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कर्नाटक में अब और आसान होगा जमीन खरीदना

चारु कार्तिकेय
९ दिसम्बर २०२०

कर्नाटक विधान परिषद ने भूमि सुधार (संशोधन) कानून पारित कर दिया है. अब राज्य में कोई भी किसानों से उनकी जमीन खरीद पाएगा, लेकिन नया कानून किसानों के लिए लाभकारी है या हानिकारक?

Indien Landwirtschaft | Dürre in Andhra Pradesh
तस्वीर: Krishna Gaddam

विधान परिषद में विधेयक के पक्ष में 37 वोट डाले गए और विरोध में सिर्फ 21. सत्तारूढ़ बीजेपी के पास विधेयक को पास कराने के लिए पर्याप्त संख्या-बल नहीं था, लेकिन विपक्ष में बैठी जेडीएस ने सरकार का साथ दिया और उसके 10 सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया. कांग्रेस के नौ सदस्य अनुपस्थित रहे.

75 सदस्यों की परिषद में बीजेपी के पास 31 सीटें हैं, कांग्रेस के पास 28 और जेडीएस के पास 14. सितंबर में इसी विधेयक को कांग्रेस के विरोध के बीच सरकार ने विधान सभा से पारित करा लिया था. कांग्रेस सदस्यों ने तब सभा में कागजात फाड़ दिए थे और सदन से बाहर चले गए थे.

नए कानून से राज्य में कृषि भूमि की खरीद पर से लगभग हर तरह के प्रतिबंध हट जाएंगे. अब कोई भी व्यक्ति या कंपनी किसानों से सीधे जमीन खरीद सकती है. अभी तक राज्य में यह संभव नहीं था. कर्नाटक भूमि सुधार कानून, 1961 के तहत राज्य में कृषि भूमि सिर्फ किसान ही खरीद सकते थे और वो ही जिनकी सालाना आय दो लाख रुपयों से कम हो.

विपक्ष का कहना है कि नया कानून किसानों के लिए नुकसानदेह है क्योंकि इससे अब बड़ी कंपनियों के लिए किसानों को डरा-धमका कर जबरदस्ती उनकी जमीन खरीदना आसान हो जाएगा.तस्वीर: Oliver Ristau

इन प्रावधानों में संशोधन लाते हुए राज्य सरकार ने जुलाई में ही अध्यादेश जारी कर दिया था. सरकार अब जा कर अध्यादेश को कानून में बदल पाई है. सरकार का कहना है कि जिन प्रावधानों को हटाया गया है उनकी वजह से भूमि बेचने के इच्छुक किसान ऐसा कर नहीं पा रहे थे और जमीन की बिक्री के लिए भूमि रजिस्ट्रार और तहसीलदार के दफ्तरों में सिर्फ भ्रष्टाचार बढ़ रहा था.

विपक्ष का कहना है कि नया कानून किसानों के लिए नुकसानदेह है क्योंकि इससे अब बड़ी कंपनियों के लिए किसानों को डरा-धमका कर जबरदस्ती उनकी जमीन खरीदना आसान हो जाएगा. कई किसान भी नए कानून से नाराज हैं और इसके खिलाफ बेंगलुरु में प्रदर्शन कर रहे हैं.

यह कानून ऐसे समय में पास हुआ है जब कई राज्यों में किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग लिए हजारों किसान लगभग दो हफ्तों से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे हुए हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने उनकी मांगें मंजूर नहीं की हैं.

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