कर्नाटक में जनता का फैसला त्रिशंकु विधानसभा के रूप में सामने आया है. लेकिन कुलदीप कुमार कहते हैं कि सियासी दलों के लिए इस चुनाव में कई सबक छिपे हैं.
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दोपहर तक लग रहा था कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत से भी अधिक मिलने जा रहा है लेकिन फिर रुझान बदले और वह 105 सीटों पर आकर अटक गई. कांग्रेस दूसरे नंबर पर और जनता दल (एस) तीसरे नम्बर पर हैं. कांग्रेस ने मौके की नजाकत भांपकर दरियादिली दिखाई और तुरंत जेडी (एस) को अपना समर्थन घोषित कर दिया. लेकिन अब गेंद राज्यपाल के पाले में है जो संघ और भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता रहे हैं और अनेक वर्षों तक गुजरात में नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं. पहले परम्परा यही थी कि सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए बुलाया जाए लेकिन खुद भाजपा ने गोवा और मणिपुर में इसे तोड़ा है. वहां कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी लेकिन सरकार भाजपा और उसे समर्थन देने वालों की बनी. अब सब कुछ राज्यपाल के विवेक पर निर्भर है. यूं देखा जाए तो भाजपा को सरकार बनाने के लिए निमंत्रण देने का अर्थ खुल्लमखुल्ला विधायकों की खरीद-फरोख्त को न्यौता देना होगा. कर्नाटक को भाजपा के दक्षिण भारत में प्रवेश का सिंहद्वार कहा जा रहा था लेकिन इस बारे में इस तथ्य को भुलाया जा रहा है कि कर्नाटक में पहले भी भाजपा की सरकार रह चुकी है.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद इस वर्ष मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में भी विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले वर्ष के शुरुआती महीनों में लोकसभा चुनाव की गहमागहमी शुरू हो जाएगी. इसलिए कर्नाटक के नतीजों का दूरगामी राजनीतिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद की जा रही है. इनसे कुछ बातें स्पष्ट हो गई हैं.
इन राज्यों में हैं गैर बीजेपी सरकारें
भारतीय जनता पार्टी पूरे भारत पर छाने को बेताब है. लेकिन कई राज्य अब भी ऐसे हैं जहां गैर बीजेपी सरकारें चल रही हैं. चलिए डालते हैं इन्हीं पर एक नजर.
तस्वीर: DW/S. Bandopadhyay
पंजाब
पंजाब अब देश का अकेला ऐसा अहम राज्य है जहां कांग्रेस सत्ता में है. राज्य की कमान मुख्यमंत्री अमिरंदर सिंह के हाथों में है. पंजाब में बीजेपी का अकाली दल के साथ गठबंधन है.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
कर्नाटक
मई 2018 के विधानसभा चुनावों में किसी दल को बहुमत नहीं मिला. राज्यपाल ने सबसे पहले बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. लेकिन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने विश्वासमत से पहले ही इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कांग्रेस और जनता दल (एस) गठबंधन सरकार बनाने का न्यौता मिला.
तस्वीर: UNI
केरल
केरल में पी विजयन के नेतृत्व में वामपंथी सरकार चल रही है. कांग्रेस राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी है. बीजेपी भी वहां कदम जमाने की कोशिश कर रही है.
तस्वीर: imago/ZUMA Press
तमिलनाडु
तमिलनाडु में एआईएडीएमके की सरकार का नेतृत्व मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी के हाथ में है. करुणानिधि की डीएमके पार्टी एआईएडीएमके की प्रतिद्वंद्वी है.
तस्वीर: Imago/Westend61
आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश में सत्ताधारी टीडीपी पार्टी ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से नाता तोड़ा है. चंद्रबाबू नायडू राज्य के मुख्यमंत्री हैं.
तेलंगाना
तेलंगाना में टीआरएस की सरकार का नेतृत्व पार्टी प्रमुख के चंद्रशेखर राव कर रहे हैं. वह 2019 के आम चुनाव के पहले गैर बीजेपी गैर कांग्रेसी विपक्षी एकता की कोशिशों में भी जुटे हैं.
तस्वीर: DW/S. Bandopadhyay
ओडिशा
नवीन पटनायक के नेतृत्व में ओडिशा में 2000 से बीजू जनता दल की सरकार चल रही है. वहां विपक्षी पार्टियों में बीजेपी का स्थान कांग्रेस के बाद आता है.
तस्वीर: UNI
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी काफी जोर लगा रही है. लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राज्य पर मजबूत पकड़ है, जो 2011 से सत्ता में हैं.
