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कर्ज संकट से निपटने के लिए डील पर रजामंदी

२७ अक्टूबर २०११

यूरोप ने अपने बढ़ते कर्ज संकट से निपटने के लिए एक बड़ी डील पर मुहर लगा दी है. गुरुवार को ब्रसेल्स में शिखर बैठक में ग्रीस के लिए नया कोष बनाने का संकल्प लिया गया और बैंकों को 'मुश्किलें' उठाने के लिए मना लिया गया है.

दो दिन की माथापच्ची के बाद हुई डीलतस्वीर: dapd

दो दिन की बातचीत और दो लगातार शिखर बैठकों के बाद यूरोपीय संघ के अध्यक्ष हरमन फॉन रॉम्पॉए गुरुवार तड़के सामने आए और बोले, "हमने अहम फैसले लिए हैं." दुनिया भर के बाजारों और नेताओं की नजरें इस शिखर बैठक पर टिकी थीं. बैठक के फैसलों का एशिया के बाजारों पर सकारात्मक असर देखने को मिला है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टीन लागार्द ने "अहम प्रगति" का स्वागत किया लेकिन यूरोपीय केंद्रीय बैंक के प्रमुख ज्यां क्लोद त्रिशे ने चेतावनी दी है कि अब इस सबके लिए "बहुत सारा काम करना होगा और तेजी से काम करना होगा."

चार सूत्रीय योजना में आखिरी और शायद सबसे मुश्किल अध्याय यूरोजोन के नेताओं और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान (आईआईएफ) के बीच समझौता रहा जिसके तहत निजी निवेशकों को ग्रीस के कर्ज संकट के कारण 50 फीसदी नुकसान उठाना पड़ेगा.

ग्रीस के कारण यूरोजोन के कई और देशों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैंतस्वीर: dapd

"जो जरूरी था, किया"

फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल सफलता को सुनिश्चित करने के लिए शिखर बैठक से चले गए ताकि बैंक लॉबिंग संस्था आईआईएफ के प्रमुख चार्ल्स दलारा के साथ समझौता हो जाए. ग्रीस के दिवालिया होने से जुड़े खतरों पर मैर्केल ने कहा, "यह हमारे आखिरी शब्द हैं और आखिरी पेशकश भी. जो जरूरी था हमने किया."

पिछले हफ्तों में बैंक 40 प्रतिशत नुकसान उठाने को तैयार थे लेकिन सरकारों ने 50 प्रतिशत पर जोर दिया है. इस डील का मकसद ग्रीस के सिर पर रखे 350 अरब यूरो के कर्ज से 100 अरब यूरो के बड़े हिस्से को कम करना है. ग्रीस को अगले तीन सालों में 100 अरब यूरो के ऋण के आश्वासन भी मिले हैं.

अपने देश के लिए "एक नए युग और एक नए अध्याय" का स्वागत करते हुए ग्रीक प्रधानमंत्री जॉर्ज पापांद्रेऊ ने कहा, "यह हमारे लिए एक नई शुरुआत होगी." ग्रीस के कर्ज को लेकर दो साल से चल रहे संकट का असर आयरलैंड और पुर्तगाल पर भी पड़ चुका है. वहीं इस संकट की चपेट में अब यूरो जोन की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इटली और चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था स्पेन भी आते दिख रहे हैं.

स्थायी समाधान की दरकार

इस खतरे को देखते हुए यूरोजोन के नेताओं ने अपने कर्ज बचाव कोष की क्षमता बढ़ाकर एक खरब यूरो करने पर सहमति जताई है. यूरोपीय वित्तीय स्थिरता सुविधा (ईएफएसएफ) का समझदारी भरा इस्तेमाल कर उसकी क्षमता बढ़ाई जा रही है ताकि सरकारों को अपनी गारंटियां न बढ़ानी पड़ें. चीन और रूस पहले ही यूरोप को बचाने के लिए अपनी तरफ से पेशकश कर रहे हैं ताकि कोष में योगदान देकर विश्व अर्थव्यवस्था को बचाया जा सके.

इटली के प्रधानमंत्री ने अपने कर्ज को कम करने के लिए कई वादे किए हैंतस्वीर: dapd

वहीं अमेरिका से लेकर चीन और जापान तक के देशों ने यूरोपीय नेताओं से कहा है कि वे 3 से 4 नवंबर तक फ्रांस में होने वाले जी20 देशों के शिखर सम्मेलन से पहले कर्ज संकट का कोई स्थायी समाधान तलाशें. यूरोप के नेता दो विकल्पों पर सहमत हुए हैं, एक है सदस्य देशों पर और बोझ डाले बिना ईएफएसएफ को मजबूत करना क्योंकि जर्मनी जैसे देशों में करदाताओं को लगता है कि उनका पैसा ऐसे कुएं में जा रहा है जो कभी भर ही नहीं सकता.

पहला विकल्प ईएफएसएफ को इस बात की अनुमति देता है कि वह किसी लचर सरकार की तरफ से जारी नए कर्ज पर जोखिम बीमा मुहैया कराए ताकि निवेशकों को भरोसा मिले और वे बॉन्ड्स खरीदते रहें और ब्याज दर भी कम रहे. दूसरा, ईएफएसएफ से जुड़ा एक और कोष तैयार किया जाएगा जो निजी और सार्वजनिक निवेशकों को आकर्षित करेगा और इसमें यूरो जोन के बाहर से देश भी हो सकते हैं. निवेश की इस गाड़ी को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से जोड़ा जा सकेगा. रूस भी इस विचार से सहमत है.

बर्लुस्कोनी के वादे

यूरोपीय नेताओं ने इन आशंकाओं पर भी ध्यान दिया है कि कर्ज संकट के चलते बैंकिंग सिस्टम को नुकसान उठाना पड़ सकता है. उन्होंने एक डील की जिसमें यूरो जोन की वार्ता से पहले हुए 27 देशों के सम्मेलन में बैंकों से अपने पूंजी बढ़ाने को कहा गया.

यूरोपीय बैंकिंग प्राधिकरण ने कहा है कि उन्हें इन जरूरतों को पूरा करने लिए 106 अरब यूरो की जरूरत होगी. इटली के आर्थिक संकट में घिरने की आशंकाओं के बीच प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी खर्चों में कटौती की बड़ी फेहरिस्त लेकर आए ताकि उनके देश के 1.9 खरब यूरो के कर्ज को कम किया जा सके. फान रॉम्पॉए ने कहा कि नेताओं ने इटली के संकल्पों का स्वागत किया है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि रोम की सरकार को अपने वादों पर टिके रहना होगा.

रिपोर्ट: डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स/ए कुमार

संपादन: आभा एम

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