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करज़ई: जनता का समर्थन नहीं तो नाटो अभियान रोकेंगे

५ अप्रैल २०१०

अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने कंधार में नाटो के नियोजित अभियान को रोकने की धमकी दी है तो तालिबान के साथ हुई लड़ाई में तीन जर्मन सैनिकों की मौत के बाद जर्मन रक्षामंत्री गुटेनबर्ग ने अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध की बात की.

जनता का समर्थन ज़रूरीतस्वीर: picture-alliance/ dpa

कंधार में लगभग 1500 कबायली सरदारों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति करज़ई ने कहा कि यदि नाटो के नियोजित अभियान को स्थानीय जनता का समर्थन नहीं मिला तो वे उसे रोक देंगे. बैठक में नाटो और अमेरिकी सेना के कमांडर स्टैनली मैकक्रिस्टल भी मौजूद थे. राष्ट्रपति की धमकी पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की. नाटो इस समय कंधार के क्षेत्र में तालिबान के ख़िलाफ़ पिछले आठ सालों में सबसे बड़ा अभियान शुरू करने की योजना बना रही है.

नैटो कमांडर मैकक्रिस्टलतस्वीर: picture-alliance/dpa

बैठक में करज़ई ने यह भी कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में शांति तब होगी जब उसकी जनता को यह भरोसा होगा कि उनका राष्ट्रपति आज़ाद है न कि किसा की कठपुतली. करज़ई ने कहा कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को बता दिया है कि वे अफ़ग़ान जनता को युद्ध के ज़रिये साथ नहीं रख सकते. "आठ साल ऐसा चल रहा है, हम शांति और सुरक्षा चाहते हैं."

अफ़ग़ानिस्तान में युद्धः सू गूटेनबर्गतस्वीर: AP

अमेरिकी मेजर जनरल विलियम मेविल ने करज़ई की धमकी के महत्व को कम करते हुए उनके बयान पर कहा है कि राष्ट्रपति अभियान के मामले पर बोर्ड पर हैं और कबायली सरदारों का समर्थन जीतने की कोशिश कर रहे हैं.

उधर कुंदूज़ में जर्मन सैनिकों पर तालिबान हमले के बाद जर्मन रक्षामंत्री कार्ल थियोडोर सू गुटेनबर्ग ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान अभियान जारी रहेगा. उन्होंने इस पर ज़ोर दिया कि अफ़ग़ानिस्तान की लड़ाईयों को आम भाषा में युद्ध कहा जाना चाहिए. फरवरी में जर्मन सेना के लिए नए मतादेश के साथ जर्मन सरकार ने स्थिति का नया कानूनी आकलन किया है और अब अफ़ग़ानिस्तान में हथियारबंद विवाद की बात कह रही है.

गुटेनबर्ग ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के साथ गृहयुद्ध चल रहा है. "सबको पसंद न भी आए तो आम भाषा में युद्ध की बात की जा सकती है." रक्षामंत्री ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में ख़तरनाक है और रहेगा. तैनाती के बाद से अफ़ग़ानिस्तान में जर्मन सेना के 39 जवान मारे गए हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: मानसी गोपालकृष्णन

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