तस्वीर: DW
मिजोरम
कांग्रेस सरकार का नेतृत्व ललथनहवला कर रहे हैं. 2008 से वह मुख्यमंत्री पद पर हैं. 40 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 34 सदस्य हैं.
तस्वीर: IANS/PIB
पुडुचेरी
केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में भी इस समय कांग्रेस की सरकार है जिसका नेतृत्व वी नारायणसामी (फोटो में दाएं) कर रहे हैं. तीस सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 17 सदस्य हैं.
तस्वीर: Reuters
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पहली बात तो यह कि इस समय भाजपा और उसके मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं उससे जुड़े संगठनों के जमीनी स्तर पर सक्रिय निष्ठावान कार्यकर्ताओं के तंत्र जैसा प्रभावी तंत्र किसी भी अन्य राजनीतिक दल के पास नहीं है. इन दलों के नेताओं का अपना-अपना जनाधार है लेकिन पार्टी संगठन के नाम पर कोई ऐसी मजबूत मशीन नहीं जिसे जरूरत पड़ने पर चालू किया जा सके. यह इसी बात से स्पष्ट है कि पिछले चार सालों के दौरान नोटबंदी और जीएसटी, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में और अन्य रोजमर्रा की चीजों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी, किसानों की आत्महत्याएं, गौरक्षक गुंडादलों द्वारा दलितों और मुसलमानों पर हिंसा और बलात्कार की बढ़ती घटनाएं---इनमें से किसी भी मुद्दे पर विपक्षी पार्टियां जनता के बीच आकर आंदोलन नहीं छेड़ पाईं. इसलिए उनके सामने सबसे पहली चुनौती अपने-अपने पार्टी संगठनों को चुस्त-दुरुस्त बनाना और उनमें जान डालना है.
बिहार में नीतीश कुमार और लालू यादव ने मिलकर चुनाव लड़ा और भाजपा को हराया. यदि कर्नाटक में भी कांग्रेस और जेडी (एस) मिलकर चुना लड़ते तो आज के परिणाम कुछ और ही होते. यह आने वाले दिनों के लिए एक सबक है. उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और मायावती ने यह सबक सीखकर एक दूसरे के साथ हाथ मिलाया है. यदि यही प्रक्रिया अन्य राज्यों और अन्य दलों के बीच आगे बढ़े तो आने वाले विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर मिल सकती है.
कितने राज्यों में है बीजेपी और एनडीए की सरकार
केंद्र में 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश में भारतीय जनता पार्टी का दायरा लगातार बढ़ा है. डालते हैं एक नजर अभी कहां कहां बीजेपी और उसके सहयोगी सत्ता में हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/S. Kumar
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 सीटें जीतीं. इसके बाद फायरब्रांड हिंदू नेता योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की गद्दी मिली.
तस्वीर: Imago/Zumapress
त्रिपुरा
2018 में त्रिपुरा में लेफ्ट का 25 साल पुराना किला ढहाते हुए बीजेपी गठबंधन को 43 सीटें मिली. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्कसिस्ट) ने 16 सीटें जीतीं. 20 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद मणिक सरकार की सत्ता से विदाई हुई और बिप्लव कुमार देब ने राज्य की कमान संभाली.
तस्वीर: Reuters/J. Dey
मध्य प्रदेश
शिवराज सिंह चौहान को प्रशासन का लंबा अनुभव है. उन्हीं के हाथ में अभी मध्य प्रदेश की कमान है. इससे पहले वह 2005 से 2018 तक राज्य के मख्यमंत्री रहे. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस सत्ता में आई. लेकिन दो साल के भीतर राजनीतिक दावपेंचों के दम पर शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता में वापसी की.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तराखंड
उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी बीजेपी का झंडा लहर रहा है. 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की सत्ता में पांच साल बाद वापसी की. त्रिवेंद्र रावत को बतौर मुख्यमंत्री राज्य की कमान मिली. लेकिन आपसी खींचतान के बीच उन्हें 09 मार्च 2021 को इस्तीफा देना पड़ा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. K. Singh
बिहार
बिहार में नीतीश कुमार एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. हालिया चुनाव में उन्होंने बीजेपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा. इससे पिछले चुनाव में वह आरजेडी के साथ थे. 2020 के चुनाव में आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी. लेकिन 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही बीजेपी ने नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसे 43 सीटें मिलीं.
तस्वीर: AP
गोवा
गोवा में प्रमोद सावंत बीजेपी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने मनोहर पर्रिकर (फोटो में) के निधन के बाद 2019 में यह पद संभाला. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद पर्रिकर ने केंद्र में रक्षा मंत्री का पद छोड़ मुख्यमंत्री पद संभाला था.
पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में 2017 में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी है जिसका नेतृत्व पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी एन बीरेन सिंह कर रहे हैं. वह राज्य के 12वें मुख्यमंत्री हैं. इस राज्य में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना पाई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh
हिमाचल प्रदेश
नवंबर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापसी की. हालांकि पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी घोषित किए गए प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए. इसके बाद जयराम ठाकुर राज्य सरकार का नेतृत्व संभाला.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
कर्नाटक
2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. 2018 में वो बहुमत साबित नहीं कर पाए. 2019 में कांग्रेस-जेडीएस के 15 विधायकों के इस्तीफे होने के कारण बीेजेपी बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गई. येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Kiran
हरियाणा
बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने 2014 के चुनावों में पार्टी को मिले स्पष्ट बहुमत के बाद सरकार बनाई थी. 2019 में बीजेपी को हरियाणा में बहुमत नहीं मिला लेकिन जेजेपी के साथ गठबंधन कर उन्होंने सरकार बनाई. संघ से जुड़े रहे खट्टर प्रधानमंत्री मोदी के करीबी समझे जाते हैं.
तस्वीर: Getty Images/M. Sharma
गुजरात
गुजरात में 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. प्रधानमंत्री पद संभालने से पहले नरेंद्र मोदी 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. फिलहाल राज्य सरकार की कमान बीजेपी के विजय रुपाणी के हाथों में है.
तस्वीर: Reuters
असम
असम में बीजेपी के सर्बानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री हैं. 2016 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 86 सीटें जीतकर राज्य में एक दशक से चले आ रहे कांग्रेस के शासन का अंत किया. अब राज्य में फिर विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही है.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू मुख्यमंत्री हैं जो दिसंबर 2016 में भाजपा में शामिल हुए. सियासी उठापटक के बीच पहले पेमा खांडू कांग्रेस छोड़ पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हुए और फिर बीजेपी में चले गए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa
नागालैंड
नागालैंड में फरवरी 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए की कामयाबी के बाद नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफियू रियो ने मुख्यमंत्री पद संभाला. इससे पहले भी वह 2008 से 2014 तक और 2003 से 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.
तस्वीर: IANS
मेघालय
2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई. एनपीपी नेता कॉनराड संगमा ने बीजेपी और अन्य दलों के साथ मिल कर सरकार का गठन किया. कॉनराड संगमा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे हैं.
तस्वीर: IANS
सिक्किम
सिक्किम की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का एक भी विधायक नहीं है. लेकिन राज्य में सत्ताधारी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है. इस तरह सिक्किम भी उन राज्यों की सूची में आ जाता है जहां बीजेपी और उसके सहयोगियों की सरकारें हैं.
तस्वीर: DW/Zeljka Telisman
मिजोरम
मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है. वहां जोरामथंगा मुख्यमंत्री हैं. बीजेपी की वहां एक सीट है लेकिन वो जोरामथंगा की सरकार का समर्थन करती है.
तस्वीर: IANS
2019 की टक्कर
इस तरह भारत के कुल 28 राज्यों में से 16 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी या उसके सहयोगियों की सरकारें हैं. हाल के सालों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्य उसके हाथ से फिसले हैं. फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के आगे कोई नहीं टिकता.
तस्वीर: DW/A. Anil Chatterjee
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इसके साथ ही यह भी सही है कि गठबंधन सरकारों के कामकाज से ऊब कर ही जनता पहले कांग्रेस और फिर भाजपा की शरण में गई. कांग्रेस फिलहाल उसी स्थिति में है जिसमें औरगंजेब के बाद के मुगल बादशाह थे जिनकी सत्ता और प्रभाव तो घटता जा रहा था लेकिन जिनके बादशाही तेवर बरकरार थे. उसे जमीनी हकीकत को पहचानना होगा. कर्नाटक में तत्काल जेडी (एस) को समर्थन घोषित करके उसने संकेत दिया है कि अब वह अपनी हाथीदांत की मीनार से उतरकर जमीन पर आ रही है. इसके अलावा या तो उसे राहुल गाँधी के स्थान पर कोई और नेता चुनना होगा या फिर राहुल गांधी को पार्ट-टाइम राजनीतिज्ञ के बजाय फुलटाइम राजनीतिज्ञ बनने का फैसला लेना होगा. जब जी चाहे छुट्टी मनाने यूरोप भाग जाने से काम नहीं चलेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू अभी भी चल रहा है लेकिन भले ही उनके समर्थक कुछ भी कहें, उसमें कमी अवश्य आई है. वरना गुजरात में भाजपा 116 से गिरकर 99 सीट पर ना अटकती और न ही कर्नाटक में भी उनके भारी चुनाव प्रचार के बावजूद भाजपा पूर्ण बहुमत के लक्ष्य से दूर रहती.
