दस साल पहले रोमेनिया में अब तक के सबसे बड़े उड़ने वाले डायनोसोर का कंकाल मिला था. उड़ने वाले डायनासोर को टेरोसॉरस कहते हैं और साढ़े छह करोड़ सालों बाद भी इसके कंकाल से इसके बारे में बड़ी सारी जानकारी मिल रही हैं.
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जर्मनी के म्यूनिख शहर से करीब 100 किलोमीटर दूर डायनासोर म्यूजियम में वैज्ञानिक छह करोड़ साठ लाख साल पुराने एक विशाल डायनासोर की हड्डियों को जोड़ कर उसका कंकाल तैयार करने में जुटे हैं. ये हड्डियां एक टेरोसॉरस की हैं यानि वो डायनासोर जो उड़ सकता था. ये अब तक मिले सबसे बड़े टेरोसॉरस की हड्डियां हैं.
पहली बार इसे जोड़ कर डायनासोर को संपूर्ण रूप में देखा जा सकेगा. रोमेनिया के जीवाश्म विज्ञानी माट्याश व्रेमियर ने इसे खोजा था. उन्होंने इसके पहले भी कई अहम खोज किए हैं लेकिन इस खोज पर यकीन कर पाना उनके लिए भी मुश्किल था. माट्याश व्रेमियर बताते हैं, "असल खोज तो यह समझने की थी कि हमें क्या मिल गया है. हम टेरोसॉरस के बारे में जितना जानते थे, उसकी तुलना में ये इतना बड़ा था, इतना विशाल कि मेरे दिमाग ने तो यकीन करने से ही इंकार कर दिया."
जुरासिक काल में कदम
ईरान का जुरासिक पार्क बच्चों और बड़ों में खासा मशहूर हो चुका है. वहां जाकर ऐसा लगता है जैसे जुरासिक युग में पहुंच गए हों.
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राजधानी तेहरान के बाहर सदात अबाद में बनाए गए इस पार्क में डायनासोरों के आकार के बराबर विशाल मूर्तियां हैं.
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यह मध्य पूर्व एशिया का पहला जुरासिक थीम पार्क है. इसका उद्घाटन 2014 में हुआ. अब हर दिन यहां बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे और परिवार आते हैं.
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यहां लगाई गई मूर्तियां खास ढंग से बनाई गई हैं. उनमें स्पेशल इफेक्ट डाले गए हैं. कुछ मूर्तियां आवाज भी करती हैं.
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16 करोड़ साल पहले डायनासोर धरती के सबसे प्रभावशाली जीव थे. वैज्ञानिकों का मानना है कि छह करोड़ साल पहले वे विलुप्त हो गए.
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जुरासिक पार्क का जिक्र सबसे पहले 1990 में अमेरिकी लेखक माइकल क्रिकह्टन ने अपने उपन्यास में किया. फिर इस पर फिल्में बनीं और कई शहरों में जुरासिक थीम के म्यूजियम पार्क भी बने.
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दुनिया भर में कई जगहों पर अलग अलग किस्म के डायनासोरों के जीवाश्म मिलते रहे हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक जुरासिक काल में पृथ्वी पर इन प्राणियों की सैकड़ों प्रजातियां थीं.
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वैज्ञानिकों का अनुमान है कि छह करोड़ साल पहले धरती से टकराए एक आकाशीय पिंड ने डायनासोरों का सफाया कर दिया. विशाल डायनासोर टक्कर से मारे गए. बाकी उसके बाद हुए जलवायु परिवर्तन से.
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अब तक वैज्ञानिक मानते आए थे कि टेरोसॉरस के पंख ज्यादा से ज्यादा दस मीटर तक फैल सकते हैं लेकिन इस कंकाल का आकार पंद्रह मीटर का है. यानी एक बहुत बड़े ट्रक जितना. आज अगर ये जिंदा होते तो इंसान इनकी पीठ पर बैठ कर बड़ी आसानी से उड़ सकते. ठीक वैसे ही जैसे गेम ऑफ थ्रोन्स में राजकुमारी ड्रैगन की सवारी करती है.
टेरोसॉरस का यह जीवाश्म 2009 में रोमेनिया की पहाड़ियों में मिला था. माट्याश व्रेमियर ने दूरबीन से कंकाल के एक हिस्से को देखा था. पूरे कंकाल को इन पहाड़ियों से बाहर निकालना भी काफी पेचीदा काम था. इस जीवाश्म की खोज में शामिल लोगों में जीवाश्म विज्ञानी रायमुंड आल्बेर्ट्सडॉर्फेन भी थे. वे बताते हैं कि टेरोसॉरस की हड्डियों का मिलना बहुत ही दुर्लभ है. ऐसा इसलिए क्योंकि दूसरे डायनासोर की तुलना में उड़ने वाले डायनासोर की हड्डियां बहुत नाज़ुक होती हैं.
रायमुंड आल्बेर्ट्सडॉर्फेन के मुताबिक, "हड्डियों की बाहरी परत बहुत ही पतली होती थी और हड्डियों के अंदर भी कुछ नहीं होता था, बस एक स्पंज जैसा ढांचा जो 90 फीसदी तो हवा ही था. इससे उनका वजन कम हो जाता था और उनकी उड़ने की क्षमता बहुत बढ़ जाती थी. मतलब कि ये हड्डियां बहुत हल्की होती थीं."
