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करनाल में हुई भैंस की क्लोनिंग

१९ जून २००९

भारत में राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान के वैज्ञानिकों ने एक सफल प्रयोग में देसी तकनीक से भैंस का क्लोन बनाने में सफलता पाई है. ब्रिटेन में भेड़ की क्लोन डॉली के ही सिद्धांत पर भैंस को क्लोन किया गया है.

भैंस की अच्छी नस्लतस्वीर: AP

हरियाणा के करनाल ज़िले में क्लोन की गयी एक भैंस का जन्म हुआ है. राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान एनडीआरआई ने इस भैंस की क्लोनिंग की थी. इससे पहले एनडीआरआई ने ऐसी ही एक और भैंस क्लोन की थी लेकिन बीमारी के कारण ज़्यादा दिन ज़िंदा नहीं रह पाई. विश्व स्तर पर हुई अन्य क्लोनिंग प्रक्रियाओं में यह देखा गया है कि क्लोन किया गया जानवर ज़्यादा दिन नहीं ज़िंदा रह पाता, चाहे वो भेंड़ हो या फिर भैंस.

एनडीआरआई के डायरेक्टर, प्रोफेसर अनिल कुमार श्रीवास्तव बताते हैं, "क्लोनिंग से आज तक जितने जानवर विश्व भर में पैदा हुए हैं उनके साथ कोई ना कोई स्वास्थ्य समस्या रही है. लेकिन ऐसे भी क्लोन किए हुए जानवर हैं जो उम्र में बड़े हुए और जिन्होने बच्चे भी पैदा किए". एनडीआरआई के पहले प्रयोग की तुलना में इस बार का प्रयोग कहीं ज़्यादा सफल रहा है. गरिमा नाम की यह क्लोन की गई भैंस अब भी अच्छी सेहत में है. प्रोफेसर श्रीवास्तव का कहना है, "दस दिन बाद भी यह भैंस अच्छी हालत में है, अभी भी गरिमा अच्छी तरह से चल फिर रही है और अच्छे तरीके से खाना खा रही है. "

डॉली की क्लोनिंग करने वाले आयन विल्मूटतस्वीर: AP

माना जाता है कि भारत की भैंसे विश्व की सबसे उम्दा नस्लों में से हैं, ख़ासकर मुर्राह और भादौरी नस्ल की. प्रोफेसर श्रीवास्तव ने बताया, "विश्व की 57 प्रतिशत भैंसें हिन्दुस्तान में है. मुर्राह भैंस दुनिया की सबसे अच्छी भैंस मानी जाती है". प्रोफ़ेसर श्रीवास्तव मानते हैं कि दुधारु मवेशियों की क्लोनिंग के ज़रिए भारत में पैदा हो रहे दूध को विश्व के दूसरे बाज़ारों में डेरी उत्पादों के रूप में पहुंचाने में मदद मिलेगी. उन्होने बताया, "गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए ज़रूरत है कि हम ज़्यादा से ज़्यादा दूध को प्रोसेस करें ताकि भारत, जो विश्व का नंबर 1 दूध उत्पादक है, घरेलू और विश्व बाज़ारों में अपने डेरी उत्पादों की छाप छोड़ सके".

भारत विश्व का कुल 15 प्रतिशत दूध पैदा करता है,यानी भारत साल में कुल 105 अरब लीटर दूध का उत्पादन करता है. विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक होते हुए भी भारत दूध का निर्यात नहीं कर पता. प्रोफ़ेसर श्रीवास्तव मानते हैं कि भारत में दूध कि खपत बहुत है जिसके कारण दूध प्रोसेस नहीं हो पता. विश्व दूध उत्पादन में मात्र 1.7 प्रतिशत का हिस्सा रखने वाला न्यूज़ीलैंड विश्व में डेरी उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक है. विश्व डेरी बाज़ार में न्यूज़ीलैंड का कुल 35 प्रतिशत हिस्सा है.

एनडीआरआई ने इस प्रयोग से एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि कम बजट में भी ऐसे सफल प्रयोग किए जा सकते हैं. प्रोफ़ेसर श्रीवास्तव बताते हैं कि गरिमा की क्लोनिंग देसी तकनीक से की गई थी, "इस प्रयोग में जो तकनीक इस्तेमाल किये गए है वह देसी तकनीक है और यह प्रयोग विश्व भर में अपनी तरह का पहला प्रयोग है". प्रोफ़ेसर मानते हैं कि क्लोनिंग के ज़रिए भारत में आने वाले सालों में दूध कि मांग को पूरा किया जा सकेगा. अनुमान है कि 2020 तक भारत में हर साल 170 अरब लीटर दूध कि मांग होगी.

रिपोर्ट: पुखराज चौधरी

संपादन: एस गौड़

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