कांग्रेस को यह भी तय करना होगा कि वह उग्र हिंदुत्व का मुकाबला नरम हिंदुत्व से करना चाहती है या जवाहरलाल नेहरू की धर्मनिरपेक्षता से. संभवतः उसके नेताओं को ही नजर नहीं आ रहा लेकिन दूसरे सब देख पा रहे हैं कि जब तक वह तेज-तर्रार धर्मनिरपेक्ष तेवर नहीं अपनाती, तब तक वह अल्पसंख्यकों और दलितों का विश्वास हासिल नहीं कर पाएगी. उसे किसी भी धर्म का नहीं, हर धर्म से जुडी साम्प्रदायिकता का मुकाबला करना है. राहुल गाँधी को मंदिरों की यात्रा करवा कर और "जनेऊधारी शिवभक्त" घोषित करके यह काम नहीं किया जा सकता.
पूर्वोत्तर में कहां किसकी सरकार है?
भारत के राष्ट्रीय मीडिया में पूर्वोत्तर के राज्यों का तभी जिक्र होता है जब वहां या तो चुनाव होते हैं या फिर कोई सियासी उठापटक. चलिए जानते है सात बहनें कहे जाने वाले पूर्वोत्तर के राज्यों में कहां किसकी सरकार है.
तस्वीर: IANS
असम
अप्रैल 2016 में हुए राज्य विधानसभा के चुनावों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया और लगातार 15 साल से सीएम की कुर्सी पर विराजमान तरुण गोगोई को बाहर का रास्ता दिखाया. बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रह चुके सर्बानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री पद सौंपा गया.
तस्वीर: IANS
त्रिपुरा
बीजेपी ने त्रिपुरा में सीपीएम के किले को ध्वस्त कर फरवरी 2018 में हुए चुनावों में शानदार कामयाबी हासिल की. इस तरह राज्य में बीस साल तक चली मणिक सरकार की सत्ता खत्म हुई. बीजेपी ने सरकार की कमान जिम ट्रेनर रह चुके बिप्लव कुमार देब को सौंपी.
तस्वीर: IANS
मेघालय
2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई. एनपीपी नेता कॉनराड संगमा ने बीजेपी और अन्य दलों के साथ मिल कर सरकार का गठन किया. कॉनराड संगमा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे हैं.
तस्वीर: IANS
मणिपुर
राज्य में मार्च 2017 में हुए चुनावों में कांग्रेस 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी जबकि 21 सीटों के साथ बीजेपी दूसरे नंबर पर रही. लेकिन बीजेपी अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने में कामयाब रही. कई कांग्रेसी विधायक भी बीजेपी में चले गए. कभी फुटबॉल खिलाड़ी रहे बीरेन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री हैं.
तस्वीर: IANS
नागालैंड
नागालैंड में फरवरी 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए की कामयाबी के बाद नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफियू रियो ने मुख्यमंत्री पद संभाला. इससे पहले भी वह 2008 से 2014 तक और 2003 से 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.
तस्वीर: IANS
सिक्किम
सिक्किम में पच्चीस साल तक लगातार पवन कुमार चामलिंग की सरकार रही. लेकिन 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में उनकी सरकार में कभी मंत्री रहे पी एस गोले ने उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया. चामलिंग की पार्टी एसडीएफ के 10 विधायक भाजपा और 2 गोले की पार्टी एसकेएम में चले गए. अब वो अपनी पार्टी के इकलौते विधायक हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images
अरुणाचल प्रदेश
अप्रैल 2014 में हुए चुनावों में कांग्रेस ने 60 में 42 सीटें जीतीं और नबाम तुकी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बरकरार रही. लेकिन 2016 में राज्य में सियासी संकट में उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी. इसके बाद कांग्रेस को तोड़ पेमा खांडू मुख्यमंत्री बन गए और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए.
तस्वीर: IANS/PIB
मिजोरम
2018 तक मिजोरम में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी. तब लल थनहवला मुख्यमंत्री थे. लेकिन दिसंबर में हुए चुनावों में मिजो नेशनल फ्रंट ने बाजी मार ली. अब जोरामथंगा वहां के मुख्यमंत्री हैं.