करोड़पति से रोडपति बनाने वाला टीवी शो
२२ अगस्त २०११हांग कांग के व्यापारिक समुदाय में इरवीन हुआंग का जाना माना नाम है. लेकिन जब कूड़ों को जमा करने की बारी आई तो हुआंग ज्यादा नंबर नहीं बंटोर पाए. 46 वर्षीय हुआंग एक ऐसे टीवी रियालिटी शो में भाग ले रहे हैं जिसमें हांग कांग के बड़े बड़े बिजनेसमैन और करोड़पति कुछ दिनों के लिए ऐसा काम करेंगे जिसमें उन्हें बहुत कम पैसे मिलेंगे. इस टीवी शो की रेटिंग रातों रात बढ़ती जा रही है.
मास्क लगाए, एप्रन और हाथों में रबर के दस्ताने पहनकर सड़े हुए कचरे को डंप करने के बाद हुआंग कचरे के ढेर से निकले हैं. लेकिन कचरे की बदबू से वह इतना परेशान हो गए कि उन्होंने शो छोड़ने तक की धमकी दे डाली. हुआंग अपने सुपरवाइजर को शिकायत करते हैं, "यह बहुत बदबूदार है. मुझे ताजी हवा चाहिए. मैं इसे और बर्दाश्त नहीं कर सकता हूं." हुआंग को करीब 6 डॉलर प्रति दिन मिलता हैं.
आरामपसंद हुआंग अपने सुपरवाइजर से कहते हैं, "मेरे हाथों को देखो, यह फूल गए हैं. गंदे पानी की वजह से ऐसा हुआ है. यह बहुत कठिन काम है. मुझे चक्कर आ रहा है. मुझे थोड़ा आराम करना है." 'द बैटल ऑफ द पुअर रिच' नामक इस रियालिटी शो में हुआंग का भी एपिसोड दिखाया गया. हांग कांग के टीवी चैनलों पर यह शो 2009 से दिखाया जाना शुरु हुआ.
हांग कांग के बड़े-बडे़ रईस इस शो में भाग ले चुके हैं. उन रईसों ने रियालिटी शो में ऐसा ऐसा काम किया है जो शायद वह कभी सोच भी नहीं सकते थे. किसी ने झाड़ू लगाया तो किसी ने कूड़ा इकट्ठा किया. जनता में अपनी छवि को सुधारने और गरीबों की समस्या को दुनिया के सामने लाने के लिए इस खास रियालिटी शो में हांग कांग के बड़े बिजनेसमैन हिस्सा ले रहे हैं. शो के जरिए हांग कांग के गरीबों की दयनीय स्थिति दिखाई जाती है.
हुआंग को रात गुजारने के लिए दिया गया क्वार्टर अच्छा नहीं लगा और अब वह अपनी रात सड़क पर गुजार रहे हैं.
रियालिटी शो की एक्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर डोरिस वोंग कहती हैं, "मुझे पता है कि लोग मजे से अमीरों को झाड़ू लगाता देखते हैं. ऐसा करने से हमारे दर्शक बढ़ते हैं." पहले शो को 64,000 दर्शकों ने देखा था लेकिन दूसरे शो को करीब 12 लाख लोग देख रहे हैं. हांग कांग की 70 लाख आबादी में 17 फीसदी लोग इस शो को देखते हैं. हांग कांग में बड़े बड़े रईस रहते है. लेकिन हाल के दिनों में संपत्ति की कीमत में उछाल से मिडल क्लास और गरीब गुस्से में हैं. हांग कांग के फाइनेंसर जॉनी चेन के लिए कार्डबोर्ड इकट्ठा करना "आंखें खोलने वाला और सुखद अनुभव है."
39 साल के और तीन बच्चों के पिता चेन कहते हैं, "मैं शो के दौरान डरा और खालीपन महसूस कर रहा था. कार्डबोर्ड इकट्ठा करने वाले की जिंदगी बहुत कठिन है. मैं आशा करता हूं कि मैंने इस परेशानी पर थोड़ी रोशनी डाली होगी. समाज को गरीबों की मदद करनी चाहिए. सरकार, मीडिया और नागरिक सभी को साथ मिलकर काम करना चाहिए."
एक दर्जन से ज्यादा रईसों ने अब तक इस शो में भाग लिया है. महंगे सूट और महंगी गाड़ियां छो़ड कर लोग इस शो में भाग लेने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं. शो की प्रोड्यूसर कहती हैं, "कुछ लोग डरते हैं कि अगर वह शो में भाग लेंगे तो उनको ढोंगी बुलाया जा सकता है." वोंग कहती हैं कि एक शख्स ने दो साल तक सोचने के बाद शो के लिए हामी भरी. उनके मुताबिक "कई अमीरों ने शो में आने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे."
स्थानीय नेता और जी 2000 कपड़ा स्टोर के मालिक माइकल टीयान कहते हैं, "सड़क पर झाड़ू लगाना बहुत मुश्किल काम नहीं था लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करना उनके लिए मुश्किल भरा काम था क्योंकि उनके पास गाड़ी के लिए ड्राइवर है." उनके मुताबिक शहर का महत्त्वपूर्ण व्यक्ति होने के नाते यह भी जानना जरूरी है कि शहर में क्या हो रहा है और आप नेता होने के नाते जनता से संपर्क नहीं तोड़ सकते.
टीयान भोर होते ही झाड़ू लगाते हैं और उतना ही कमाते हैं जितने पैसे में एक प्री पैकेज खाना खरीद पाएं. टीयान कहते हैं, "समाज को देखने का मेरा नजरिया बदला है. लोग मेरे पास आकर मेरा शुक्रिया अदा करते हैं. क्योंकि मैंने उनके बारे में सोचा है. शो के बाद मैं बहुत खुश हूं."
आलोचक इस शो के उद्देश्य को शक की नजर से देखते हैं. उनके मुताबिक क्या कोई इंसान चंद दिन गरीबी में रहकर असली समस्या को समझ सकता है. लेकिन शो में भाग लेने वाले इस विचार को नहीं मानते. पेशे से फाइनेंसर और शो में कार्डबोर्ड चुनने वाले चेन कहते हैं, "समाज के कई अमीर तबके गरीबों के लिए बहुत कुछ करते हैं. लेकिन वह इस काम को करने के बाद प्रचार नहीं करते हैं और ना ही फिल्म बनाने वालों को अपने साथ रखते हैं." चेन कहते हैं कि शो में भाग लेने के बाद से वह बुजुर्गों की मदद करने लगे हैं और दान भी करते हैं. वोंग कहती हैं कि शो ने समाज में बदलाव के बीज डाले हैं.
रिपोर्ट: एएफपी/ आमिर अंसारी
संपादन: महेश झा