिश्तों और अफगानिस्तान के लिए हमारी प्रतिबद्धता के बारे में कोई संकेत नहीं मिलता. अफगान लोग सम्मानजनक हैं और इस तरह की टिप्पणियां हमारे उस बेहद अहम मकसद को हासिल करने से हमें नहीं रोक सकतीं कि हमें मिल जुलकर स्थिर, शांत और विकासशील अफगानिस्तान बनाना है."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

नाटो के इस फैसले का अमेरिकी विदेश मंत्री लियोन पनेटा ने भी समर्थन किया है. उनके प्रवक्ता कैप्टन जॉन किर्बी ने कहा, "विदेश मंत्री को इस मामले में जनरल एलेन के विवेक पर पूरा भरोसा है."

काबुल में आईसैफ के एक प्रवक्ता लेफ्टिनेंट ग्रेरी कीले ने कहा कि अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि जनरल फुलर सेना छोड़ देंगे या उन्हें किसी और जिम्मेदारी पर तैनात कर दिया जाएगा. हालांकि आईसैफ के बयान के मुताबिक फुलर को फौरन उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया है.

एक और बार

यह पहला वाकया नहीं है जब किसी अमेरिकी जनरल को बयानबाजी की वजह से बर्खास्त किया गया है. पिछले साल भी जनरल स्टेनली मैक्रिस्टल को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक इंटरव्यू में अपने नेतृत्व पर टिप्पणी करने के आरोप में बर्खास्त किया था.

जनरल फुलर की जिम्मेदारी बहुत अहम थी. विदेशी सेनाओं को 2014 में अफगानिस्तान से चले जाना है. उससे पहले अफगान फौज और पुलिस को प्रशिक्षण देना है ताकि वे सुरक्षा जिम्मेदारियां संभाल सकें और नाटो इस काम को बेहद महत्वपूर्ण मान रहा है.

हाल के सालों में अफानिस्तान में फौज में भर्ती होने वालों की तादाद बढ़ी है. 2009 में सेना में एक लाख 90 हजार सैनिक थे और अब उनकी तादाद तीन लाख को पार कर चुकी है. अगले साल नवंबर तक उनके तीन लाख 52 हजार हो जाने की उम्मीद है.

लेकिन समस्याएं भी कम नहीं हैं. अशिक्षा और भाई भतीजावाद के चलते परेशानियां आ रही हैं. जनरल फुलर ने भी अपने इंटरव्यू में इस तरह की समस्याओं का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि अफगान अधिकारियों को यह समझाना कितना मुश्किल हैं कि उन्हें एफ-16 जैसे लड़ाकू विमान या टैंक क्यों नहीं दिये जा सकते. फुलर ने कहा, "आप या तो किसी आदमी को मछली पकड़ना सिखा सकते हैं या फिर उन्हें मछली दे सकते हैं. हम उन्हें सिखा रहे हैं और साथ साथ मछलियां दे रहे हैं. लेकिन उन्हें और ज्यादा मछलियां चाहिएं. और वे कहते हैं कि क्या छोटी मोटी मछलियां दे रहे हो, स्वॉर्डफिश दो." फुलर ने बताया कि एक अफगानिस्तानी अधिकारी ने उनसे टैंक मांगे ताकि परेड भव्य हो सके.

रिपोर्टः एएफपी/रॉयटर्स/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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