अब तक इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया है कि उड़ने वाले ये डायनासोर जमीन पर कैसे चलते थे. लेकिन वैज्ञानिकों का अंदाजा है कि इसके लिए इन्हें चारों पैरों की जररूत पड़ती होगी. अब पैर तो दो ही हैं तो बाकी दो का काम यह शायद पंखों को बगल में दबा कर लिया करते होंगे. अभी यह भी साफ नहीं है कि इनमें उड़ने की क्षमता कहां से आई.
डायनासोरों का राजा पहुंचा बर्लिन
विशालता के लिए मशहूर टायरानोसॉरस रेक्स के दुनिया भर में करीब 50 पुनर्निर्मित नमूने हैं, जिनमें ज्यादातर अमेरिका में हैं. अब यूरोप के पास भी एक टी-रेक्स है. यह अगले तीन साल बर्लिन के नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में रहेगा.
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भारी सर
टी-रेक्स का सर उसके 12 मीटर लंबे शरीर के लिए काफी भारी है इसलिए इसे अलग से दिखाया जाता है. थ्रीडी प्रिंटर से सर और बाकी के शरीर की एक हल्की कॉपी बनाई गई है. 1.5 मीटर लंबी खोपड़ी का करीब 98 फीसदी हिस्सा बचा कर रखा गया है.
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अमेरिका से डिलिवरी
बर्लिन के संग्रहालय के पास इसे जोड़ने के लिए सिर्फ एक महीने का समय था. अमेरिकी स्टेट मोनटाना में पाए गए टी-रेक्स को ट्रांसपोर्ट के लिए पेनसिल्वेनिया में तैयार किया गया. इसे अटलांटिक महासागर से बड़े बड़े डब्बों में बर्लिन भेजा गया.
तस्वीर: DW/A. Kirchhoff
सेलेब्रिटी डायनासोर
हालांकि इसे विलुप्त हुए 6.5 करोड़ साल बीत गए हैं, लेकिन इसे पॉप संस्कृति में अहम माना जाता है. निर्देशक स्टीवन श्पीलबर्ग की फिल्म जुरासिक पार्क से इसे खतरनाक शिकारी के तौर पर देखा जाने लगा. हालांकि कई रिसर्चर मानते हैं कि वे शिकारी से ज्यादा मरे हुए जीवों को खाने वाले जीव थे.
तस्वीर: DW/A. Kirchhoff
प्यार हो तो ऐसा
बचपन से ही डेन नील्स नीलसन को डायनासोर बहुत लुभाते थे. वे लंदन के एक कामयाब इंवेस्टमेंट बैंकर हैं. इस कामयाबी की बदौलत उन्होंने टी-रेक्स के एक महत्वपूर्ण कंकाल को खरीद भी डाला.
तस्वीर: Niels Nielsen
सॉरोपोड भी
तीन साल तक टी-रेक्स के साथ बर्लिन के संग्रहालय में नुमाइश के लिए सॉरोपोड भी होगा. जब बर्लिन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम को पता चला कि वे इन्हें अपने यहां दिखा सकते हैं तो उन्होंने झट इसकी नुमाइश और साथ साथ एक रिसर्च प्रोजेक्ट की तैयारी शुरू कर दी.
तस्वीर: DW/A. Kirchhoff
परिवार का सदस्य
उम्मीद की जा रही है कि ट्रिसटन बर्लिन के संग्रहालय में भीड़ जुटाने में कामयाब होगा. इसके साथ ही नुमाइश में अन्य डायनासोर भी दिखाए जा सकेंगे. जैसे 5 मीटर लंबा डायसालोटोसॉरस.
तस्वीर: Museum für Naturkunde Berlin
भूगर्भविज्ञान की दृष्टि से
बर्लिन के साथ डायनासोर की खोज का लंबा इतिहास जुड़ा है. शुरुआती 20वीं शताब्दी में नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम ने टेंडागुरू पहाड़ी पर खोज का पैसा दिया. उस समय वह डायनासोर के अवशेषों के लिए दुनिया का सबसे मशहूर ठिकाना था. वहां से करीब 250 टन अवशेष बर्लिन भेजे गए. कई पर आज भी रिसर्च जारी है.
तस्वीर: Museum für Naturkunde Berlin
बर्लिन का आकर्षण
बर्लिन का म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री 1889 में खुला था. यह जर्मनी का सबसे बड़ा नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम है. यहां प्रदर्शनी में दिखाई जाने वाली चीजों में डायनासोर के अलावा छोटी छोटी मछलियों और अन्य कीटों के भी अवशेष हैं. संग्रहालय में हर साल करीब 50 लाख लोग आते हैं.
तस्वीर: DW/A. Kirchhoff
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कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि वे ऊंचाई वाली किसी जगह से छलांग लगाते थे, जैसा कि ग्लाइडर के साथ किया जाता है. हालांकि ऐसा भी मुमकिन है कि बड़े आकार वाले डायनासोर को उड़ने की ज़रूरत ही ना पड़ती हो क्योंकि उन्हें किसी से खतरा नहीं होता था. इस खोज के चलते डायनासोर की दुनिया के कई रहस्यों से पर्दा उठ रहा है. इसके साथ ही जर्मनी के इस म्यूजियम में आने वाले लोगों की भीड़ भी तेजी से बढ़ रही है.