करें अनार पर विचार
२ मई २००८अनार भारत सहित अनेक देशों में पैदा होता है. उसका झाड़ी-नुमा पेड़ 5 मीटर तक ऊँचा और कुछेक सौ साल तक पुराना हो सकता है. फल केवल पेड़ पर ही पकता है, तोड़ने के बाद नहीं पकता.
अनार के प्रति विज्ञान की रुचि इधर कुछ समय से तेज़ी से बढ़ी है. गत कुछ ही वर्षों में अनार के स्वास्थ्यवर्धक गुंणों के बारे में विज्ञान पत्रिकाओं में 200 से अधिक वैज्ञानिक अध्ययन प्रकाशित हुए हैं.
ऐसे ही एक अध्ययन में, उदाहरण के लिए, इसराइल में हाइफ़ा विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर एफ़्राइम लांस्की ने सिद्ध किया है कि अनार में पाये जाने वाले उपयोगी तत्व शरीर की रोगप्रतिरक्षण प्रणाली की रक्षा करते हैं.
प्रोफ़ेसर लांस्की का कहना है कि अनार में मिलने वाले विटामिनों, खनिज तत्वों और एंटी-ऑक्सीडंट अर्थात ऑक्सीकरण-रोधक पदार्थों का मिश्रण सुपरिचित घरेलू उपायों के साथ मेल के द्वारा सर्दी-ज़ुकाम और फ्लू के समय स्पष्ट आराम पहुँचाता है.
अनार के अनेक लाभ
अन्य अध्ययनों से पता चलता है कि अनार रक्तसंचार वाली बीमारियों से लड़ता है.
उच्च रक्तचाप को घटाता है .
सूजन और जलन में राहत पहुँचाता है.
गठिया और वात रोग की संभावना घटाता और जोड़ों में दर्द कम करता है.
कैंसर की रोकथाम में सहायक बनता है.
शरीर के बुढ़ाने की गति धीमी करता है.
महिलाओं में मातृत्व की संभावना और पुरुषों में पुंसत्व बढ़ाता है.
अनार को त्वचा के कैंसर, स्तन-कैंसर, प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर और पेट में अल्सर की संभावना घटाने की दृष्टि से भी विशेष उपयोगी पाया गया है.
अमरीकी डॉक्टरों की एक पत्रिका ने हाल ही में लिखा कि अनार का रस वृद्धावस्थ में सठिया जाने के अल्सहाइमर रोग की संभावना भी घटाता है.
हॉलीवुड अनार-रस का रसिया
इन सब कारणों से अनार का रस अमरीका में, विशेषकर हॉलीवुड में, 21 वीं सदी का सबसे प्रिय पेय बन गया है.
अनार के फल और उसके रस की इन स्वास्थ्यवर्धक विशेषताओं का सबसे बड़ा वैज्ञानिक कारण है उसमें तथाकथित एंटी-ऑक्सिडंट अर्थात ऑक्सीकरण-रोधक तत्वों की बड़ी मात्रा.
एंटी-ऑक्सिडंट ऐसे रासायनिक यौगिकों को कहते हैं, जो शरीर में चयापचय क्रिया के समय पैदा होने वाले तथाकथित फ्री-रैडिकलों को बाँध कर आगे की रासायनिक क्रिया को रोक देते हैं.
फ्री-रैडिकल चयापचय क्रिया के दौरान बने ऐसे अल्पजीवी और आक्रामक ऑक्सीजन-धारी यौगिक होते हैं, जिनका एक इलेकट्रॉन बंधनमुक्त होने के कारण वे रासायनिक क्रिया के लिए बहुत उद्यत रहते हैं.
फ्री-रैडिकल अन्य यौगिकों से एक इलेक्ट्रॉन छीन लेने या उन्हें अपना फ़ालतू इलेक्ट्रॉन देकर एक चेन-रिएक्शन, एक अभिक्रिया-श्रृंखला शुरू करने के लिए उतावले रहते हैं.
इससे शरीर की कोषिकाओं के काम में गड़बड़ी पैदा हो सकती है, उनकी बाहरी दीवार या केंद्रक को भारी क्षति पहुँच सकती है.
ये गड़बड़ियाँ कैंसर का ट्यूमर, हृदयरोग, गठिया रोग, नेत्ररोग तथा और भी कई बीमारियों को जन्म दे सकती हैं.
वैज्ञानिकों ने पाया है कि अनार में लाल अंगूरी शराब या हरी चाय की तुलना में 3 से 4 गुना अधिक पॉलीफेनोल जैसे एंटी-ऑक्सिडंट होते है, जो फ्री-रैडिकल बाँधने का काम करते हैं.
अनार खायें, रक्तचाप घटायें
प्रयोगों में देखा गया है कि एक वर्ष तक अनार का सेवन करने के बाद आर्टेरियोस्क्लेरॉसिस (Arteriosklerosis) अर्थात धमनी काठिन्य के रोगियों के गले की धमनी की मोटाई 30 प्रतिशत तक घट गयी, उच्च रक्तचाप 21 प्रतिशत नीचे आ गया और हृदय के पास की धमनी में तनाव-जन्य कठोरता के कारण धीमा पड़ गया रक्त-प्रवाह तीन ही महीनों में 17 प्रतिशत तक सुधर गया.
कई अन्य अध्ययनों में छाती, फेफड़े, त्वचा, आंत और प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर के बढ़ने की गति धीमी पड़ गयी देखी गयी.
फ्री-रैडिकलों को बाँध कर निष्क्रिय बनाने की अनार की क्षमता के कारण शरीर के वृद्ध होने की गति भी धीमी पड़ जाती है और रजोविराम की अवस्था में महिलाओं को होने वाली परेशानियाँ कम हो जाती हैं.
अमर तो अनार भी नहीं बना सकता, लेकिन जीवन को सुखद और लंबा अवश्य बना सकता है.